साध्वी श्री हुलासां जी की स्मृतिसभा आयोजित
सरदारशहर, (जगदीश लाटा) अहिंसा यात्रा प्रणेता महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी का कालू प्रवास का द्वितीय दिवस। प्रातः आचार्यप्रवर तेरापंथ भवन पधारे वहां विराजित 104 वर्षीय सुदीर्घजीवी साध्वीश्री बिदामा को दर्शन एवं उपासना का लाभ प्रदान किया। आज आसपास के क्षेत्रों से भी श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति रही। मानों इतनी भीषण गर्मी में भी श्रद्धालु करुणासागर आचार्य श्री महाश्रमण के सानिध्य में शीतलता का अहसास कर रहे थे। दिनभर आचार्य श्री के दर्शन सेवा का क्रम चलता रहा। मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में मुख्यमुनि महावीर कुमार , साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा, साध्वीवर्या संबुद्धयशा ने भी उद्बोधन प्रदान किया। कल पूज्यप्रवर का लूणकरणसर में पदार्पण होगा।अमृत देशना देते हुए आचार्यश्री ने कहा, व्यक्ति को अपने भीतर क्षमा का भाव रखना चाहिए। हमारे मन में किसी के भी प्रति वैर भाव नहीं होना चाहिए। सब प्राणियों के साथ मैत्री के भाव रहे। जीवन में अनेक प्रकार के व्यक्तियों व्यवहार का काम पड़ता रहता है। कभी किसी से कटुता हो सकती है, किसी से अप्रीति भी हो सकती है। परंतु क्षमायाचना, खमतखामणा ऐसा भाव है जो चित्त में प्रह्लाद का भाव ला सकता है। आक्रोश में आकर व्यक्ति कई बार कुछ बुरा भी कर लेता है जिसका उसे भान नहीं रहता। हमारा जीवन शांति, प्रेम, करुणामय रहे और क्षमा का भाव सबके प्रति रहे यह अपेक्षा है। प्रसंगवश गुरूदेव ने आगे कहा की साध्वीश्री बिदामा सौ पार कर चुकी है। तेरापंथ के इतिहास में यह पहला प्रसंग है। साध्वी एक निर्मल चारित्र वाली साध्वी लगी। उनके मन में सदा चित्त समाधि रहे और वे आराधना करतीं रहे मंगल कामना। आचार्य प्रवर के सानिध्य में आज शासनश्री साध्वी श्री हुलासां की स्मृति सभा का भी आयोजन हुआ। गत 16 मई को देशनोक में उनका देवलोक गमन हो गया। गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी के द्वारा उन्होंने संयम प्राप्त किया था। पूज्य प्रवर ने उनकी आत्मा की प्रति मंगल कामना व्यक्त करते हुए कहा कि वे मोक्ष की दिशा में प्रगति मान होती रहे। इस अवसर पर कार्यक्रम में साध्वी श्री प्रसन्नयशा, साध्वीश्री वैभवप्रभा, समणी श्री कांतिप्रज्ञा, समणी श्री कुसुमप्रज्ञा ने अपने विचार व्यक्त किए। साध्वीश्री उज्जवल रेखा जी आदि साध्वीवृन्द ने समूहगीत का संगान किया। भावाभिव्यक्ति के क्रम में प्रवास व्यवस्था समिति अध्यक्ष नागराज बरमेचा, सभा अध्यक्ष सुशील बरमेचा, हनुमान नाहटा, संजू नाहटा, रचना बैद, धर्मचंद जी दक, तेमम से मुल्तानी देवी नाहटा, तेमम अध्यक्ष पुष्पा सांड, तेयुप से सुमित सांड, श्रीमती कल्पना सांड, रामकुमार सारस्वत, संजू भूरा, दिव्यांश सांड, रेवन्त सांड, सुनीता नाहटा ने वक्तव्य दिया। तेमम की युवती-बहनों एवं कन्या मंडल, ज्ञानशाला के बच्चों ने स्वागत में प्रस्तुति दी। नंदिनी भादानी ने गुरुचरणों में स्वनिर्मित चित्र भेंट किया।