अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति
झुंझनूं , अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड रामचन्द्र कुलहरि ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गङकरी के कल के फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दिये गये वक्तव्य को समर्थन मूल्य से केंद्र सरकार का पीछा छुड़ाने का संकेत बताया है तथा विश्व व्यापार संगठन के दबाव में भारी सब्सिडी पर आधारित अमीर देशों की खेती से प्रतिस्पर्धा के भरोसे छोङकर भारतीय खेती को तबाही की तरफ धकेलने का संकेत है । कारपोरेट खेती के लिए संविदा खेती को बढ़ावा व कृषि उपज की खरीद तथा कृषि उपज मंडी संशोधन अध्यादेश इसी की दिशा में बढाया गया कदम है । अखिल भारतीय किसान महासभा पहले से ही इसके खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध की घोषणा कर चुकी है । एक टी वी चैनल को दिये गये इंटरव्यू में केंद्रीय मंत्री नितिन गङकरी ने कहा कि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य को बहुत ज्यादा बताते हुए इन्हें देश की अर्थव्यवस्था के लिए बङा खतरा बताया है । केंद्रीय मंत्री के वक्तव्य से स्पष्ट हो गया कि मोदी सरकार का देश के बङे पूंजीपतियों व धन्ना सेठों की चिंता है अर्थव्यवस्था में 6 प्रतिशत ग्रोथ देने वाले कृषि क्षेत्र के साथ यह उपेक्षा घोर निंदनीय है । यह वक्तव्य वह मंत्री दे रहा है जो कुछ दिनों पूर्व केंद्र सरकार के द्वारा खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने वाली मंत्री समुह की कमेटी में शामिल था । खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य जिसको बढाचढा कर ज्यादा बताया जा रहा था कुछ फसलों में वास्तव में पिछले पांच सालों में सबसे कम बढोतरी थी । कृषि उपज की खरीद व कृषि उपज मंडी संशोधन अध्यादेश एक राज्य से दूसरे राज्य में फसल बेचने की छूट दरअसल न्यूनतम समर्थन मूल्य से सरकार का पीछा छुड़ाने का परिचायक है जिसका 234 किसान संगठनों की अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति इसके खिलाफ विरोध दर्ज करवा रही है ।