किसान श्यामलाल कुमावत की कड़ी मेहनत के बल पर
चिराना(कैलाश बबेरवाल) ग्राम पंचायत में भी अब महकेगा गुलाब। मेहनत का फल हमेशा मीठा होता यह बात सुनते ही हमे सकारात्मक सोच मिलती है। जब कोई कड़ी मेहनत के बल पर जब मूर्त रूप देता है तो फिज़ा निश्चित ही बदली हुई नजर आती है। यानी हमारे द्वारा किया काम जब अपना रंग दिखता है तो गुल गुलशन में बदल जाता है। कुछ ऐसा ही मेहनत का काम ग्राम के मिर्ची, बैगन व टमाटर की पोध तैयार करने वाले प्रोग्रेसिव किसान श्यामलाल कुमावत ने किया है। अब गुलाब की खेती के लिए लगातार चार साल की कड़ी मेहनत के बाद इनकी मेहनत रंग लाई है। उनकी मेहनत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है। इनके द्वारा तैयार की जा रही गुलाब की खेती कई जनों को आजीविका देने वाली बन गई है। आपको बता देवे की अरावली की वादियों में बसे कोट ग्राम में भरपूर गुलाब के फूलों की पैदावार लेने के बाद अब इन्होंने अपनी पैतृक जमीन जो गणेश मंदिर के पास बनी टोड पुरा लिंक रोड़ पर है। उसमें गुलाब की पोध तैयार की है। जो साल भर बाद में लहलहाती वाडी की शक्ल में दिखाई देगी और इधर से गुजरते राहगीरों की आंखो को शकुन देने वाली भी होगी। एक अनुमान के अनुसार करीब दस बीघा कोट स्थित पारीक की जमीन में अपनी कड़ी मेहनत के बल पर अच्छी पैदावार लेने के बाद यह प्रयास यहां किया है और सफल भी होता दिख रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इसकी निराई, गुड़ाई से लेकर फूल तोड़ने तक के कार्य में करीब 20-25 लोगो को फसल तैयार करने में रोजगार मिलता है। जब गुलाब की फसल तैयार हो जाती है तो सीकर व चोमू की फूल मंडी में इनकी सप्लाई की जाती है। वहां इनके भाव भी सावे के हिसाब से अच्छे मिलते है। एक दिन में 50-60 किलो से लेकर ढेड क्विंटल तक फूल उतरते हैं। अच्छी फसल के लिए जैविक खाद व ड्रिप सिस्टम से पानी दिया जाता है। गर्मियों में तीन चार दिन के अंतराल से दिया जाता है तो वहीं सर्दियों में सात आठ दिन के गैप से सिंचाई की जाती है। अच्छी पैदाइश के लिए उन्होंने एक बात और बताई की दोमट वाली मिट्टी इसके लिए उपयुक्त होती है देखा जाए तो यह फसल हर प्रकार की मिट्टी में भी लगाया जा सकती है। मैंने यहां भी पूरी तैयारी के साथ फूलों की खेती लगा दी है और मेरा मानना है कि कामयाबी हाथों की लकीरों में नहीं माथे के पसीने से मिलती है। मैंने धूप छाव की परवाह ना कर जो श्रम किया उसका फल साल भर बाद फिजा को खुशबू नुमा बनाकर पैदावार के रूप में विकसित होगा।