आजादी के महासंग्राम भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ पर होगा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आग़ाज़
झुंझुनू, राष्ट्रीय साहित्यिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में अगस्त क्रांति दिवस के उपलक्ष में आजादी के महासंग्राम “भारत छोड़ो आंदोलन” की वर्षगांठ पर शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित किया जायेगा। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव और सरकार द्वारा चलाये जा रहे घर-घर तिरंगा अभियान के तहत आदर्श समाज समिति इंडिया इलाहाबाद (प्रयागराज) जनपद की अध्यक्ष रेनू मिश्रा दीपशिखा, फरीदाबाद मंडल की अध्यक्ष कमल धमीजा, ओडिशा प्रदेशाध्यक्ष संघमित्रा राएगुरु, उत्तरी पश्चिमी दिल्ली की अध्यक्ष चंद्रमणि मणिका, लखनऊ से अनुजा मिश्रा व अलका अस्थाना, संगठन प्रचार प्रसार मंत्री भागमती कांटीवाल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष एडवोकेट मुजाहिद चौधरी, हरिद्वार जिलाध्यक्ष पूजा अरोरा, जम्मू कश्मीर से अनु अत्रि याद, इलाहाबाद से महक जौनपुरी व खुशी प्रयागराज, अजमेर से सुनीता जैन, गुजरात से अल्पा मेहता, नैनीताल से अमृता पांडे व बीना फुलेरा की अनुशंसा पर संस्थान ने अगस्त क्रांति दिवस के मौके पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है। ऑनलाइन कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न प्रांतों से कवि, लेखक और साहित्यकार भाग लेंगे। कार्यक्रम का संचालन प्रयागराज से श्रीमती रेनू मिश्रा द्वारा किया जायेगा। अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी लेखक संगठन (अमालेस) के अध्यक्ष माननीय प्रवीण तिवारी ‘रवि आभा’ कार्यक्रम में बतौर अतिथि मौजूद रहेंगे। राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित कराने में कवयित्री कमल धमीजा मुख्य भूमिका निभा रही हैं। आदर्श समाज समिति इंडिया की मुख्य वक्ता रेनू मिश्रा दीपशिखा व कमल धमीजा ने कहा- देश में आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है, ऐसे में हमें देश को आजादी दिलाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानियों को याद करना जरूरी है। देश के उन महान क्रांतिकारी वीर शहीदों को नमन करना जरूरी है, जिन्होंने आजादी की राह में अपने घर-परिवार की चिंता किये बगैर अपना सब कुछ देश के लिए बलिदान कर दिया। उनके बलिदान की बदौलत ही आज हमारी भारत माता गुलामी की बेड़ियों से मुक्त है। अगस्त माह भारत के स्वतंत्रता संघर्ष और मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण है। अगस्त 1942 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने “करो या मरो” का नारा देकर आजादी के महासंग्राम “भारत छोड़ो आंदोलन” का आगाज किया था। महात्मा गांधी की ललकार पर लाखों भारतीय अपने जीवन को देश की आजादी के लिए कुर्बान करने अपने घरों से निकल पड़े। भारत छोड़ो आंदोलन या अगस्त क्रांति एक ऐसा व्यापक आंदोलन था, जिसने अंग्रेजी शासन को हिलाकर रख दिया। 1942 की अगस्त क्रांति ने दुनिया को दिखाया कि आजादी मनुष्य का मूल अधिकार है और इसे पाने के लिए भारतीय कोई भी क़ीमत दे सकते हैं। भारत छोड़ो आंदोलन देश की आजादी के लिए लड़ी गई अंतिम लड़ाई थी। विभिन्न स्रोतों से आजादी की जो इच्छा और उसे हासिल करने की जो ताकत भारत में बनी थी, उसका अंतिम प्रदर्शन भारत छोड़ो आंदोलन में हुआ। स्वतंत्रता आंदोलन की सबसे अहम लड़ाई में देश के कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने गोलियां चलाई, जिसमें कई स्वतंत्रता सेनानियों की जान चली गई। हिंदुस्तान में आजादी मुफ्त में नहीं आई, इसके लिए हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिया था। आजादी का आनंद ले रहे करोड़ों देशवासियों और सत्ता का सुख भोग रहे नेताओं को यह समझने की आवश्यकता है कि आजादी हमें किन मूल्यों पर मिली थी।
चलो आज फिर से वो नजारा याद कर लें,
शहीदों के दिल में थी जो ज्वाला उसे याद कर लें,
जिस कश्ती में सवार हो आजादी पहुंची थी किनारे पर,
उन देशभक्तों के खून की वह अविरल धारा याद कर लें।