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हिंदी दिवस पर आदर्श समाज समिति इंडिया द्वारा किया जायेगा संगोष्ठी का आयोजन

हिंदी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा, सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा..

झुंझुनू, राष्ट्रीय साहित्यिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया द्वारा 14 सितंबर को हिंदी दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया जायेगा। विविधता से भरे देश में राष्ट्रीय एकता का प्रतीक हिंदी भाषा हमारी पहचान और संस्कृति का अभिन्न अंग है। जब भी बात देश की चलती है तो हम सब एक ही बात दोहराते हैं, “हिंदी हैं हम, वतन हिंदोस्तां हमारा“। यह पंक्ति हम हिंदुस्तानियों के लिए अपने आप में एक विशेष महत्व रखती है। हिंदी अपने देश हिंदुस्तान की पहचान है। यह देश की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है इसीलिए हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। आदर्श समाज समिति इंडिया प्रयागराज जनपद की अध्यक्ष रेनू मिश्रा ‘दीपशिखा’ व फरीदाबाद मंडल की अध्यक्ष कमल धमीजा, संगठन की प्रचार प्रसार मंत्री भागमती कांटीवाल और उत्तरी पश्चिमी दिल्ली की अध्यक्ष चंद्रमणि ‘मणिका’ के प्रस्ताव पर संस्थान द्वारा हिंदी दिवस पर संगोष्ठी आयोजित करने का निर्णय लिया है। संगोष्ठी का आयोजन संस्थान के कार्यालय लोहारू रोड सूरजगढ़ में होगा। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने बताया कि हिंदी दिवस पर 14 सितंबर को आयोजित होने वाली संगोष्ठी में बुद्धिजीवी भाग लेकर अपने विचार प्रकट करेंगे। विभिन्न प्रांतों से कवि, लेखक व साहित्यकार ऑनलाइन भाग लेंगे। हिंदी विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है और अपने आप में एक समर्थ भाषा है। प्रकृति से यह उदार ग्रहणशील, सहिष्णुता और भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका है। हिंदी हिंदुस्तान की भाषा है। राष्ट्रभाषा किसी भी देश की पहचान और गौरव होती है। हिंदी हिंदुस्तान को बांधती है। इसके प्रति अपना प्रेम और सम्मान प्रकट करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। इसी कर्तव्य हेतु हम 14 सितंबर के दिन को ‘हिंदी दिवस’ के रूप में मनाते हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, साक्षर से निरक्षर तक प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति हिंदी भाषा को आसानी से बोल-समझ लेता है। यही इस भाषा की पहचान भी है कि इसे बोलने और समझने में किसी को कोई परेशानी नहीं होती। सन् 1918 में महात्मा गांधी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने का सुझाव दिया था। गांधी जी ने इसे जनमानस की भाषा कहा था। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने निर्णय लिया था कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। इस महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने और हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संविधान में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है। संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में दर्शाया गया है कि संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। यह निर्णय 14 सितंबर 1949 को लिया गया था इसलिए हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था।

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