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खबर जरा हटके : दिन के उजाले से ही शुरू हो जाता है लकड़ियों का काला कारोबार – Video News

झुंझुनू जिले से हो रही है पड़ोसी राज्य हरियाणा में लकड़ियों की स्मगलिंग

ऐसे ही चलता रहा यह खेल तो जल्दी ही निपट जाएगी वन संपदा

झुंझुनू, यूं तो झुंझुनू जिले से पड़ोसी राज्य में लकड़ियों का अवैध कारोबार लंबे समय से चल रहा है लेकिन वर्तमान में यह समाचारो की सुर्खियों में बना हुआ है। जिसमें यह बताया जा रहा है कि रात के अंधेरे में ही इस काम को अंजाम दिया जाता है। लेकिन आज हम आपके सामने खुलासा करने जा रहे हैं कि दिन के उजाले में भी इस काले कारोबार को अंजाम दिया जा रहा है। अभी जो आप स्क्रीन पर तस्वीरें देख रहे हैं यह दिन के उजाले की तस्वीरें आपके सामने हैं। इसमें यह पिकअप गाड़ी जो आपको दिखाई दे रही है यह लकड़ियों को लेकर पड़ोसी राज्य की तरफ ही कूच कर रही है। सबसे पहली खास बात हम आपके सामने यह बता दें कि वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों की सड़के भी अच्छी स्थिति में बन चुकी हैं जिसके चलते अब लकड़ी के काले कारोबार में लगे यह लोग अपने वाहनों को मुख्य सड़कों से होकर ले जाने की बजाय शॉर्टकट गांव के रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। लकड़ियों से लदी हुई पिकअप गाड़ियां दिन के समय ही अलग अलग जिले के क्षेत्रो से रवाना होकर ग्रामीण रास्तों से बॉर्डर की तरफ कूच करने लगती है और वही सूत्रों की माने तो जैसे ही सूरज ढलता है वैसे ही लकड़ियों के काले कारोबार को परिवहन करती है पिकअप गाड़ियां बॉर्डर के पार चली जाती है अब यह बॉर्डर कैसे पार करती हैं यह पुलिस प्रशासन की जांच का विषय है वही इस मामले में जो बात निकल कर सामने आई है वह यह है कि लकड़ियों के इस काले कारोबार को रोकने के लिए सीधे-सीधे वन विभाग ही जिम्मेदार है। इसमें पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यदि वन विभाग के अधिकारी चाहे तो उन्हें पुलिस सहायता उपलब्ध करवाई जा सकती है। लेकिन वन विभाग के तो जिम्मेदार अधिकारी हैं वह कार्यालय में बैठकर मानसून का इंतजार करते हैं कि कब मानसून आए और वृक्षारोपण की मुहिम चलाकर ऐसा अनुभव करवाया जाए कि यह भी कोई विभाग कार्यरत है लेकिन जिले के अंदर पहले से जो वनसंपदा लगी हुई है उसके संरक्षण और सुरक्षा की जिम्मेदारी से शायद इन्हें कोई वास्ता नहीं है। जिसके चलते ही जिले से लकड़ियों का अवैध कारोबार दिन दुगुनी और रात चौगुनी प्रगति कर रहा है। शेखावाटी की लाइफ लाइन कही जाने वाली काटली नदी क्षेत्र में भी आज से दशकों पहले सरकारी योजनाओं में बड़ी मात्रा में वृक्षारोपण किया गया था और देखते ही देखते वहां पर एक घना वन क्षेत्र तैयार हो गया था लेकिन इन वन क्षेत्रो को भी ऐसी बुरी नजर लगी कि कई ग्रामीण क्षेत्रों से बड़े-बड़े पेड़ भी गधे के सिर से सिंग की तरह गायब हो गए। बानगी के लिए यदि बताया जाए तो झुंझुनू जिले के इस्लामपुर गांव के काटली नदी क्षेत्र में तत्कालीन वन अधिकारियों ने बताया था कि लगभग 77000 वृक्ष इस क्षेत्र में लगाए गए थे लेकिन आज इस क्षेत्र में दर्शन करने के लिए भी एक भी वृक्ष नहीं है। इसी प्रकार अब जिले के विभिन्न स्थानों से लकड़ियों का काला कारोबार जोरों पर है। जिसके चलते आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में झुंझुनू जिला भी कहीं मरुस्थल की आगोश में ना चला जाए।

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