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श्रीराम कथा सुनने से मन के विकार दूर होते हैं, कथा समापन पर बोले कथा वाचक लाटा

रतनगढ़, [सुभाष प्रजापत ] शहर के श्रीपंचमुखी बालाजी मंदिर में चल रही राम कथा के अंतिम दिन रविवार को श्रद्धालुओं की काफी तादाद दिखाई दी। इस दौरान कथा वाचक संत शंभुशरण लाटा ने पवन पुत्र हनुमान के चरित्र का वर्णन किया। संत ने कहा कि हनुमानजी महाराज भगवान राम के परम भक्त है। उन्होंने भक्ति की सभी सीमाओं को पार कर दिया और यही कारण है कि उन्हें भगवान श्रीराम के चरणों में स्थान प्राप्त है। उन्होंने कहा कि कथा सुनने से मन के विकार दूर होते हैं और भगवान की भक्ति में मन लगता है। कथा श्रवण का अवसर पुण्य कर्मों से मिलता है, इसलिए कथाओं का श्रवण करना चाहिए और कथाओं के दौरान कही बातों को जीवण में धारण करें, तभी हमारा आज व कल सुधरेगा। महाराज ने कहा कि जीवन में जो भी कार्य करों, उस पर विचार व मंथन करके करना चाहिए। सत्ता स्थाई नहीं होती, जबकि सत्य हमेशा स्थाई रहता है। इसलिए सत्ता के लिए युद्ध न करके सत्य की राह पर चलना चाहिए। भगवान राम के राजतिलक के प्रसंग के साथ कथा का समापन हुआ। कथा के प्रारंभ में मुख्य यजमान राजेंद्र बणसिया व अजय बणसिया परिवार ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवां, न्यायाधीश सुशीलकुमार शर्मा, भागीरथसिंह, पृथ्वीराज प्रजापत, जसवंतसिंह पायली, पार्षद नंदकिशोर भार्गव, प्रमोद प्रजापत, जगदीश प्रजापत, महावीर बणसिया, राजकुमार शर्मा, विकास शर्मा, रामवीरसिंह राईका, विनोद त्रिवेदी, विनोद शर्मा, हेमंत शर्मा, सुरेश खेमका, रावतमल नौहाल सहित सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरूष श्रद्धालु उपस्थित थे। कथा के समापन पर कथा वाचक का अभिनंदन किया गया। अभिनंदन पत्र का वाचन कुलदीप व्यास ने किया।

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