शहीद वीरांगनाओ का शाॅल ओढ़ाकर किया सम्मान
खेतड़ी , राज्य स्तरीय सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजौर ने कहा है कि देश के शहीदों की शहादत को देश कभी भुला नहीं पाएगा। भारत मां के जिन लाड़लों ने हर परिस्थति का सामना करते हुए देश की रक्षा के लिए बलिदान (शहादत दी है) दिया है। उनका एवं उनके आश्रितों का मान-सम्मान करना हम सभी का फर्ज बनता है। उन्होंने कहा कि झुन्झुनू के जवानों ने सदैव सीने पर ही गोली खाई है। वे बुधवार को उदयपुरवाटी पंचायत समिति के भाटीवाड़ गांव में शहीद जगदीश प्रसाद स्वामी और खेतड़ी शहर में शहीद अजीत सिंह सोढ़ा की मूर्तियों का अनावरण करने के बाद वहां उपस्थित जन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शहीद हमारे देश की धरोहर (थाती) हैं। हमें शहीदों को देवताओं से भी बढ़कर देवता मानना चाहिए तभी हमारा और देश का भला भी होगा और हर संकट का निवारण करने में शहीद से मनोती मांगने पर उसका लाभ भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि बारात जाने से पहले दुल्हा शहीद की मूर्ति पर नमन करें और जब बारात वापस आए तो दुल्हन को भी शहीद स्थल पर धोक लगवाएं। संकट की घड़ी में शहीद के नाम का नारियल रखें, फायदा अवश्य मिलेगा। खेतड़ी के समारोह की अध्यक्षता करते हुए सांसद नरेन्द्र कुमार खीचड़ ने कहा कि आज राज्य में जिन शहीदों की मूर्तियां प्रेम सिंह बाजौर अपने स्वयम् के खर्चे से शहीदों के पैतृक गांव – शहर में लगवा रहे हैं, ऐसा कार्य ना तो आज तक किसी ने किया है और ना ही कोई करेगा। नगरपालिका अध्यक्ष उमराव सिंह कुमावत एवं अशोक सिंह शेखावत ने भी विचार व्यक्त किए। अतिथियों ने शहीद वीरांगना विमला कंवर को शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया। भाटीवाड़ गांव के समारोह की अध्यक्षता करते हुए पूर्व विधायक शुभकरण चैधरी और विशिष्टि अतिथि उदयपुरवाटी की उपप्रधान सुमन स्वामी ने भी बाजौर द्वारा मूर्तिया लगवाने के कार्य की सराहना करते हुए शहीदों को सदैव मान- सम्मान देने की बात कहीं। समारोह में शहीद वीरांगना सावत्राी देवी को शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इन कार्यक्रमों में विनोद कुमार झाझड़िया, महिपाल सिंह और भाटीवाड़ के पूर्व सरपंच विजयपाल तथा शहीद के परिजन एवं बड़ी संख्या में ग्रामीण जन एवं शहरीजन उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि प्रेम सिंह बाजौर राज्य के तेरह सौ शहीदों की मूर्तियां बनवाने पर 35 करोड़ रूपये स्वयम् खर्च भी कर रहे हैं और इन मूर्तियों का अनावरण करने भी शहीदों के पैतृक गांव में स्वयम् जा रहे हैं।