रसीद ही उपभोक्ता बनाती है। उपभोक्ता को रसीद न्याय भी दिलाती है।
एमआरपी से ज्यादा राशि नहीं ली जा सकती है।
झुंझुनूं, कंज्यूमर वॉइस जागरूकता अभियान की कड़ी में जानकारी देते हर उपभोक्ता आयोग के सदस्य मनोज मील ने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि कोई भी व्यक्ति जब कोई सामान अथवा सेवा खरीदता है तो उसके बदले चुकाये गये धनराशि की रसीद एवं सम्बंधित दस्तावेज प्राप्त करने पर उपभोक्ता बन जाता है। सेवा प्रदाता अथवा विक्रेता कोई सेवा दोष करता है तो उपभोक्ता रसीद व दस्तावेजात के आधार पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का हकदार बन जाता है। प्रायः उपभोक्ताओं को पक्के बिल अथवा रसीद देने के नाम पर गुमराह किया जाता है। जबकि कानूनी हकीकत ये है कि बिल की राशि में सभी प्रकार के टैक्स शामिल होते है। इस प्रकार से थोड़ा सा लालच दिखा कर कच्चे-पक्के बिल के नाम पर उपभोक्ता को गुमराह करने वाले सेवा प्रदाता टैक्स की चोरी करता है। जो सरकार व कानून के साथ धोखाधड़ी है।
मनोज मील ने बताया कि हरेक व्यक्ति को जागरूक होकर संकल्प करना होगा कि जब भी कोई सामान, वस्तु अथवा सेवा लेते है तो रसीद जरूर लेंगे और उसे सम्भाल कर रखेंगे ताकि जब भी कोई परेशानी अथवा सेवादोष आता है तो उपभोक्ता आयोग में न्याय लिया जा सके। मील ने बताया कि रसीद लेने से टैक्स चोरी बचती है और उपभोक्ता के अधिकार भी सुरक्षित होते है। किसी भी विक्रेता व सेवा प्रदाता के द्वारा एमआरपी से अधिक राशि नहीं ली जा सकती है और अधिक राशि लेने वालों के खिलाफ राजस्थान सरकार के उपभोक्ता शिकायत निवारण टोल फ्री नम्बर 18001806030 पर शिकायत भी दर्ज करवाई जा सकती है। मनोज मील ने आमजन से आह्वान किया है कि हरेक उपभोक्ता को स्वयं से जागरूक होकर चुकाये गये धनराशि की रसीद अत्यावश्यक रूप से ले ताकि भविष्य में खरीदी गई वस्तु अथवा सेवा में कमी, दोष पाया जाता है तो उपभोक्ता को न्याय मिलने में रसीद ही अहम सबूत के रूप में काम आ सके।