आदर्श समाज समिति इंडिया ने मनाया विश्व मानवाधिकार दिवस
झुंझुनू,आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में विश्व मानवाधिकार दिवस पर शिक्षाविद् रामस्वरूप आसलवासिया की अध्यक्षता में संस्थान के कार्यालय सूरजगढ़ में एक विचारगोष्ठी का आयोजन किया। मुख्य अतिथि के रूप में रतन शर्मा व विशिष्ट अतिथि के रूप में इन्द्र सिंह शिल्ला भोबिया कार्यक्रम में मौजूद रहे। सर्वप्रथम विश्व में मानवाधिकारों की आवाज बुलंद करने वाले महापुरुषों के छायाचित्रों पर पुष्प अर्पित किये। नागरिक अधिकारों के लिए आंदोलन चलाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, नोबेल पुरस्कार विजेता नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, रोज़ा पार्क्स अमेरिका, भारत रत्न सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान, राजा राममोहन राय, अब्राहम लिंकन पूर्व राष्ट्रपति अमेरिका, डॉ. एनी बेसेंट, डॉ. भीमराव अंबेडकर, डॉ. राम मनोहर लोहिया आदि अन्य महापुरुषों को याद किया। इस मौके पर शिक्षाविद् जगदीश प्रसाद लोरानियां, रणवीर सिंह ठेकेदार, महेंद्र सिंह बरवड़, रतन शर्मा, धर्मपाल गांधी, सुनील गांधी, इन्द्र सिंह शिल्ला, विपुल शर्मा लोटिया, दिनेश, अंजू गांधी आदि अन्य लोग मौजूद रहे। शिक्षाविद् रामस्वरूप आसलवासिया ने अध्यक्षीय भाषण में कहा- 19वीं और 20वीं शताब्दी में मानवाधिकारों के लिए संघर्ष और सफलताएं प्रेरणादायी हैं। औपनिवेशक शासन और रंगभेद नीतियों को पराजित कर दिया गया। तानाशाही शासन का अंत हुआ और लोकतंत्र का प्रसार हुआ। मानव अधिकारों से तात्पर्य उन सभी अधिकारों से हैं जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं। यह अधिकार भारतीय संविधान के भाग-तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से वर्णित किए गए हैं और न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय हैं। इंसानी अधिकारों को पहचान देने और वजूद को अस्तित्व में लाने के लिए, अधिकारों के लिए जारी हर लड़ाई को ताकत देने के लिए हर साल 10 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस यानी यूनिवर्सल ह्यूमन राइट्स डे मनाया जाता है। पूरी दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों-सितम को रोकने, उसके खिलाफ संघर्ष को नई परवाज देने में इस दिवस की महत्वूपूर्ण भूमिका है। विश्व के विभिन्न मनीषियों, राष्ट्राध्यक्षों, समाज सुधारकों ने इस बात को स्वीकार किया कि महात्मा गाँधी के बिना मानवाधिकार की संकल्पना अधूरी रह जाती है। मानवाधिकार की पृष्ठभूमि गांधी की दृष्टि और दर्शन का ही परिणाम हैं। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने कहा- देश-दुनिया में यूं तो हर वक्त, हर पल कुछ न कुछ घटित होता रहता है, लेकिन कुछ घटनाएं इतनी महत्वपूर्ण होती हैं कि इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाती हैं। और कभी- कभी इन्हीं घटनाओं के आधार पर भविष्य के फैसले भी लिए जाते हैं। इसके अलावा आने वाली पीढ़ी को इन घटनाओं के बारे में जानना भी जरूरी होता है। विश्व इतिहास में बैरिस्टर मोहनदास करमचंद गांधी को 1893 में दक्षिण अफ्रीका के पीटरमैरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर भेदभाव के चलते ट्रेन से उतारने की घटना ने नागरिक अधिकारों के आंदोलन को जन्म दिया।मानवाधिकार की संकल्पना बिना महात्मा गाँधी के अधूरी है, क्योंकि मानवाधिकारों की सांस्कृतिक और वैचारिक पृष्ठभूमि गांधी की दृष्टि और उसके दर्शन पर ही आधारित है। अहिंसा के पुजारी गांधी जी, सभी विचारों के बीच एक ऐसा समन्वय स्थापित किया जहाँ से विश्व को व्यक्ति के मानवाधिकारों के लिए एक दिशा मिली। अधिकारों की श्रृंखला में मानवाधिकार को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो हमारे पास केवल इसलिए हैं, क्योंकि हम मानव हैं। वे किसी भी राज्य द्वारा प्रदान नहीं किए गए हैं। राष्ट्रीयता, लिंग, जातीय मूल, रंग, धर्म, भाषा, या किसी अन्य के कारण भेदभाव किए बिना, ये सार्वभौमिक अधिकार हम सभी के लिए प्रकृति प्रदत्त हैं। सैद्धांतिक तौर पर इन अधिकारों का अतिक्रमण विश्व के किसी भी देश या किसी भी सरकार के द्वारा नहीं किया किया जाना चाहिए। मानवाधिकारों के संबंध में नेल्सन मंडेला ने कहा था, ‘लोगों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करना उनकी मानवता को चुनौती देना है।’ मौजूदा दौर में मानवाधिकारों के लिए बड़ी चुनौती पैदा हो गई है और कोई भी देश इससे अछूता नहीं है। रूस यूक्रेन युद्ध भी मानवाधिकारों का उल्लंघन है। युद्धभूमि में बमबारी और भुखमरी से जूझते आम नागरिक, मानव तस्करों के चंगुल में फंसे पीड़ित, शोषण व दासता का शिकार लड़कियां व महिलाएं, सामाजिक कार्यकर्ताओं व पत्रकारों का दमन और अल्पसंख्यकों, प्रवासियों, शरणार्थियों के खिलाफ बढ़ती नफ़रत..! हिंसक संघर्ष, आतंकवादी हमले और आपदाएं मानवाधिकारों के लिए कड़ी परीक्षा का समय होता है। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार, शरणार्थी और मानवीय क़ानून स्याह लम्हों में भी मानवता के सामने खड़ी हुई चुनौतियों का मज़बूती से सामना कर सकते हैं।मानवाधिकारों पर हर कहीं प्रहार हो रहा है, निरंकुशताएँ बढ़ रही हैं, और लोकप्रियतावाद, नस्लवाद व चरमपंथ से समाज कमज़ोर हो रहे हैं। इन सभी विशाल चुनौतियों के समाधानों की बुनियाद, मानवाधिकारों में है। कार्यक्रम के समापन पर आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने सभी का आभार व्यक्त किया।