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कृषि महाविद्यालय फतेहपुर में प्रशासनिक एवं अकादमी भवनों का मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने किया लोकार्पण

सीकर, नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन राज्य मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि भारत आज भी एक कृषि प्रधान देश है। उन्होंने कहा कि कृषि विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों को खेती को किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद बनाने एवं कम लागत में अधिक उत्पादन करने के संबंध में अधिक से अधिक अनुसंधान करने चाहिए। यूडीएच मंत्री खर्रा बुधवार को जिले के फतेहपुर में श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के संगठक कृषि महाविद्यालय के प्रशासनिक एवं अकादमिक भवनों का फीता काटकर उद्घाटन करने के बाद आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। समारोह में विशिष्ट अतिथी फतेहपुर-शेखावाटी विधायक हाकम अली खान, श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के कुलपति प्रोफेसर डॉ.बलराज सिंह, कृषि महाविद्यालय फतेहपुर-शेखावाटी के अधिष्ठाता प्रोफेसर हरफूल सिंह मौजूद थे।

यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि कीटनाशकों एवं रासायनिक खाद के अधिक प्रयोग से भूमि की उर्वरक शक्ति कम हुई है, इसलिए हमें प्राकृतिक खेती को बढ़ाने के संबंध में और अधिक काम करना होगा। उन्होंने कहा कि जैविक खेती से शुरू में उत्पादन भले ही कम हो लेकिन लंबे समय तक हम अधिक उत्पादन ले सकते हैं। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से जैविक खेती को प्रभावशाली बनाने के संबंध में अनुसंधान के साथ ही नवाचार करने पर बल दिया।

यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि भारत में आज भी सतही जल की प्रचुर मात्रा है लेकिन उसका संरक्षण नहीं होने की वजह से वह बहकर समुन्दर में चला जाता है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन एवं यांत्रिक खेती की वजह से प्राकृतिक भू—जल संग्रहण क्षेत्र कम हुआ है। उन्होंने यमुना जल समझौते के तहत भारत के हिस्से का अतिरिक्त पानी बहकर पाकिस्तान जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि किसनों की आर्थिक उन्नति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने कई सकारात्मक कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार जब तक देश का किसान खुशहाल नहीं होगा तब तक देश खुशहाल नहीं होगा, इसलिए खेती को फायदे का सौदा बनाकर ही 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना पूर्ण किया जा सकता है।

यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने किसानों को खेती के साथ-साथ खेती आधारित अन्य कार्य जैसे पशुपालन, उद्यानिकी, दुग्ध उत्पादन सहित अन्य कार्य भी करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि किसान एवं मजदूर वर्ग सामाजिक कुरीतियों से दूर रहकर फिजूल खर्ची को कम करें एवं बचत करें तथा अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा एवं अच्छे संस्कार प्रदान करें। उन्होंने कहा कि खेती-किसानी को सशक्त करने के लिए 2004 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में नदियों को जोड़ने का संकल्प लिया गया था। उन्होंने देश की नदियों को जोड़ने के संबंध में वर्तमान सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में सीकर जिले के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया गया।

कार्यक्रम में श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के कुलपति प्रोफेसर डॉ.बलराज सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय की 2013 में स्थापना हुई थी। उन्होंने कहा कि कृषि शिक्षा में आज 60 प्रतिशत छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रही है तथा निधि विश्नोई ने कृषि शिक्षा में भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने बताया कि नई कृषि शिक्षा निति से बच्चों को पढ़ाई करवाई जाएगी ताकि छात्र—छात्राएं अपना स्वरोजगार भी स्थापित कर सके। उन्होंने बताया कि फतेहपुर कृषि महाविद्यालय में छात्र—छात्राओं का छात्रावास, आॅडिटोरियम बनाने, भवनों के रिनोवेशन कार्य करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाया जा रहा है।

अधिष्ठाता प्रोफेसर हरफूल सिंह ने कृषि महाविद्यालय में कार्यरत विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने किसानों के हितकारी व उनकी समस्या के अनुरूप चल रहे परीक्षणों, बीज उत्पादन कार्यक्रम के बारे में मंत्री खर्रा को महाविद्यालय का भ्रमण कराकर अवगत करवाया। महाविद्यालय के उद्घाटन के पश्चात् लांयस क्लब की तरफ से स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का भी आयोजन भी किया गया जिसमें महाविद्यालय के स्टाफ एवं छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। समारोह में अधिष्ठाता प्रोफेसर हरफूल सिंह ने मुख्य अतिथि यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा को पुष्प गुच्छ व अशोक स्तम्भ का स्मृति चिह्न भेंट कर स्वागत किया। कार्यक्रम की शुरूआत महाविद्यालयी परिसर में पौधारोपण से हुई।

इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम में कृषि महाविद्यालय की छात्राओं ने आकर्षक प्रस्तुति दी। इस अवसर पर प्रगतिशील कृृषक सुण्डाराम कुमावत दांता, जगदीश पारीक अजीतगढ़, संतोष पचार बेरी, राहुल खेदड़ सहित अन्य कृषि वैज्ञानिक,समस्त शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक कर्मचारी मौजूद रहे।

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