प्रयास संस्थान के कार्यक्रम “किताब” में पाठकों से होंगे रूबरू
चूरू, स्थानीय प्रयास संस्थान के कार्यक्रम ‘किताब’ में रविवार को साहित्यकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी चूरू आएंगे। मेघवंशी अपनी आत्मकथा “मैं एक कारसेवक था” पर अपनी बात रखेंगे। प्रयास संस्थान के अध्यक्ष दुलाराम सहारण ने बताया कि कल रविवार दोपहर बारह बजे स्थानीय सूचना केंद्र में आयोज्य कार्यक्रम ‘किताब’ में लेखक अपनी किताब, रचना प्रक्रिया, रचना में मौजूद प्रसंगों पर चर्चा करेंगे तथा उपस्थित पाठकों के सवालों का जवाब भी देंगे। संस्थान सचिव कमल शर्मा ने बताया कि किताबों से पाठकों का साक्षात्कार करवाने, लेखकों से मिलवाने एवं उल्लेखनीय किताबों को चर्चा कर समझने के उद्देश्य से आयोज्य कार्यक्रम की इस कड़ी का संयोजन साहित्यकार उम्मेद गोठवाल करेंगे। राजस्थान में भीलवाड़ा जिले के एक छोटे से गांव सिरडीयास में बुनकर परिवार में जन्मे भंवर मेघवंशी को महज 13 साल की उम्र में ही आरएसएस ने अपने साथ जोड़ लिया, जिसके साथ उन्होंने तकरीबन पांच साल तक सक्रिय रूप से काम किया। वे अपने गांव की शाखा के मुख्य शिक्षक रहे, 1992 में वे कारसेवक थे जब बाबरी मस्जिद तोड़ी गई थी, मगर अयोध्या पहुंचने से पहले ही गिरफ़्तार कर लिए गए और 10 दिन आगरा की जेल में रहे। बाद में विकसित समझ के साथ भंवर मेघवंशी ने फुलटाइम कार्यकर्ता के रूप में कौमी एकता, भाईचारे और शांति एवं सदभाव के लिए काम शुरू किया जो आज तक जारी है। इसी दौर में कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन-प्रकाशन किया। कई स्वयंसेवी संगठनों से जुड़े, निर्माण किया तथा सामाजिक विषमताओं के खिलाफ आवाज उठाई। भंवर मेघवंशी इसी सक्रियता के कारण देशभर में जाने-पहचाने गए और लोकप्रियता का आलम यह रहा कि गत विधानसभा चुनाव में कुछ दलों ने उन्हें चुनाव लड़वाने का प्रयास किया। परंतु भंवर मेघवंशी ने सामाजिक जागरूकता के आंदोलन में डटे रहने को प्राथमिकता दी। आत्मकथा “मैं एक कारसेवक था” में इन्हीं सब प्रसंगों का प्रस्तुतीकरण है। यह किताब देशभर में हाथोंहाथ ली गई और दो संस्करण बिक चुके तथा किताब तीसरे संस्करण की ओर है। यह किताब आरएसएस को समझने की मारक शक्ति के साथ मौजूद है। किताब का अंग्रेजी अनुवाद “I Could not be Hindu” नाम से आ चुका है तथा उर्दू, मराठी, पंजाबी, बंगाली, गुजराती, राजस्थानी, तेलुगू अनुवाद आने को हैं।