स्थायी एवं अनवरत लोक अदालत ने जिले में 15 दिवस में वैज्ञानिक रूप से स्पीड ब्रेकर बनाये जाने के दिये आदेश
टूटे हुये डिवाईडर की लोहे की किलो को तुरंत प्रभाव से निकालने के दिये आदेश
झुंझुनूं, झुंझुनू स्थित स्थायी एवं अनवरत लोक अदालत द्वारा हाल ही में दिये गये एक आदेश में तत्कालीन पीठासीन अधिकारी हेमंत कुमार जैन एवं दो सदस्यों ने अधीक्षण अभियंता सार्वजनिक निर्माण विभाग झुंझुनूं को आदेश दिया है कि वे खेतड़ी, सिंघाना राजमार्ग -13 एवं झुंझुनूं जिले में लोक निर्माण विभाग द्वारा पोषित की जा रही अन्य समस्त सडक़ो पर 15 दिवस के भीतर-भीतर टूटे हुये डिवाईडर के पश्चात बची हुयी लोहे की किलो को तुरंत प्रभाव से निकाले तथा वहां पर सिमेंट, कंकरीट अथवा डामर की व्यवस्थित वैज्ञानिक रूप से स्पीड ब्रेकर निर्माण करे जो लगभग तीन फुट लम्बाई में स्लोप बनाते हुये और वापस तीन फुट की लम्बाई में स्लोप उतारते हुये बनाये जाये और उस पर गहरे सफेद रंग की जेबरा लाईन भी की जाये। इस मामले में एडवोकेट अनसुमन सिंह शेखावत एवं जयप्रकाश झाझडिय़ा ने अधीक्षण अभियंता पीडब्ल्यूडी झुंझुनूं व राज्य सरकार के विरूद्ध एक परिवाद किया था कि सडक़ हादसो को रोकने के लिये पीडब्ल्यूडी की और से लगाये गये स्पीड ब्रेकर हादसो को बढ़ा रहे है तथा स्टेट हाईवे, जिले के अन्य मार्गो पर पीडब्ल्यूडी द्वारा लगाये गये प्लास्टीक स्पीड ब्रेकरो का ऊपरी हिस्सा टूट गया है लेकिन उसमें लगी किले सडक़ पर ही गड़ी रह गयी है। ब्रेकर टूट जाने से केवल अब किले ही बची रह गयी है जो परिवादीगण व अन्य वाहन चालको के लिये परेशानी का सबब बनी हुयी है जिससे दुर्घटना होती रहती है। यह किले वहां से गुजरने वाले वाहनो के टायरो में घुस जाती है जिससे टायर ब्लास्ट हो जाते है और दुर्घटना हो जाती है। न्यायालय ने इस सम्बन्ध में विपक्षीगण पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता आदि को नोटिस भी जारी किये किन्तु अधीक्षण अभियंता की और से कोई भी उपस्थित नही हुआ जिसे स्थायी लोक अदालत ने गंभीरता से लिया कि एक तो वे लापरवाही करते है और दूसरा अदालत द्वारा तलब करने पर नही असालतन अथवा वकालतन अदालत में उपस्थित होते है। इस तरह पीडब्ल्यूडी तथा जिला प्रशासन का ऐसा रवैया उचित नही है। इस प्रकार यह मामला प्रशासन, सुरक्षित परिवहन और जनहित से जुड़ा हुआ मामला है तथा प्रशासन और पीडब्ल्यूडी पूर्णत: असंवेदनशील हो गयी है जो अखबार में आने के बावजूद भी और इस अदालत द्वारा बार-बार तलब किये जाने पर भी कोई रेस्पोन्स नही दे रहे है। अदालत ने उक्त आदेश के साथ-साथ अधीक्षण अभियंता पर एक हजार रूपये हर्जाना अर्धारोपित किये जाने के आदेश देते हुये यह भी आदेश दिया कि यह हर्जाना अधीक्षण अभियंता पर व्यक्तिश: रहेगा और वे एक माह के भीतर उक्त हर्जाना राशि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करायेंगे। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि जिलाधीश पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता के साथ बैठक कर स्पीड ब्रेकर के बारे में एक सुरक्षा प्रकोष्ठ की स्थापना करे व जिले में सभी जगह व्यस्थित व वैज्ञानिक स्पीड ब्रेकर बनाये। न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि जिला कलक्टर आवास और जिला न्यायाधीश आवास के समक्ष जो स्पीड ब्रेकर है उस पर भी किसी प्रकार की जेबरा लाईन नही है, उस पर भी वाहन कई बार उछल जाते है। इस स्थायी लोक अदालत में सदस्यगण जेनेन्द्र वैष्णव व बूंटीराम मोटसरा भी उपस्थित थे।