वर्तमान में पशु चारे के बढते भाव एवं उपलब्धता में कमी केे मध्यनजर
चूरू, पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. धनपत सिंह चौधरी ने बताया कि वर्तमान में पशु चारे के बढते भाव एवं उपलब्धता में कमी केे मध्यनजर राज्य सरकार ने पशु चारा को ईंट भट्टा पकाने अथवा गत्ता बनाने आदि में काम लेने पर रोक लगा दी है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिले में सूखे पशु चारे जैसे पराली, गेहूं का भूसा, मूंगफली चारा, बाजरे की कुतर आदि अन्य चारे पशुओं की संख्या के अनुरूप कम उपलब्ध हो रहे हैं तथा साथ ही यह भी संज्ञान में लाया गया है कि कुछ ईंट भट्टा पकाने में गेंहू भूसा, ग्वार, सरसों आदि का भूसा व पराली का उपयोग किया जा रहा है, जिससे एक तो चारा कम उपलब्ध हो रहा है तथा साथ ही भाव भी बेतहाशा बढे हैं, इससे पशुओं के सामने चारे का संकट पैदा हो गया है। अतः राज्य सरकार ने ईंट-भट्टों पर उपरोक्त प्रकार के पशु चारे के उपयोग पर पाबन्दी लगा दी है। अगर कोई भी ईंट भट्टे का मालिक उपरोक्त प्रकार के चारे का प्रयोग ईंट भट्टा पकाने में करता हुआ पाया जाता है तो उसके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।
डॉ. निरंजन चिरानिया जिला गौशाला प्रभारी ने बताया कि वर्तमान में जिले में पशु चारे की आवक में कमी एवं अत्यधिक भावों के मध्यनजर राज्य सरकार ने पशु चारा अन्तर्गत साईलेज को पशु चारे के रूप में अनुमत करने की आज्ञा जारी की है। गौशालाओं द्वारा पशु चारे के रूप में साईलेज की खरीद की जाने पर आगामी सहायता में साईलेज के बिलों का पुनर्भरण गोपालन विभाग द्वारा कर दिया जायेगा। साईलेज पशुओं के लिए गुणकारी एवं पौष्टिक आहार है, जिसे सूखे चारे में मिलाकर प्रयोग करने से पशुओं को आवश्यक पौषक तत्व प्राप्त होंगे एवं उनका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। साथ ही पशु चारे पर किये जाने वाले व्यय को कम किया जा सकेगा। इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी पशुपालन विभाग चूरू के संयुक्त निदेशक कार्यालय से किसी भी कार्य दिवस में प्राप्त की जा सकती है।