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जिले के पंच गौरव : राज्य सरकार नीति बनाकर इन्हें विश्व स्तरीय प्रोत्साहन दिलाएगी

एक उपज — प्याज, एक प्रजाति — अरडू, एक उत्पाद — लकड़ी के फर्नीचर, एक पर्यटन स्थल — खाटूश्यामजी, एक खेल —बॉस्केटबॉल सीकर के पंच गौरव

सीकर, जिले के पंच गौरव तय राज्य सरकार नीति बनाकर इन्हें विश्व स्तरीय प्रोत्साहन दिलाएगी। राज्य सरकार ने हर जिले में पांच चीजों को प्रमोट करने के लिए पंच गौरव में शामिल किया है। सीकर में एक उपज — प्याज, एक प्रजाति — अरडू, एक उत्पाद — लकड़ी के फर्नीचर, एक पर्यटन स्थल — खाटूश्यामजी, एक खेल —बॉस्केटबॉल का चयन किया है। प्याज की उपज और प्रोसेसिंग का सीकर में करोड़ों का कारोबार है और हजारों परिवारों को रोजगार मिल रहा है। जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा ने बताया कि जिले में पंच गौरव चिंहित किए हैं। जिनमें प्याज,अरडू,लकड़ी के फर्नीचर,एक पर्यटन स्थल खाटूश्यामजी,बॉस्केटबॉल को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जाएगा।

अरडू : राजस्थान में जयपुर, अलवर, सीकर, झुंझंनु में पाया जाता है। ग्रामीण अंचल में कृषि वानिकी के लिए उपयुक्त पत्तियां चारा के रूप में व छंगाई से ईधन के लिए लकड़ी एवं व्यावसायिक उपयोग के लिए लकड़ी प्राप्त होती है। सीकर जिले में यह पेड़ 5 वर्ष बाद में हरे चारे के रूप में 15-20 किग्रा व 5 किग्रा ईंधन लकड़ी तथा 10 से 20 वर्ष बाद 50-60 किग्रा हरा चारा व 10 किग्रा तक ईंधन लकड़ी प्रदान करता है, जिसकी वर्तमान में बाजार दर 600 से 800 रूपये प्रति क्विंटल है।

बास्केटबॉल :—राजस्थान में बास्केटबॉल खेल प्रचलित खेलों में से एक है। सीकर जिले में बास्केटबॉल खेल को नर्सरी के रूप में जाना जाता हैं, जिसमें सब जूनियर, यूथ, जूनियर, सीनियर, ओपन एवं स्कूल, विश्वविद्यालय, खेलो इंडिया यूथ गेम्स में राज्य, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिनिधित्व करते हुए मेडल प्राप्त कर सीकर जिले का मान-सम्मान बढ़ाते हुए गौरवान्वित किया है। युवाओं ने खेल कोटे के माध्यम से रोजगार भी प्राप्त किया है। जिले का दूजोद गांव बास्केटबॉल के राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय खिलाडियों के लिए अपनी एक अलग पहचान रखता है।

प्याज :— सीकर जिले में उद्यानिकी फसलों के अन्तर्गत प्याज एक प्रमुख फसल है। सीकर जिले का प्याज राज्य में अपने आकार एवं स्वाद में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। इसका आकार तथा स्वाद में मीठापन शेखावाटी के प्याज की पहचान होता है। सीकर जिले में प्याज की खेती मुख्य रूप से रबी सीजन में की जाती है। प्याज की खेती वैसे तो जिले की सभी तहसीलों में की जाती है. परन्तु मुख्य रूप से इसकी खेती सीकर ग्रामीण, लक्ष्मणगढ़, धोद, दांतारामगढ़ व नेछवा तहसीलों में प्रमुख रूप से की जाती है। जिले में इस फसल का औसत क्षेत्रफल 13000 हैक्टेयर है, जिसमें औसतन 351000 मैट्रिक टन प्याज का उत्पादन होता है। जिले में प्याज की औसत उत्पादकता 2700 किलो ग्राम प्रति हैक्टेयर है। सीकर जिले में प्याज की फसल की बाजार में आवक मुख्य रूप से जनवरी से मई माह तक होती है।

खाटूश्यामजी :— सीकर जिले में स्थित विशेष आध्यात्मिक व धार्मिक स्थलों में मां शाकम्भरी, जीणमाताजी व खाटूश्यामजी हैं, जिनमें से जिले में स्थित खाटूश्यामजी का मंदिर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। खाटूश्यामजी मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्दी में हुआ था। खाटूश्यामजी का मंदिर राजपूत और मुगल शैली की मिश्रित वास्तु कला का अद्भुत उदाहरण है। संगमरमर और चूने के पत्थरों से निर्मित इस मंदिर की दीवारों और दरवाजों पर उत्कृष्ट नक्काशी की गई है। खाटूश्यामजी मंदिर में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। फाल्गुन मास (फरवरी-मार्च) में आयोजित फाल्गुनी मेला यहां का मुख्य आकर्षण होता है।

लकड़ी के फर्नीचर:— सीकर जिले में स्थित उपखण्ड क्षेत्र रामगढ़ शेखावाटी पुरानी हवेलियों और धनाढ्य सेठों के लिए जाना जाता है। पिछले 30-35 वर्षों से इस क्षेत्र में हस्तशिल्प फर्नीचर का काम सबसे पहले जौहरी परिवार द्वारा शुरू किया गया था। इनके उत्पादों की विशिष्टता एवं विदेशों में बढ़ती मांग को देखते हुए इस क्षेत्र में छोटी-छोटी फैक्ट्रियां स्थापित की जाने लगी, जिसे देखते हुए रीको द्वारा औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया गया, जिसमें अधिकांश लकड़ी के फर्नीचर की इकाईयां स्थापित हैं। इस क्षेत्र में लगभग 50 इकाईयां स्थापित हैं। जिनमें से 5 इकाईयां सीधे निर्यात की जाती हैं। शेष निर्यातकों और स्थानीय बाजार में बेची जाती हैं। प्रमुख हस्तशिल्प उत्पाद कैबिनेट, प्लाई बोर्ड, कॉफी टेबल, साईड टेबल और टेबल, अलमारी, टीवी स्टैंड, आरामदायक कुर्सियाँ आदि है, इसे राज्य सरकार द्वारा अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाएगा

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