स्थानीय श्री दिगम्बर जैन मंदिर में चल रहे 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान में
सुजानगढ़, स्थानीय श्री दिगम्बर जैन मंदिर में चल रहे 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान के पांचवें दिन गुरू मां विभाश्री ने कहा कि जो धर्म की रक्षा करता है, जो धर्म, न्यायनीति के पथ पर चलता है, वह श्रेष्ठ बनता है। गुरूमां विभाश्री ने कहा कि यदि पापी या दुर्जन व्यक्ति सुखी दिख रहा है, तो हमें यह समझना चाहिए कि उसके पूर्व जन्मों का फल उसे वर्तमान में मिल रहा है, इसलिए हमें अपने धर्म के प्रति कभी भी आस्था कम नहीं करनी चाहिए। विधानाचार्य स्वतंत्र जैन के निर्देश में आज शनिवार को 256 अर्ध समर्पित किये गये। प्रात: भगवान जिनेंद्र की नित्य पूजा पाठ व महाशांतिधारा की गई। महोत्सव के मीडिया प्रभारी महावीर पाटनी ने बताया कि महाशांतिधारा व महाआरती सदासुख निहालचंद बगड़ा परिवार द्वारा गाजे-बाजे के साथ रजत दीपकों से की गई। द्वितीय शांतिधारा का सौभाग्य मिश्रीलाल प्रदीप कुमार बगड़ा व माताजी के पादप्रक्षालन का सौभाग्य इन्द्रचंद समुदरकुमार बाकलीवाल को मिला। इसी प्रकार माताजी को शास्त्र कंवरीलाल सेठी, घीसूलाल जयकुमार बगड़ा, भंवरलाल, सुरेश कुमार, राजेंद्र कुमार पाटनी, महावीर प्रसाद, सुनील कुमार बाकलीवाल, भंवरलाल, किशोर कुमार ने भेंट किया। संध्याकालीन द्वितीय आरती माणकचंद, पवन कुमार, कमल कुमार, अशोक कुमार छाबड़ा द्वारा की गई। महाआरती के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए और प्ररेणास्पद नाट्य मंचन किया गया। इस अवसर पर विमल पाटनी, पारसमल बगड़ा, शैलेन्द्र गंगवाल, सुमीत बगड़ा, पारसमल सेठी सहित जैन समाज के अनेक लोग उपस्थित थे।