कल बस की व्यवस्था चुना चौक नगर नरेश बालाजी मंडावा मोड़ बगड़ से रहेगी
झुंझुनू, श्री जेजेटी यूनिवर्सिटी चुडैला श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस की शुरूआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज श्री ने सभी भक्तगणों को “अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ” भजन श्रवण कराया। कथा में यजमान के रूप में जेजेटी यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति विनोद टीबड़ेवाला बालकृष्ण टीबड़ेवाला, रमाकांत टीबड़ेवाला चेतन शर्मा, हेमलता शर्मा , उषा , मणिकांत पांड्या ने भाग लिया। कथा में महाराज श्री ने कहां की मनुष्य को जितनी चिंता भोजन की होती है भोजन के टाइम की होती है उतनी ही चिंता अगर भजन के टाइम की हो तो मनुष्य जीवन सफल हो जाए। हम जिंदा रहें इसलिए भोजन करना है और ज़िंदा इसलिए रहना है क्यूंकि हमें भजन करना है। इस संसार का सबसे बड़ा भय मृत्यु है और इस संसार का सबसे बड़ा सत्य भी मृत्यु ही है। फिर हमें मृत्यु का भय क्यों रहता है। हम हमेशा छोटी छोटी चीजों की प्लानिंग करते है हमें क्या खाना है क्या पहनना है। लेकिन कभी हम जीवन कैसे जीना चाहिए इसकी प्लानिंग नहीं करते है। हमें कभी किसी से हाथ नहीं मिलाना चाहिए ये हमारी संस्कृति नहीं है हमें एक दूसरे को हाथ जोड़कर नमस्ते करना चाहिए। हमें कभी भी अपना समय बेवजह नहीं व्यर्थ करना चाहिए क्यूंकि बीता हुआ समय कभी वापिस नहीं आता है। जिस प्रकार एक पतिव्रता नारी अपने पति को देखकर किसी को नहीं देखती उसी प्रकार एक भक्त को भी अपने भगवान के अलावा किसी की भक्ति नहीं करनी चाहिए। भगवान ने हमें संसार में दो चीजें देकर भेजा है, मस्तिष्क और ह्रदय। ह्रदय भगवान में लगाओ और मस्तिष्क संसार में लगाओगे तो आप भवसागर से पार हो जाओगे। मनुष्य को भगवान को मानने से पहले भगवान को जानना चाहिए और भगवान को जनाने का गुरु करते है। लड़कियों की प्रेरणा कभी भी बॉलीवुड हीरोइन नहीं होनी चाहिए। लड़कियों की प्रेरणा सदैव सती सावित्री, माता सीता, रानी लक्ष्मीबाई, कल्पना चावला जैसी महिलाएं होनी चाहिए।
एक कुपुत्र संतान आपकी हज़ारों पीढ़ियों का विनाश कर सकती है और सुयोग्य संतान आपकी हज़ारों पीढ़ियों का उद्धार कर सकती है। पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कल का कथा क्रम याद कराया की राजा परिक्षित को श्राप लगा कि सातवें दिन तुम्हारी मृत्यु सर्प के डरने से हो जाएंगी। जिस व्यक्ति को यहाँ पता चल जाये की उसकी मृत्यु सातवें दिन हो वो क्या करेगा क्या सोचेगा ? राजा परीक्षित ने यह जान कर उसी क्षण अपना महल छोड़ दिया। राजा परीक्षित ने अपना सर्वस्व त्याग कर अपनी मुक्ति का मार्ग खोजने निकल पड़े गंगा के तट पर। गंगा के तट पर पहुंचकर जितने भी संत महात्मा थे सब से पूछा की जिस की मृत्यु सातवें दिन है उस जीव को क्या करना चाहिए। किसी ने कहा गंगा स्नान करो, किसी ने कहा गंगा के तट पर आ गए हो इससे अच्छा क्या होगा, हर की अलग अलग उपाय बता रहा है। तभी वहां भगवान शुकदेव जी महाराज पधारे, जब राजा परीक्षित भगवान शुकदेव जी महाराज के सामने पहुंचे तो उनको राजा ने शाष्टांग प्रणाम किया। शाष्टांग प्रणाम करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शुकदेव जी महाराज जो सबसे बड़े वैरागी है चूड़ामणि है उनसे राजा परीक्षित जी ने प्रश्न किया कि हे गुरुदेव जो व्यक्ति सातवें दिन मरने वाला हो उस व्यक्ति को क्या करना चाहिए? किसका स्मरण करना चाहिए और किसका परित्याग करना चाहिए? कृपा कर मुझे बताइये
भगवान मानव को जन्म देने से पहले कहते हैं ऐसा कर्म करना जिससे दोबारा जन्म ना लेना पड़े। मानव मुट्ठी बंद करके यह संकल्प दोहराते हुए इस पृथ्वी पर जन्म लेता है। प्रभु भागवत कथा के माध्यम से मानव का यह संकल्प याद दिलाते रहते हैं। भागवत सुनने वालों का भगवान हमेशा कल्याण करते हैं। भागवत ने कहा है जो भगवान को प्रिय हो वही करो, हमेशा भगवान से मिलने का उद्देश्य बना लो, जो प्रभु का मार्ग हो उसे अपना लो, इस संसार में जन्म-मरण से मुक्ति भगवान की कथा ही दिला सकती है। भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण है भागवत कथा पृथ्वी के लोगो को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं। कथा में बामन भगवान की झांकी सजाई गई। श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर श्री राम एवं इस महोत्सव में ट्रस्टी बाबूलाल ढंडारी आ विशाल टीवी वाला नेहा घई भगवती घाघीच उमा टीबड़ेवाला महावीर प्रसाद गुप्ता श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का वृतांत सुनाया जाएगा। रविवार को झुंझुनू से कथा स्थल तक जाने के लिए बस की व्यवस्था चुना चौक नगर नरेश बालाजी मंडावा मोड़ बगड़ से रहेगी।