दो किलोमीटर दूर से पानी लाते-जाते समय व खेतीबाड़ी का काम करते की पढ़ाई
गीता ने विद्यालय के लिए तीन बीघा जमीन राजहित में समर्पित की
दांतारामगढ़ (लिखासिंह सैनी) इस साल शिक्षक दिवस पर राजस्थान की एक मात्र रा.शि.क.प्रा.विद्यालय सरुपोणी मालियों का वास सरकापार बांदरा जिला बाड़मेर की प्रबंधक शिक्षिका गीता माली राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से 5 सितंबर को दिल्ली में सम्मानित होगी। गीता माली ने जानकारी देते हुए बताया की उन्होंने कक्षा एक से आठ तक की पढा़ई शिव गांव की बालिका विद्यालय से की वो भी समाज के ताना- बाना से आगे की पढा़ई की इच्छा जताई तो पिता ने मनाकर दिया ओर कहा बेटी के लिए इतनी पढा़ई बहुत है ,तो गीता ने अपने पिता को कहा भाईयों को पढा़ रहे हो ओर मेरे को घर का काम करने के लिए घर रख रहे हो तो पिता ने बताया की लड़कियों को लड़के के साथ नहीं पढ़ा सकते है । पिता का लड़की लड़को में यह दुभात देकर गीता दो साल तक परिजनों से रुठी रही ओर सन् 2000 में गीता की कवास गांव के लक्षण राम पुत्र रेवन्ता राम के साथ शादी कर दी । जैसे ही गीता ससुराल आई तो गांव की महिलाएं कहने लगी की बहू पढ़ी लिखी आई है देखते है घर का कामकाज कैसे करेगी। ससुराल की लड़कियों से गीता ने पुछा तो बताया की यहां की लड़कियों तो स्कूल जाती ही नहीं है। लड़के भी 12वीं तक पढ़कर काम धंधा करने लग जाते है। तब गीता ने मन ही मन सोचा की अब मेरी पढा़ई का क्या होगा। फिर कैसे जैसे पिताजी से पढा़ई की जिद्दी कर के प्राईवेट से दसवीं पास की 2002 में शिक्षाकर्मी बोर्ड की टीम गीता के गांव तक पहुंची। बोर्ड की योजना दूरदराज गांव ढाणियों में स्कूल खोलना था। टीम के साथ गीता के पिता भी साथ थे गीता की आगे पढ़ने की जिद्द ने पिता ने ससुराल पक्ष वाले से बात की तो जबाब मिला की आपकी बेटी नौकरी करेगी तो बेटा चुल्हा चोका करेगा क्या। टीम ने घर के दो लोगों को सरकारी नौकरी लगाने व मानदेय 1200 रुपये देने की बात कही तो कैसे जैसे गीता के ससुराल वालों ने गीता के पति के हिस्से की उनके ससुर रेवन्ताराम पुत्र आशु माली निवासी सरकापारा बांदरा खसरा संख्या 998/732 रकबा की तीन बीघा जमीन विद्यालय के लिए राजहित में दान की तब बोर्ड ने गीता को योजना में शामिल किया । गीता का पति व ससुर खेतीबाड़ी का काम करते है गीता के एक लड़का व एक लड़की है । कार्यग्रहण का आदेश आते ही पेड़ के निचे कक्षा एक चालू कर पढा़ना शुरू किया तो पांच साल में नामांकन संख्या 75 हो गई । साथ-साथ में गीता ने भी आगे की पढ़ाई जारी रखी ओर सन् 2003 में 12 वीं की परीक्षा दी परंतु अंग्रेजी विषय पास नहीं कर पाई फिर अगले साल 12 वीं पास की ओर उसके बाद पढ़ने का तरीका बदला घर खेत का कामकाज करते समय प्रश्न उत्तर की छोटी-छोटी पर्चियां बनाकर दो किलोमीटर दूर से पानी लाते व जाते समय पढ़ती थी। परीक्षा के समय पीयर में जाकर परीक्षा देना। सन् 2005 में बी.ए प्रथम वर्ष पास की उन दिनों सरकारी आदेश आया की 12 वीं पास वालो को पत्रचार से बीएसटीसी कराया जायेगा तो गीता का ओर मनोबल बढ़ गया ओर पढ़ाई निरतंर जारी रखी । बीएसटीसी में बहुत समस्या का सामना करना पड़ क्योंकि उसमें सफेद साडी वाली युनिफोर्म पहननी पड़ती थी। प्रक्षिक्षण सेंटर पर युनिफोर्म पहनना ओर वहीं बदलकर आना नहीं तो समाज कहता बहू को सफेद पहना दिया। इसी सत्र में 21 अगस्त 2006 में कवास गांव में आया बाढ़ ने गीता की जिदंगी की रफ्तार में कोहराम मचा दिया । उस बाढ़ग्रस्त से कवास गांव के आसपास के 36 लोगों की मोत हो गई जिसमें 15 बच्चे गीता के विद्यालय के थे । इन दुखः के कठिन समय में घोरो ओर टेंट में गीता ने स्कूल चलाया । साथ ही पत्रचार से बीएसटीसी की जा रही थी, बीएसटीसी करने पर सन् 2008 में साक्षात्कार द्वारा गीता को स्थाई कर्मचारी माना गया । सन् 2009 में गीता ने बी.ए पास कर लिया ओर सन् 2011 में समाज को समझने के लिए समाजशास्त्र में एम.ए किया । समाजशास्त्र विषय में अजानता अंधविश्वास, कुरितियों, रुढ़िवादिता को गीता ने पढ़ा ओर समझा । इन बेडियों से लड़ने के लिए गांव की महिलाओं व लड़कियों को पढ़ाने का काम किया साथ ही गीता ने तीन विषय में एम.ए कर लिया । विद्यालय में कमजोर वर्ग की लड़कियों को गीता ने पढ़ाया जिसमें एक लड़की तृतीय श्रेणी की शिक्षिका जसोल में अध्ययन करा रही है । आज गीता के गांव की महिलाएं आंगनबाड़ी में कार्यकर्ता आशा सहयोगिनी है बालिकाएं बी.ए तक पढ़ाई कर रही है एक घर में तीन महिलाएं सरकारी नौकरी कर रही है कभी वर्षों पहले लड़कियों को पढ़ाया नहीं जाता था आज पढ़ रही हैं तो हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर रही हैं । गीता की स्कूल की गतिविधियों को देखकर शिक्षा विभाग ने तहसील व जिला स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है । गीता वर्तमान में पुलिस प्रशासन का भी अध्ययन कर रही है । गीता को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयन होने पर क्षेत्र में खूशी का माहोल है। घूघट तेरा लज्जा का मान है पैनी निगाहे तेरी तीर कमान है , तु ही गौरव का गान है तु ही देश का मान है ।