जादुई शो की सिल्वर जुबली पूर्ण कर चुकी हैं जादूगर आंचल कुमावत
वर्तमान में दांता सीकर में चल रहे हैं आंचल के शो , दांता में जादूगर आंचल का जनप्रतिनिधियों ने किया मान सम्मान
शेखावाटी की बेटी ने 25 सालों में 17 राज्यों एवं 7 देशों में 13 हजार से ज्यादा स्टेज शो कर चुकी हैं
झुंझुनू, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित लिम्का बुक एवं द बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर , मूल रूप से शेखावाटी के बाजोर (सीकर) गांव की रहने वाले गिरधारी कुमावत की बेटी जादूगर आंचल कुमावत ने जादू के क्षेत्र में अपनी असाधारण उपलब्धियों से ना केवल राजस्थान का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है बल्कि जादू के क्षेत्र में अनेक विश्व कीर्तिमान भी अपने नाम किए हैं।
23 दिसंबर 1997 को अपने स्कूल के वार्षिकोत्सव में पौने पांच साल की नन्हीं उम्र में अपना पहला शो देते समय कभी कल्पना भी नहीं की थी कि भविष्य में विश्व स्तर पर जादुई दुनिया का एक जाना माना नाम बन जाएगा। वैसे तो आंचल की हजारों उपलब्धियों का जिक्र करना अभी सम्भव नहीं है, मगर 25 वर्षों की इस लम्बी जादुई यात्रा में कुछ प्रमुख सम्मान जो आंचल के जीवन में बड़ा महत्व रखतें हैं वे हैं 11 वर्ष की उम्र में जादू कला की असाधारण उपलब्धियों के लिए भारत सरकार ने 2004 में “राष्ट्रीय बाल पुरस्कार” देकर सम्मानित किया, 2006 में दुनिया भर की असाधारण प्रतिभाओं के लिए आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय शिविर में भारत का प्रतिनिधित्व करने हेतु आंचल को केन्द्रीय सरकार ने मंगोलिया भेजा, 2012 में दक्षिण भारत के 2 टीवी शो “अधूर्ष-2″ एवं ” सुपर-2″ की विनर बनकर 10 लाख रुपए का नकद पुरस्कार तथा ‘चैम्पियन ऑफ चैम्पियंस’ का खिताब अपने जादू आंचल कुमावत ने अपने नाम किया, 2014 में हरिद्वार में हजारों लोगों की उपस्थिति में किए गए सफल फायर स्केप एक्ट को 2016 की लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान मिला।