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राजस्थान पुलिस स्थापना दिवस पर विशेष – खाकी तुझे सलाम

पुलिस विभाग में अनेक पुलिसकर्मी अपनी सेवाओं के लिए भी जाने जाते है

दांंतारामगढ़, [लिखा सिंह सैनी ] राजस्थान पुलिस भारत के राजस्थान राज्य की नागरिक सेवा है। राजस्थान पुलिस का ध्येय “अपराधियो में डर, आमजन में विश्वास” है। राजस्थान पुलिस का स्थापना दिवस प्रतिवर्ष 16 अप्रैल को मनाया जाता है। पुलिसकर्मियों का त्याग व बलिदान भुलाया नहीं जा सकता। हर मुसीबत में पुलिस आमजन की रक्षक बनकर आई है। अपराध नियंत्रण, कानून व्यवस्था, सामाजिक समरसता, साम्प्रदायिक सद्भाव से लेकर सेवा के क्षेत्र में पुलिस की भूमिका वाकई महान है।भले ही पुलिस को कई लोग अलग-अलग नजरिए से देखते और सोचते हैं, लेकिन खाकी वर्दी का त्याग सब पर भारी है। पुलिस के पास कहीं संसाधनों की कमी है तो कहीं स्टाफ का टोटा। इसके बावजूद पुलिस अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रही है। दांंतारामगढ़ क्षेत्र के लोग महिला हो या पुरुष  पुलिस में प्रदेश के कोने ,कोने में सेवाएं प्रदान कर रहे है वो भी पुलिस में सिपाही से लेकर डीआईजी के पदों पर है । पुलिस विभाग में अनेक पुलिसकर्मी अपनी सेवाओं के लिए भी जाने जाते है ।

डीआईजी अनिल कुमार टांक

एसपी अनिल कुमार टांक  3 जनवरी 1966 को दांतारामगढ़ के बाय में  जन्मे एसपी टांक 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इससे पहले वे आरपीएस थे। आईपीएस में पदोन्नत होने के बाद उनको पहली पोस्टिंग जालोर एसपी के रूप में वर्ष 2013-14 में मिली थी। गतवर्ष देशभर के सर्वश्रेष्ठ पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों में राजस्थान पुलिस अकादमी को चुना गया था   इस दौरानआयोजित समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आईपीएस अनिल कुमार टांक को सम्मानित  भी किया था । अनिल कुमार टांक स्कूल टाइम से ही होनहार विद्यार्थी रहे हैं। अपनी कार्यशैली से केंद्रीय गृहमंत्री से भी सम्मानित हो चुके हैं। पुलिस विभाग में अधिकारी बनने से पहले  कई सालों तक बाय दशहरा मेला में भी सक्रिय भूमिका निभाते हुए योगदान देते रहे है। टांक वर्तमान में  पुलिस हेडक्वार्टर जयपुर में डीआईजी के पद पर कार्यरत है एवं दांतारामगढ़ क्षेत्र में  पुलिस विभाग में सबसे बड़े अधिकारी है ।

अमर सिंह कोछोर

अपनी ईमानदारी व सादगी के लिए भारतीय पुलिस में एक विशिष्टतम ही नही अपितु उच्चतम स्थान रखने वाले भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अमर सिंह शेखावत कोछोर का चार वर्ष पहले निधन हो गया था । विदित रहे कि पहले राजस्थान पुलिस में डीजीपी का पद नही हुआ करता था।पुलिस प्रमुख का पद  आईजीपी रेंक का होता था व सबसे बड़ा पद हुआ करता था। कोछोर साहब आईजीपी  के पद पर पुलिस बेड़े के प्रमुख रहे थे। अमर सिंह 31जुलाई सन् 1979 से 9 फरवरी सन् 1981 तक राजस्थान पुलिस के प्रमुख रहे, इससे पूर्व वे  19 अप्रैल सन् 1974 से 25 अक्टूबर सन् 1977 तक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो राजस्थान के भी प्रमुख रहे।  अमर सिंह कोछोर की ईमानदारी, कर्तव्य परायणता व सादगी के किस्से आज भी समस्त पुलिस महकमे में  बड़े शान से सुनाये जाते है। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी ने पुलिस अफसरों की एक मीटिंग में पूछा था कि क्या कोई अफसर कह सकता है कि वो ईमानदार है। तब अमर सिंह जी एक मात्र अफसर थे जो खड़े हो गए। तब इंदिरा गांधी ने कहा कि अगर मैं सही हु तो आप अमर सिंह कोछोर ही है। इनका जन्म  दांतारामगढ़ तहसील स्थित कोछोर गांव में शेखावत परिवार में हुआ था।  उसी परिवार के इस लाल ने सम्पूर्ण शेखावाटी प्रदेश का व अपने कुल का नाम अपनी इमानदारी के बल पर सम्पूर्ण देश में उज्जवल किया व ऐसी मिसाल कायम की जो हर पुलिस अधिकारी के लिए प्रेरणास्पद है।

कांस्टेबल धर्मवीर जाखड़

राजस्थान पुलिस के जवान धर्मवीर जाखड़ ‘आपणी पाठशाला ‘ के माध्यम से सैकड़ो अनाथ बच्चों को फ्री में पढ़ाने का नेक कार्य कर रहे है। इनका उद्देश्य चुरू जिले में पढ़ाई से वंचित कचरा बीनने और भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षा देना है। इस स्कूल में छात्रों को पढ़ाई के अलावा यूनिफॉर्म, किताबें, बैग और अन्य जरूरी चीजें भी बिल्कुल नि:शुल्क दी जाती हैं।धर्मवीर जाखड़ चूरू जिले की राजगढ़ तहसील के गांव खारियावास के रहने वाले हैं। वर्ष 2011 में राजस्थान पुलिस में भर्ती हुए थे। राजस्थान पुलिस की नौकरी में भले ही धर्मवीर ​जाखड़ की सेवा की जगह बदलती रहती है, मगर इनके नेक इरादे कभी नहीं बदलते। ये झुग्गी झोपड़ियों वाले बच्चों की जिंदगी संवारने के साथ—साथ कई गरीब परिवार की जीने की राह आसान करने में लगे हैं।1 जनवरी 2016 से झुग्गी झोपड़ियों में बच्चों को पढ़ाने  की शुरुआत पांच बच्चों से की और एक घंटे पढ़ाते थे। स्कूल का नाम रखा आपणी पाठशाला। उस वक्त चूरू के महिला पुलिस थाने में तैनात रहते हुए कांस्टेबल धर्मवीर जाखड़ ने आपणी पाठशाला की नींव रखी थी । जाखड़ अपने साथियों के सहयोग से अबतक सैकड़ों बच्चों को फ्री में पढ़ाने का नेक कार्य कर रहे है ।

एसएचओ रिया चौधरी

खाटूश्यामजी एसएचओ  रिया चौधरी ने दो सरकारी नौकरी छोड़ खाकी को चुना था, इनका  जन्म  सीकर जिले के फतेहपुर तहसील के दौलताबाद गांव में हुआ था। वह बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार थीं। उन्होंने एमए करने के बाद बीएड किया। इसके बाद सरकारी स्कूल में बतौर टीचर उनकी नौकरी लग गई। इसके बाद उन्होंने जीएनएम पद की परीक्षा पास की और साल 2011 से 2014 तक सरकारी नर्स की नौकरी की, लेकिन उन्हें पुलिस की वर्दी बार-बार अपनी ओर आकर्षित करती। अंत में उन्होंने साल 2014 में पुलिस फोर्स में जाने का फैसला किया।  उन्होंने राजस्थान पुलिस के सब इंस्पेक्टर पद की परीक्षा दी और उसे पास भी हो गईं। रिया चौधरी के पति महेंद्र मैनसार रतनगढ़ के रहने वाले हैं और वह भी भारतीय सेना में हैं। रिया चौधरी जहां रहीं, वहां उन्हें  प्रशंसा ही मिली हैं । पुलिस सेवा में रिया चौधरी की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें पहली नियुक्ति सीकर कोतवाली में मिली। उसके बाद झुंझुनू कोतवाली में अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद वह कुछ समय तक ट्रैफिक पुलिस में भी रहीं। उसके बाद  मंडावा ,बिसाऊ थाने में एसएचओ पद पर कार्यरत रही  हैं। रिया चौधरी के लेडी सिंघम होने की बात का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन का उल्लंघन करते पाए शराब के दो ठेकों समेत कई दुकानें सीज कर दी थी एवं शांतिभंग के आरोप में काफी लोगों को पकड़ा था । वर्तमान में रिया चौधरी श्याम नगरी खाटूश्यामजी थाने  में तैनात है ।पिछले महीने में खाटूश्यामजी मेला शांतिपूर्ण समापन हुआ है जहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है। रिया चौधरी   अपने अब तक के कॅरियर में वह जहां भी तैनात रहीं, लोगों ने उनके कार्य की सराहना की है।

कांस्टेबल नेत्रेश शर्मा

करौली शहर में दो अप्रैल को भड़की हिंसा  में धधकती आग के बीच से तीन-चार वर्षीय मासूम, उसकी मां और दो अन्य महिलाओं को अपनी बहादुरी और सूझबूझ से सुरक्षित बाहर निकालने पर वाले कोतवाली के कांस्टेबल नेत्रेश शर्मा को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बधाई दी है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कांस्टेबल नेत्रेश शर्मा को हेड कांस्टेबल के पद पर पदोन्नत करने का भी आश्वासन दिया है। सीएम गहलोत ने मोबाइल से कांस्टेबल नेत्रेश से बात की। नेत्रेश 2013 में पुलिस कांस्टेबल के रूप में नियुक्त हुए थे और वर्तमान में कोतवाली की शहर चौकी पर तैनात हैं।राजस्थान पुलिस के वीर सिपाही  नेत्रेश शर्मा  करौली में हिंसा के दौरान अपनी जान पर खेलकर  चार अनमोल जिंदगियां बचाने पर प्रदेशवासी आपकी वीरता को नमन् करते है ।

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