कोरोना संक्रमण की रोकथाम की व्यवस्थाओ को लेकर
झुंझुनू, वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण और रोकथाम की जिस गति से रोकथाम होनी चाहिए लॉकडाउन के चलते वैसी स्थिति अभी तक झुंझुनू मुख्यालय पर ही नहीं है तो ग्रामीण क्षेत्र में दूर की कौड़ी साबित हो रही है। वहीं आए दिन खाद्य सामग्रियों के कालाबाजारी की शिकायतें दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही रोजमर्रा के दैनिक जीवन में काम आने वाली वस्तुओं के भाव भी आसमान छूने लगे हैं। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते प्रधानमंत्री मोदी द्वारा देश में लगाए गए लॉकडाउन के तहत आम जनता अपने आप को घरों में कैद किए हुए हैं। वहीं राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी यह बात मुख्य रूप से कह चुके हैं कि राज्य में किसी को भी भूखा नहीं सोने दिया जाएगा। उसके लिए जो भी आर्थिक मदद होगी वह संपूर्ण राजस्थान के लिए व्यवस्था की जाएगी लेकिन झुंझुनू जिले में एक तरफ आपदा प्रबंधन में प्रशासन विफल रहा है। वहीं भामाशाह दिल खोलकर इस संकट की घड़ी में जनता के लिए राहत सामग्री के साथ-साथ अन्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए तत्पर है। जिला प्रशासन मुख्यमंत्री द्वारा राहत पैकेज के नाम पर दिए गए पैसों का भी सदुपयोग अभी तक नहीं कर पाए है। झुंझुनू जिला कलेक्टर यूडी खान अभी तक अपने मातहत कर्मचारियों की कुंडली से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं जो उन्हें भ्रमित करने में लगे हुए हैं। इसी के चलते उनकी जिला मुख्यालय पर स्थित मातहतों के ऊपर कोई लगाम नहीं देखी जा रही है। जिले के अंदर अन्य प्रदेशों से के साथ अन्य जिलों से मजदूर वर्ग जो झुंझुनू में कार्य कर रहे थे। उनका पलायन दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।प्राप्त समाचारों के अनुसार शुक्रवार को भी झुंझुनू से ग्वालियर के लिए लोग छोटे-छोटे बच्चों सहित पैदल ही निकल पड़े थे।जिसे मीडिया द्वारा अवगत कराने पर उनका पलायन को रोका गया था। ऐसा ही माजरा आज शनिवार को भी देखने को मिला जिले के उदयपुरवाटी क्षेत्र से सामने आया जहां तकरीबन 60 आदमियों का काफिला झुंझुनू जिले से पैदल ही सड़क मार्ग होते हुए अलवर जाने की फिराक में था। वहीं कुछ लोग मध्यप्रदेश के भी इस काफिले में शामिल थे। जिन्हें मीडिया द्वारा तत्परता से प्रशासन को सूचित करते हुए प्रशासन के द्वारा रुकवाया गया। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि लॉकडाउन के चलते वह भी एक काफिले के माध्यम से सड़कों पर निकल रहें तो लॉकडाउन का असर यहां कैसे शत-प्रतिशत हो सकता है।ऐसी विफलता के पीछे जानकारों का मानना है कि पंचायत स्तर पर ग्राम सेवक अपने अपने क्षेत्र से ऐसी लोगों के झुंड को चाहते हैं कि वे उनके क्षेत्र से निकल जाए। जिससे उन्हें ऐसे लोगों की कोई व्यवस्था ना करनी पड़े। अपनी आफत निकालने के चक्कर में हर अधिकारी कर्मचारी लगे हुए हैं,आखिर जिला प्रशासन ऐसे मातहत कर्मचारियों के ऊपर कब लगाम लगाने में सफल होगा।कुछ कहा नहीं जा सकता।इ न सब घटनाक्रम के चलते झुंझुनू के लोगों का मानना है कि यदि तत्कालीन जिला कलेक्टर रवि जैन आज झुंझुनू की बागड़ोर संभाले होते तो नजारा कुछ और होता। ऐसी स्थिति में लगता है कि पूर्व जिला कलेक्टर रवि जैन की याद में झुंझुनू की जनता बेचैन हो रही हो।