नेशनल ग्रीन कोर एवं राजस्थान राज्य भारत स्काउट व गाइड जिला सीकर के तत्वावधान में
सीकर, नेशनल ग्रीन कोर एवं राजस्थान राज्य भारत स्काउट व गाइड जिला सीकर के तत्वावधान में लगातार हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी पूरे ग्रीष्मकाल में पूरे बसन्त कुमार लाटा सीओ स्काउट के मार्गदर्शन में सीकर एवं झून्झूनू जिले की 11 पहाडियों में जिले के स्काउट गाइड, रोवर रेन्जर, सचिव, सयुक्त सचिव एवं अन्य पदाधिकारी तन मन धन एवं तीनो से वन्य जीवों की सेवा का कार्य लोकडाउन एवं ग्रीष्मकाल के साथ प्रथम अनलोकडाउन में भी सेवा का कार्य जारी रखा है। जिसमें सीकर जिले के पहाडों, दर्शनीय स्थलों, हर्ष, शाकम्बरी, महावा, टपकेश्वर, बालेश्वर, अधरशीला, गांवडी, गणेश्वर, जगदीश जी, झून्झूनू के लोहगर्ल, मंशा माता सहित अनेक स्थानों की गोयों, मोर, बन्दर, लोमडी, खरगोश, पक्षी, व अन्य वन्य जीवों की सेवा कार्य किये जा रहे है। आज सोमवार को राजस्थान राज्य भारत स्काउट व गाइड स्थानीय संघ शिवसिंहपुरा जिला सीकर के कोलीडा के विभिन्न विद्यालयों के स्काउटस एवं इको क्लब सदस्यों ने इस कार्य से प्रेरणा लेकर सहायक सचिव अलिताब धोबी ,स्काउट प्रभारी इरशाद के नेतृत्व में स्काउट इमरान मुगल, आदिल खान,आदित्य खाखल, आकाश रेपशल,विनोद पाटोदिया, फरहान गोरी,दिलशाद एवं अन्य स्काउट एवं इको क्लब सदस्यों ने हर्ष पर्वत के बेजुबान वन्य जीवों, पक्षियों , पशुओं के लिए 50 किलों आटे की रोटियां स्वयं ने अपने नन्हे नन्हें हाथों से बनाई। बसन्त कुमार लाटा सी ओ स्काउट, किशन लाल सियाक सचिव स्थानीय संघ शिवसिंहपुरा, अलिताब धोबी सहायक सचिव के नेतृत्व में इरशाद, पवन कुमार सैनी, विनोद पाटोदिया, कृष्ण काकडवाल, रोनित जोगानी, यशांक डिडवानियां, आदिल खान, इमरान, फरहान गोरी ने रोटियां उसके साथ-साथ हरा चारा, रिजका, बाजरे का चारा, केले, बाजरा, गेहूँ आदि लेकर कोलीडा से सीकर एवं हर्ष पर्वत के रास्ते में जहां जहां वन्य जीव मिले उनकों भोजन करवाया। इस प्रकार हर्ष पर्वत के लगभग 600 से अधिक बन्दर गोयों को एवं नन्हे नन्हें पक्षियों को बाजरा खिलाया। इसके बाद हर्ष पर्वत पर 2 घण्टे श्रमदान किया एवं एक पिकअप गाड़ी कचरा, पॉलीथीन, बोटल, आदि अनुपयोगी सामग्री एकत्र कर गाडी में डालकर सीकर लेकर आये एवं निस्तारण किया । हर्ष पर्वत पर जाने वाले लोगों से अपील की कि जो भी वन्य जीवों के लिए एवं पर्यटक के रूप में खाने के लिए जिन प्लास्टिक एवं संसाधन में खाने पीने की सामग्री लेकर जायें वे सभी वापस लाये एवं प्लास्टिक के पाउच छोड़कर नहीं आये एवं इस ऎतिहासिक पर्यटक स्थल को गन्दा ना करें।