भारत वर्ष में पहली बार आयोजित किया जा रहा लक्षचंडी महायज्ञ
दांतारामगढ़ [प्रदीप सैनी ] खाचरियावास में स्थित टीलाधाम वीर हनुमान मंदिर में महामंडलेश्वर भरतरामदास महाराज के सानिध्य में आज मंगलवार को अक्षय तृतीया के दिन लक्षचंडी महायज्ञ का शुभारंभ किया गया। जिसमें 9000 महिलाओं द्वारा विशाल कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा कस्बे के छह अलग-अलग मार्गो से निकली गई। कदमा रुलाना रोड, बाय सड़क मार्ग, पचार रोड, उमाड़ा, कुली, चक, सहित दर्जनों गांवों की अलग अलग निकाली गई कलश यात्रा मुख्य मार्गो से होकर टीला धाम मंदिर पहुंची जगह-जगह पुष्प वर्षा कर शोभायात्रा का स्वागत भी किया गया वहीं जगह-जगह जलपान की व्यवस्था भी की। इस दौरान 108 कन्याओं का पूजन कर लक्षचंडी महायज्ञ को शुरू किया गया। जानकारी देते हुए भरतरामदास महाराज ने बताया कि यह महायज्ञ भारत देश में पहली बार आयोजित किया जा रहा है जो पूरे 1 साल तक इसी प्रकार से चलेगा और इसमें भारतवर्ष से अनेक संत महात्मा शामिल होंगे। इसके साथ ही यहां प्रतिदिन वैदिक मंत्रोच्चारों के साथ हवन यज्ञ आयोजित किए जाएंगे और कई प्रकार के धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा। प्रतिदिन 100 पंडित दुर्गा सरस्वती के रोजाना एक पंडित तीन पाठ करने पर महीने के 9000 पाठ किए जाएंगे वर्ष भर तक यह एक लाख आठ हजार पाठ पूरे हो जाएंगे। रोजाना शाम 3 से 6 बजे तक महायज्ञ में आहुति दी जाएगी। महायज्ञ के दौरान बड़े-बड़े संतो के प्रवचन कथा लीलाएं सहित कई धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित होंगे। प्रत्येक महीने में एक बार कलश यात्रा व कन्या पूजन होगा वहीं विशाल भंडारे का आयोजन भी होगा। उन्होंने बताया कि इस महायज्ञ को करने का उद्देश्य है कि कलयुग में हो रहे दुराचार, आतंकवाद, प्राकृतिक आपदाएं एवं राक्षसी शक्तियों का नाश हो। महायज्ञ के शुभारंभ के दिन हजारों की संख्या में महिलाएं कलश यात्रा में शामिल हुई और हजारों की संख्या में कन्याओं का पूजन किया गया इसके साथ ही विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम के आयोजन को लेकर सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस महायज्ञ में प्रतिदिन साधु महात्माओं का जमावड़ा देखने को मिलेगा जो इस यज्ञ में शामिल होकर धर्म का प्रचार प्रसार करेंगे। महायज्ञ में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए रहने, खाने-पीने, चिकित्सा एवं सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इस अवसर पर विजयगिरी महाराज, महरौली के शत्रुघ्न महाराज, हरिद्वार के महामंडलेश्वर श्रद्धानंद गिरी महाराज, राममूर्ति दास महाराज, हरिदास महाराज, प्रेमदास महाराज, सेवक शरणदास महाराज, श्यामदास महाराज, यज्ञाचार्य पं. चिरंजीव शास्त्री, उप आचार्य महेंद्र शास्त्री चक, कथावाचक पं. चंद्रप्रकाश शास्त्री सहित गणमान्यजन व काफी संख्या में महिलाएं व पुरूष स्वयंसेवक भी मौजूद थे।