फीस माफी हेतु राजस्थान हाइकोर्ट में लगी जनहित याचिका में
झुंझुनू, कोरोना के कारण लॉकडाउन के चलते स्कूल फीस माफी हेतु लगाई गई जनहित याचिका में अपना पक्ष रखने के लिए निजी स्कूलों की ओर से राष्ट्रीय संगठन निसा के साथ मिलकर स्कूल क्रांति संघ, जयपुर, प्राइवेट स्कूल टीचर्स यूनियन, तथा सहायक कर्मचारी संगठन पार्टी बनाए जाने की एप्लीकेशन नियम/धारा 10 के अंतर्गत लगाने जा रहे हैं। इस विषय पर बोलते हुए स्कूल क्रांति संघ की अध्यक्ष हेमलता शर्मा ने कहा कि यदि न्यायालय याचिका को स्वीकार कर अभिभावकों को फीस में राहत देने का /रोक लगाने का कोई भी आदेश/अंतरिम आदेश दे देता है तो 55000 निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले लाखों टीचर्स तथा सहायक कर्मचारी, बस ड्राइवर्स आदि का वेतन खटाई में पड़ जायेगा। स्कूल फीस से ही इन टीचर्स तथा सपोर्ट स्टॉफ के घर का चूल्हा जलता है। निसा के राजस्थान प्रान्त प्रभारी डॉ दिलीप मोदी ने बताया कि गत सत्र में वार्षिक परीक्षाओं से पूर्व ही कोरोना संकट व लॉक डाउन के कारण स्कूलें बीच में ही बंद करनी पड़ी थी। अधिकांश कम बजट की प्राइवेट स्कूलों में परीक्षाओं के समय ही बकाया फीस प्राप्त होती है जो कि इस वर्ष अब भी कई स्कूलों में 30 से 40{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56} तक बकाया चल रही है। जबकि कोई भी निर्णय उच्च वर्ग के साधन सम्पन्न मात्र लगभग 500 -1000 स्कूलों को ध्यान में रख कर ले लिया जाता है, जबकि शेष 54000 स्कूल पहले से ही बहुत ही आर्थिक तंगी से झुंझ रहे हैं। संकट की इस घड़ी में हम अभिभावकों की समस्या को भी बखूबी समझते हैं, किंतु उन्हें भी उनके बच्चों के भविष्य व स्कूल टीचर्स तथा सपोर्ट स्टॉफ के परिवारों की समस्या को भी समझना होगा जिनका एकमात्र रोजगार यही है। उल्लेखनीय है कि लॉक डाउन खुलने के बाद जब स्कूलें खुल जाएगी तब एक-एक महीने करके धीरे धीरे करके किश्तों में फीस जमा करवाने की सुविधा अभिभावकों को देने में स्कूल संचालक पूर्ण सहयोग करने को तैयार हैं और किसी भी प्रकार का विलंब शुल्क या दंड भी नहीं लिए जाने को भी सहर्ष तैयार हैं, तथा किसी पर ना ही फीस जमा करने का कोई दबाव ही बना रहे है, और ना ही किसी का नाम ही स्कूल से काटा जा रहा है, किंतु फीस माफी किसी कीमत पर नहीं दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि सरकारी व निजी बैंक तक ने भी EMI/किश्त तथा ब्याज 3 महीने लेना स्थगित किया है किंतु ब्याज / EMI माफ नहीं किया है। यहाँ तक कि विलंब से जमा होने के कारण ब्याज पर ब्याज भी लिया जा रहा है। इसके अलावा स्कूल के सारे फिक्स खर्चे, किराया, बिजली, अर्बन डेवलोपमेन्ट टैक्स, टेलीफोन, पानी, इंटरनेट, PF, ESIC, बस इंश्योरैंस, बालवाहिनी परमिट रिनीवल, फिटनेस, किश्तें, मेंटेनेन्स, डेप्रिसिएशन आदि सभी खर्चे यथावत ही हैं। हेमलता शर्मा तथा डॉ दिलीप मोदी ने संयुक्त रूप से बताया कि यदि अभी अनायास छुट्टियाँ हो भी गयी है तो भी एक्स्ट्रा क्लास लेकर, रविवार, दीपावली, शीतकालीन तथा अन्य छूट्टीयों को कम करके इन छुट्टीयों की क्षतिपूर्ति कर दी जाएगी तथा पूरा कोर्स करवाने समेत समस्त वार्षिक दायित्व हमेशा की तरह पूर्ण किये जायेंगे। अतः फीस माफ करने का तो कोई कारण ही नहीं है। फिर भी किसी कारणवश यदि अभिभावकों को फीस माफी मिल जाती है तो फिर फीस या तो केंद्र/ राज्य सरकार दें या हज़ारों की संख्या में स्कूल बंद हो जाएंगे और लाखों टीचर्स व सपोर्ट स्टॉफ बेरोजगार हो जाएगा तथा बिना पढ़ाई के बच्चों का भविष्य अंधकार में चल जाएगा व प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था चौपट हो जाएगी। इस पक्ष को मजबूती प्रदान करने के लिए निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने राष्ट्रीय स्तर पर हर संभव कानूनी सलाह, व आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया है।