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सरकारी नीतियों के विरोध में सड़क पर किसान

जिला मुख्यालयों पर बड़े प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपे गए

जयपुर(वर्षा सैनी) राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पूर्व किसान को लुभाने के लिए किसान कर्जमाफी, फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदारी व विद्युत दरों में कमी करने जैसी घोषणाओं के बूते जीतकर सरकार बनाने के बाद किसानों से किए वादे भुला दिए गए हैं। ऐसी ही विभिन्न मांगों को लेकर सरकार द्वारा किसान हितों की अनदेखी करने के विरूद्ध भारतीय किसान संघ के तत्वावधान में 21 जुलाई से पूरे प्रदेश में धरना देकर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान अब आंदोलित हो गए हैं। करीब 35 दिनों से भारतीय किसान संघ के तत्वावधान में 21 सूत्रीय मांगों को लेकर 21 जुलाई से शांतिपूर्वक प्रदेशव्यापी आंदोलन उपखण्ड व जिला मुख्यालयों पर किया जा रहा है। अजमेर, कोटा, भरतपुर, बीकानेर, जयपुर समेत जिला मुख्यालयों पर बड़े प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपे गए। इसी क्रम में जोधपुर में किसानों ने बड़ी संख्या में सडक़ पर आकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर कृषि के बिजली कनेक्शनों में अनुदान देने सहित 21 मांगों को पूरी करने की मांग कर रहे हैं। जोधपुर संभाग के जिलों से सैकड़ों वाहनों से हजारों की संख्या में किसानों के जोधपुर पहुंचने से पूर्व ही किसानों को रोककर कफ्र्यू लगा दिया गया। आंदोलित किसान सडक़ पर ही धरने पर बैठकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि प्रशासन द्वारा किसानों को वार्ता के लिए बुलाया गया, किसान कोरोना काल में बिजली के बिल माफ करने और बिल पर अनुदान जैसे मसलों पर हाथों हाथ निर्णय चाहते हैं। जिसे लेकर कई दौर की वार्ता सफल नहीं हुई है। ऐसे में किसानों द्वारा ओसियां, तिंवरी व मथानिया में सड़क पर बैठकर बीते तीन दिन से धरना दिया जा रहा है। इससे पूर्व किसान संघ के आह्वान पर किसानों द्वारा करीब 5 हजार ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजे जा चुके हैं, इसके बावजूद सरकार सुनवाई को तैयार नहीं है। ऐसे में संगठित किसान गांव-ढ़ाणियों से निकलकर जोधपुर मुख्यालय स्थित विद्युत निगम कार्यालय पर महापड़ाव के लिए कूच कर गए। बारिश में भी किसान जोधपुर के बाहरी क्षेत्रों में डटे हुए हैं। पुलिस ने कई गांवों के ग्रामीणों के नाम नोटिस निकालकर पूरे गांव को कोविड 19 गाइडलाइन के तहत जोधपुर धरना महापड़ाव में नहीं जाने के लिए पाबंद किया। लेकिन किसान अपनी मांगों को लेकर इतने दृढ़ हैं कि वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसान संघ के जोधपुर जिलाध्यक्ष नरेश व्यास ने बताया कि प्रशासन ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए बुलाया लेकिन किसानों ने कहा कि हम 35 दिन से धरना दे रहे थे। तब प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। आज हजारों किसान जोधपुर रवाना हुए तो अधिकारी जागे हैं। व्यास ने कहा कि वार्ता के लिए जाएंगे तो सभी किसान जाएंगे, सिर्फ प्रतिनिधिमंडल नहीं। क्योंकि किसान अपने हक की मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, ऐसे में उन्हें रोकना उचित नहीं हैं। वहीं प्रशासन का कहना है कि किसान कोरोना काल में बिजली के बिल माफ करने के साथ प्रत्येक माह के बिजली बिल पर अनुदान की मांग कर रहे है। इन मांगों को डिस्कॉम या जिला स्तर पर पूरा कर पाना संभव नहीं है। इस बारे में कोई भी निर्णय राज्य सरकार ही ले सकती है। ऐसे में पिछले 35 दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों की सरकार ने एक नहीं सुनी और यही नहीं जब किसान आंदोलित होकर सडक़ पर आ गए तब भी सरकार आंख मूंदकर बैठी है। अभी तक सरकार का कोई प्रतिनिधि किसानों से वार्ता के लिए नहीं पहुंचा है। मुख्यमंत्री के गृह जिले में हो रहे आंदोलन से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कर्ज माफी जैसे बड़े-बड़े वादे कर चुनाव जीतने वाली कांग्रेस पार्टी किसानों हितों को लेकर कितनी गंभीर है। ऐसे में किसान कर्ज माफी तो दूर की बात कांग्रेस सरकार बिजली बिलों से स्थाई शुल्क कम करने, फसलों की खरीद कराने व टिड्डी नियंत्रण जैसी बड़ी समस्याओं पर पूरी तरह विफल नजर आ रही है। वहीं किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष माणकलाल परिहार ने बताया कि जिले के किसान 21 जुलाई को भी जिला कलक्टर को ज्ञापन देने जोधपुर आए थे, जिन्हें रोक दिया गया था। ऐसे में किसान हितों की अनदेखी कर सरकार असंवेदनशीलता का परिचय दे रही है। किसान वाजिब मांगों को लेकर पिछले 6 माह से आंदोलनरत है। पुलिस बल से कब तक रोकेंगे। जब तक मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं होगी, तब तक हम सडक़ों पर बैठे रहेंगे। पैदल ही जोधपुर रवाना हो जाएंगे, लेकिन किसान हित की 21 मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। किसान संघ के प्रदेश मंत्री वीरेंद्र चौधरी ने बताया कि सरकार द्वारा बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी बंद कर दी गई, फसल बीमा योजना का पैसा आज तक किसानों को नहीं मिला, कोरोना काल में मंड़िया बंद रहने से किसान फसल नहीं बेच पाए, मंडियों में समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं होने से किसानों को नुकसान हुआ। इसके साथ ही टिड्डी के हमलों ने फसलों को चौपट कर दिया। रुकी हुई सब्सिडी को चालू किया जाए, फसल बीमा का पैसा अविलम्ब दिलवाया जाए, समर्थन मूल्य पर पूर्ण खरीद की जाए ताकि किसान को नुकसान से बचाया जा सके।

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