रोग प्रतिरोधक टीकाकरण कार्यक्रम अन्तर्गत
चूरू, वर्षाऋतु प्रारम्भ होने से पूर्व पशुओं में मौसमी बीमारियों की रोकथाम हेतु रोग प्रतिरोधक टीकाकरण कार्यक्रम अन्तर्गत जिले में अवस्थित समस्त क्रियाशील पशु चिकित्सा संस्थाओं द्वारा निदेशालय पशुपालन विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. जगदीश बरवड़ ने बताया कि समस्त पशु चिकित्सा संस्थाओं द्वारा उनको आवंटित कार्यक्षेत्र में गत वर्षों में हुए रोग प्रकोप की सूचना के आधार पर क्षेत्र की आवश्यकतानुसार टीकाकरण कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि एन्डेमिक क्षेत्रों में वर्षा से रास्ते अवरूद्ध होने तथा जलभराव की सम्भावना हो एवं जिले में वन्य जीव अभ्यारण्यों एवं संरक्षित क्षेत्रों की 5-10 मि.मी. की परिधि में बसे हुए गांवों में टीकाकरण कार्य अभियान के रूप में किया जावेगा। क्षेत्र की गौशालाओं में भी प्राथमिकता के आधार पर गौवंश का टीकाकरण कार्य किया जावेगा। संयुक्त निदेशक ने कहा गौ एवं भैंस वंशीय पशुओं में मानसून के दौरान गलघोटू रोग प्रकोप की आशंका अधिक रहती है। इस रोग से ग्रसित पशुओं में गले में सूजन के साथ-साथ, तेज बुखार आना, पशुओं द्वारा खाना-पीना छोड़ देना एवं अन्त में सांस रूकने के कारण मौत हो जाती है। इस रोग के कारण पशुपालकों को प्रत्यक्ष आर्थिक हानि होती है। अतः वर्षा ऋतु प्रारम्भ होने से पूर्व गाय एवं भैंस वंशीय पशुओं में टीकाकरण करवाया जाना अत्यावश्यक है। भेड़ व बकरी वंश के पशुओं में फिड़किया रोग होने की सम्भावना अधिक रहती है, जिसमें स्वस्थ भेड़ बकरियां या मोटा ताजा दिखने वाला जानवर अधिक प्रभावित होता है। उन्होंने पशुपालकों से कहा है कि टीकाकरण कार्य के निष्पादन के समय कोविड-19 महामारी के परिपेक्ष्य में सोशल डिस्टेसिंग, मास्क उपयोग तथा जैव सुरक्षा के अन्य उपायों यथा एक पशु बाड़े/ ढाणी/ ग्राम से दूसरे पशु बाडे/ ढाणी/ ग्राम में प्रवेश के समय समान्य हाईजीन के उपायों को अमल में लाया जाये।