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सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी चेंज मेकर बनने की ओर हो रहे प्रेरित

पिरामल फाउंडेशन व सहयोगी संस्था कनेक्टिंग ड्रीम फाउंडेशन द्वारा

झुंझुनू, पिरामल फाउंडेशन व सहयोगी संस्था कनेक्टिंग ड्रीम फाउंडेशन द्वारा झुन्झुनू जिले के तीनों ब्लॉकों (झुन्झुनू, नवलगढ़, उदयपुरवाटी) के 50 राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालयों में चेंज मेकर लैब परियोजना के तहत बूटकैम्प आयोजित किये जा रहे हैं। अब तक 18 विद्यालयों के कक्षा 6 से कक्षा 8 के 800 से अधिक विद्यार्थियों के साथ बूटकैम्प सम्पन्न हो चुका है जिसमें इन विद्यार्थियों ने चेंज मेकर किया है, चेंज मेकर कौन बन सकता है, और कैसे एक चेंज बनकर अपनी और अपने आसपास की समस्याओं को हल किया जा सकता है, पर प्रशिक्षण लिया। बूटकैम्प के दौरान विद्यार्थियों ने सर्वप्रथम समस्या किया होती है और समस्या को कैसे खोजा जाता है पर अपनी समझ विकसित की और लगभग 2300 से अधिक अपनी और अपने आसपास की समस्याओं को लिखा। गांधी फेलो कामिनी मिश्रा, अजहर महमूद, संस्कृति गुप्ता, ऐश्वर्या. के व ऋषिकेष वाखरे ने विद्यालय के अध्यापकों की मदद से विद्यार्थियों को इन समस्याओं के हलों को ढूढने पर प्रशिक्षण दिया जिसके परिणामस्वरूप इन विद्यार्थियों ने 2150 से भी अधिक हलों को ढूंढा और उन्हें समूह के रूप में चार्ट पेपर पर चिपकाया। इस चेंज मेकर लैब परियोजना का उद्देश्य है कि विद्यार्थि स्वंय को एक समस्या को हल करने वाला चेंज मेकर बना सके और भविष्य में एक आदर्श नागरिक के रूप में खुद को तैयार कर सके। विद्यार्थियों ने इस चेंज मेकर बूटकैम्प में जिन समस्याओं को अपने आसपास के वातावरण में खोजा उन्हें उन्होंने सतत विकास लक्ष्यों से संरेखित करने का भी प्रयास किया जिससे वह ये समझ पाएं कि उन्होंने जो समस्याएं खोजी हैं वह किस सतत विकास लक्ष्य में आती हैं। पिरामल फाउंडेशन के अशगाल खान एवं शिवम दिवेदी ने बताया कि ये परियोजना विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के न सिर्फ नए आयाम खोलेगी बल्कि उन्हें एक ज़िम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा भी देगी जिससे वह अपनी और अपने आसपास की समस्याओं को स्वंय से हल करने में सक्षम हो पा रहे होंगे। साथ ही साथ परियोजना द्वारा सीखने के अवसरों से खुद को लाभान्वित कर पा रहे होंगे। विद्यालय के कई शिक्षक शिक्षिकाओं ने बताया कि इस तरह के अवसर निश्चित रूप से विद्यार्थियों के सीखने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं एवं इसमें विद्यार्थी समूह के रूप में स्वायत्तता से सीखने के लिए रूचि दिखाते हैं। इस तरह के नए नए प्रयास बच्चों में 21वीं सदी के कौशलों को उजागर करने में सहायक होते हैं।

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