राज्य सरकार प्रत्येक ग्राम पंचायत में खोलेगी गौशाला
झुंझुनूं, जिले में अब किसानों को जल्द आवारा पशुओं से मुक्ति मिल सकेगी। आवारा पशुओं के चलते फसलों को होने वाले नुकसान पर भी लगाम कसी जा सकेगी। दरअसल यह राज्य सरकार की पशु आश्रय स्थल जनसहभागिता योजना के तहत होगा। योजना के तहत जिन ग्राम पंचायतों में गौशालाएं नहीं है, वहां ग्राम पंचायत गौशाला अथवा पशु आश्रय स्थल खोलने का प्रावधान किया गया है। जिला कलक्टर डॉ खुशाल ने इस संबंध में शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभागार में पशुपालन विभाग के अधिकारियों और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर विस्तृत कार्य योजना बनाई है। योजना का उद्देश्य निराश्रित गौवंश के पालन-पोषण से उनके जीवन स्तर में सुधार लाना, गौवंश से होने वाली दुर्घटनाओं में कमी लाना और आवारा गौवंश के अनियंत्रित प्रजनन में कमी लाना है।
एनजीओ भी खोल सकते हैं पशु आश्रय स्थल:
जिला परिषद के सीईओ जवाहर चौधरी व पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ रामेश्वर सिंह ने बताया कि जिले में 227 ग्राम पंचायते गौशाला विहीन हैं। राज्य सरकार द्वारा चरणबद्ध रूप से पशु आश्रय स्थल खोले जाएंगे। योजना के तहत ग्राम पंचायत अथवा चयनित गैर सरकारी संस्था यानी एनजीओ इनका निर्माण एवं संचालन करेंगे। इसके लिए संबंधित ग्राम पंचायत अथवा एनजीओ के पास पशु आश्रय स्थल के लिए 5 बीघा भूमि स्वयं की अथवा लीज की या 200 गौवंश की गौशाला होना आवश्यक है। 200 गौवंश की देखभाल का कार्य न्यूनतम 20 वर्ष तक करना होगा। जिन पंचायतों में पहले से गौशाला या नंदीशाला स्थापित नहीं है, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। संचालन करने वाली संस्था का चयन पारदर्शी प्रक्रिया से जिला गोपालन समिति द्वारा ऑफ लाईन खुली निविदा जारी कर किया जाएगा। जिला गौपालन समिति का दायित्व पशु आश्रय स्थल स्थापित करने का रहेगा, जिसमें जिला कलक्टर अध्यक्ष एवं पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक सदस्य सचिव होंगे। वहीं जिला परिषद सीईओ, कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक, पीडब्ल्यूडी के अधिशाषी अभियंता और कोषाधिकारी सदस्य होंगे। वहीं पंचायत समिति स्तर पर निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच, मूल्यांकन और मोनिटरिंग के लिए समिति होगी, जिसके अध्यक्ष उपखंड अधिकारी एवं सदस्य सचिव पशुपालन विभाग के उप निदेशक होंगे, वहीं बीडीओ और पंचायत समिति अथवा सानिवि के सहायक अभियंता सदस्य होंगे।
राज्य सरकार देगी 90 फीसदी अंशदान:
राज्य सरकार इन पशु आश्रय स्थलों के निर्माण के लिए 90 फीसदी अंशदान 3 किश्तों में देगी। वहीं 10 फीसदी राशि का वहन संस्था को करना होगा। इसके तहत अधिकतम 1 करोड़ रुपए की राशि से काऊ शैड, चारा भंडार ग़ृह, बाऊंड्री वॉल, ग्रेवल रोड़. इंटरलॉकिंग टाईल्स, प्रशासनिक भवन, चिकित्सा सुविधा, अंडरग्राऊंड वाटर टैंक, ट्यूबवैल, पानी की खेली, चारा ठाण, पानी की निकासी, विद्युत संबंधी कार्य, गोपालक आवास और अन्य निर्माण करवाए जा सकेंगे।