किसान-जवान और ग्रामीण जीवन के हालात ठीक नहीं
दिल्ली/ चूरू, सांसद राहुल कस्वां ने सोमवार लोकसभा में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगे-प्रथम बैच पर हो रही चर्चा में भाग लेकर विभिन्न विषयों को सदन में रखा। उन्होंने कहा कि चूरू संसदीय क्षेत्र में 85% आबादी कृषि पर निर्भर है। सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र के लिए लगभग 25 योजनाएं संचालित की जाती हैं। सरकारें योजनाएं बहुत लॉन्च करती हैं लेकिन उनका क्रियान्वयन धरातल पर नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते आम आदमी लाभान्वित नहीं हो पा रहा है।
ऐसी ही एक योजना पीएम फसल बीमा योजना है जिसमें 1 साल से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद किसानों को फसल बीमा क्लेम नहीं मिल पा रहा है। सरकारें अपने हिस्से के प्रीमियम की राशि नहीं भरती हैं, जिसका नुकसान किसान को हो रहा है। किसान से समय पर प्रीमियम राशि ले ली जाती है, लेकिन सरकार अपना हिस्सा रिलिज नहीं कर पा रही हैं। राजस्थान की सरकार ने खरीफ-23 और रबी 2023-24 का प्रीमियम आज तक जमा नहीं करवाया है जबकि रबी वर्ष 2024-25 के सीजन चल रहा है। योजना की गाईडलाइंस कहती हैं कि किसान को बीमा क्लेम देने में देरी होती है तो ब्याज सहित राशि का भुगतान किया जायेगा, लेकिन ब्याज तो छोड़िए मूल राशि भी किसानों दो-दो साल तक नहीं मिल पा रही। भयंकर ठंड के बीच किसान अपने हक के लिए धरने प्रदर्शन को मजबूर है।
उन्होंने कहा कि बाजरे को MSP पर खरीदने और मिलेट ईयर की बातें खूब हुई। प्रदेश सरकार ने अपने संकल्प पत्र में बाजरा MSP पर खरीदने का वादा किया, लेकिन आज तक एक दाना भी क्रय नहीं किया। इसी तरह MSP पर मूंग खरीद कुल उत्पादन का 25% क्रय करने की बात करके राज्य सरकार ने मात्र 10% उत्पादन क्रय के पंजीयन होते ही पोर्टल को बंद कर दिया। मूंगफली खरीद में भी भारी भ्रष्टाचार है। सरदारशहर, सुजानगढ़, श्रीडूंगरगढ़ में किसानों से तुलाई हेतु पैसे मांगे जा रहे हैं जिसके कारण किसानों को सर्दी के इस मौसम में रातों में खुले आसमान के नीचे फसल लिए खडा़ रहना पड़ रहा है। सरकार बताए कि किसान आखिर कहां जाए ?
सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर को क्लियरिटी ही नहीं है। 10,000 एफपीओ खोले गए, लेकिन उनका काम क्या, क्या यूज है उसका पता ही नहीं। चूरू सहित राजस्थान में संचालित एफपीओ में खरीद केन्द्र तक नहीं खोले जा रहे, ये केवल फर्टिलाईजर विक्रय तक सीमित रह गए हैं। इसी तरह नमो ड्रोन दीदी योजना में आज तक चूरू जिले में सिर्फ एक ड्रोन मिला है।
सरकार की योजनाओं में इतनी कमियां हैं कि किसान को हर बार धरना प्रदर्शन करना पड़ता है। फिर भी सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है।
सांसद कस्वां ने कहा कि आरडीएसएस स्कीम में राजस्थान को 11 हजार करोड़ व चूरू संसदीय क्षेत्र को 350 करोड़ रूप मिले, लेकिन हुआ क्या ? दो साल बाद भी बिजली कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है। योजना में प्रावधान डाल दिया कि 50 हजार रू. तक के खर्च पर ढ़ाणियों में कनेक्शन देंगे! इस 50 हजार के क्लॉज के चलते राजस्थान जैसे विस्तृत भू-भाग में ढ़ाणियों में बिजली पहुंचाना संभव भी नहीं है, अत: सरकार इस क्लॉज का तत्काल हटाकर प्रति व्यक्ति एक लाख खर्च का प्रावधान करे। केन्द्र सरकार के 11 साल के बावजूद आज भी अकेले चूरू जिले में 48 हजार ढ़ाणियों में लाईट नहीं है।
ग्रामीण सड़कों की बात करें तो आज भी गांवों में सड़कों की जरूरत है लेकिन प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना-चतुर्थ में प्रावधान कर दिया कि 250 की आबादी से ऊपर के गांवों को जोड़ेंगे। सरकार इस प्रावधान को बदले और 150 की आबादी किया जाए और मल्टीपल कनेक्टिविटी का प्रावधान किया जाए। हमें ग्रामीण सड़कों की जरूरत है लेकिन राज्य सरकार के पैसा नहीं है। अत: केन्द्र सरकार पीएमजीएसवाई में गांव से गांव की मल्टीपल कनेक्टविटी प्रदान करने के लिए नये प्रावधान लागू करे।
सांसद कस्वां ने कहा कि सीआरआईएफ फंड से सेतु बंधन योजना के टैण्डर मार्च 2023 में हुए, लेकिन आज 2025 आने को है लेकिन काम चालू नहीं हो पाया है, क्योंकि रेलवे आज तक इसकी एनओसी नहीं दे पाया। पीएम गतिशक्ति का वो पोर्टल क्या काम कर रहा है जब रेलवे और सड़क परिवहन मंत्रालय आपस में समन्वय ही नहीं कर पा रहे।
एक ओर योजना ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ जिसमें बजट का प्रावधान ही नहीं किया। एक गांव के विकास हेतु जब वीडीपी बनवाई तो 25 करोड़ रू. की बनी। ये पैसा कहां से आए ? सांसद निधि तो सालाना 5 करोड़ रू. ही है पूरे संसदीय क्षेत्र के लिए। सांसद कोष 15 साल पहले भी 5 करोड़ था और आज भी वो ही है। एक पंचायत के हिस्से में एक लाख रू. सांसद निधि आती है जो आज के समय नाकाफी है, अत: सांसद निधि को भी बढ़ाया जाए और सांसद आदर्श ग्राम योजना के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय को अलग से फंडिग का प्रावधान करना चाहिए।