अब बेटी है तो क्या कम है और क्या गम है
बेटियों पर नवाचार देखने को मिल रहे है गांवो की गलियों से भी
गाँव कंवरपुरा में घोड़ी पर बैठाकर लाडो की निकाली बिंदौरी
गाँव कंचनपुर में दहेज़ के दो लाख लौटाकर 11 रूपये के साथ ले गए दुल्हन
खण्डेला [अरविन्द कुमार] श्रीमाधोपुर [अमरचंद शर्मा ] सीकर जिले के खण्डेला कस्बे के निकट स्थित गाँव कंवरपुरा में गढ़वाल परिवार के नागरमल गढ़वाल ने अपनी पुत्री अन्नू गढ़वाल की घोड़ी पर बैठाकर डीजे के साथ बंदोरी निकालकर बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का सन्देश दिया। अन्नू गढ़वाल के दादा मास्टर बनवारीलाल गढ़वाल ने बताया कि आज बेटा और बेटी में बिना भेदभाव और बेटी पढाओ बेटी बचाओ का संदेश देने के लिए पोती अन्नू की बंदोरी निकाली है और बताया कि मेरे एक पुत्र और तीन पुत्रियाँ है। आज तीनों पुत्रियाँ नौकरी कर रहीं हैं। इस प्रकार नौकरी के क्षेत्रों में भी बेटियां बेटों से आगे निकल रही है।बेटियों और बेटों को एक समान रखना चाहिए। मेरे लिए दोनों समान है। मेने बेटे और बेटियों की समान परवरिश और देखभाल की है। साथ ही कहा कि में समाज को यह संदेश देना चाहता हूं कि बेटों और बेटियों में कोई भेदभाव नही करना चाहिए। बेटियां आज समाज मे बहुत आगे बढ़ रही है । बंदोरी में परिवार सहित अन्य लोग शामिल थे। वही दूसरी तरफ सीकर जिले के कंचनपुर गांव में भी दहेज प्रथा पर चोट करती हुई एक शादी देखने को मिली। लड़की की विदाई के वक्त अक्सर लोगों की निगाहें थाली में शगुन के रूप में रखी नकदी पर टिक जाती है, लेकिन ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि मिला हुआ शगुन कोई लौटाए। कंचनपुर में वधू पक्ष की ओर से रखे गए दो लाख रुपए को नकारकर वर पक्ष ने केवल ग्यारह रुपया शगुन के तौर पर लिया। कंचनपुर के रहने वाले कमल सिंह शेखावत ने अपनी बेटियो की शादी नागौर के गांव हीरावती लाडनूं के मदन सिंह के यहां हुई। दूल्हे के पिता मदन सिंह ने मात्र 11 रुपए व श्रीफल स्वीकार कर बाकी रुपए वधू पक्ष के माधो सिंह को लौटा दिए। अब शेखावाटी के गावो में बेटियों को लेकर आये दिन नए नए नवाचार देखने को मिलते है जिससे मन बरबस ही कह उठता है बेटी है तो क्या कम है और क्या गम है।