यह हुए राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय
जयपुर, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में शनिवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित मंत्रिमण्डल की बैठक में प्रदेश के औद्योगिक और आर्थिक विकास को गति देने के लिए 9 नई नीतियों के अनुमोदन, 7वें राज्य वित्त आयोग के गठन, बीकानेर और भरतपुर में विकास प्राधिकरणों के गठन के लिए अध्यादेश लाने, खेमराज समिति की सिफारिशों के अनुरूप राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम-2017 में संशोधन, विभिन्न सेवा नियमों में संशोधन, द राजस्थान प्रोहेबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलिजन बिल 2024 लाने सहित प्रदेश के विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले किए गए।
उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा एवं विधि एवं विधिक कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने पत्रकार वार्ता में बताया कि राज्य में औद्योगिक विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाने, प्रदेश को एक्सपोर्ट हब बनाने, स्थानीय पर्यटन, छोटे उद्योगों, स्थानीय शिल्प एवं कारीगरी, हथकरघा एवं एक जिला एक उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान एमएसएमई नीति, निर्यात संवर्द्धन नीति, एक जिला एक उत्पाद नीति, राजस्थान पर्यटन इकाई नीति एवं एकीकृत क्लस्टर विकास योजना को मंजूरी दी गई।
बल-छल पूर्वक धर्मान्तरण रोकने के लिए आएगा विधेयक—
विधि एवं विधिक कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि प्रलोभन अथवा कपटपूर्वक धर्मान्तरण के प्रयासों को रोकने के लिए “दि राजस्थान प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलीजन बिल-2024“ विधानसभा में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी राज्य में अवैध रूप से धर्मान्तरण को रोकने के सम्बन्ध में कोई विशिष्ट कानून नहीं है, इसलिए मंत्रिमण्डल की बैठक में विचार कर इसके प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
उन्होंने बताया कि इस विधेयक के कानून बनने के उपरान्त कोई व्यक्ति या संस्था, किसी व्यक्ति पर मिथ्या निरूपण, कपटपूर्वक, बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव आदि का प्रयोग कर धर्म परिवर्तन नहीं करवा सकेंगे। अगर कोई व्यक्ति अथवा संस्था ऐसा कृत्य करते हैं, तो उन्हें कठोर दण्ड दिया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन कराने के उद्देश्य से विवाह करता है, तो पारिवारिक न्यायालय ऐसे विवाह को अमान्य घोषित कर सकता है। इस विधि में अपराध गैर-जमानती व संज्ञेय होंगे। उन्होंने कहा कि अन्य कई राज्यों में जबरन धर्मान्तरण को रोकने के लिए पहले से ही कानून अस्तित्व में है।
भरतपुर और बीकानेर विकास प्राधिकरणों के लिए आएंगे अध्यादेश
उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने बताया कि कैबिनेट ने भरतपुर और बीकानेर में विकास प्राधिकरणों के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है, इनके गठन के लिए भरतपुर विकास प्राधिकरण अध्यादेश-2024 और बीकानेर विकास प्राधिकरण अध्यादेश-2024 लाए जाएंगे। इन शहरों में विकास प्राधिकरण बनने से यहां विकास सुव्यवस्थित और नियोजित ढंग से हो सकेगा।
उन्होंने बताया कि बीकानेर विकास प्राधिकरण में नगर विकास न्यास बीकानेर के वर्तमान क्षेत्र के अलावा नापासर व देशनोक तथा आस-पास के 185 गांव सम्मिलित किए जाएंगे। भरतपुर विकास प्राधिकरण में नगर विकास न्यास भरतपुर के वर्तमान क्षेत्र के साथ-साथ 209 गांव शामिल किए जाएंगे।
खेमराज समिति की सिफारिशों के अनुरूप वेतन विसंगतियों का निराकरण
डॉ. बैरवा ने बताया कि सेवानिवृत्त आईएएस खेमराज चौधरी की अध्यक्षता में गठित कर्मचारी वेतन विसंगति परीक्षण समिति की वेतन विसंगति दूर करने, वेतन सुधारों तथा पदोन्नति के अतिरिक्त अवसर उपलब्ध कराने संबंधी सिफारिशों को मंत्रिमंडल ने मंजूरी प्रदान की है। उल्लेखनीय है कि वित्त एवं विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने वेतन विसंगतियों एवं वेतन सुधार सम्बन्धी सिफारिशों को दिनांक 1 सितम्बर, 2024 से लागू करने की घोषणा की थी।
एमएसएमई नीति-2024 से वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार होंगे छोटे उद्यम—
विधि एवं विधिक कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि राजस्थान एमएसएमई नीति-2024 राज्य के एमएसएमई उद्यमों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाने में सहायक सिद्ध होगी। इसमें ऋण पर अतिरिक्त 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान, एसएमई एक्सचेंज से धन जुटाने पर 15 लाख रुपए तक सहायता, एडवांस्ड टेक्नोलॉजी व सॉफ्टवेयर पर 50 प्रतिशत या 5 लाख रुपए तक अनुदान, क्वालिटी सर्टिफिकेशन व आईपीआर पर 3 लाख रुपए तक पुनर्भरण सहायता, विपणन हेतु आयोजनों में 1.5 लाख रुपए तक अनुदान, डिजिटल उपकरणों पर 50 हजार रुपए तक पुनर्भरण और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फीस पर 75 प्रतिशत या अधिकतम 50 हजार रुपए तक पुनर्भरण का प्रावधान है।
उद्यमियों को निर्यातक बनने के लिए प्रोत्साहित करेगी निर्यात संवर्धन नीति—
पटेल ने बताया कि राज्य सरकार की मंशा अगले 5 वर्षों में प्रदेश के निर्यात में 1.50 लाख करोड़ रुपए तक वृद्धि लाने की है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आज अनुमोदित की गई राजस्थान निर्यात संवर्धन नीति-2024 में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं। मुख्यमंत्री निर्यात वृद्धि अभियान चला कर नये उद्यमियों को निर्यातक बनने हेतु प्रोत्साहित भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस नीति में निर्यातकों को दस्तावेजीकरण पर 50 प्रतिशत या 5 लाख रुपए तक सहायता, अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में भागीदारी पर 75 प्रतिशत या 3 लाख तक अनुदान, सर्टिफिकेशन पर 75 प्रतिशत पुनर्भरण (20 हजार रुपए प्रति शिपमेंट व 3 लाख तक प्रति वर्ष), तकनीकी अपग्रेडेशन पर 75 प्रतिशत या 50 लाख तक सहायता, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फीस पर 75 प्रतिशत या 2 लाख तक पुनर्भरण किया जाएगा।
विशिष्ट उत्पादों और शिल्पों को बढ़ावा देने के लिए एक जिला एक उत्पाद नीति—
पटेल ने बताया कि जिलों के विशिष्ट उत्पादों और शिल्पों को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान एक जिला एक उत्पाद नीति-2024 को स्वीकृति प्रदान की गई है। ओडीओपी नीति के अमल में आने से जिलों की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही कारीगरों, शिल्पकारों, कृषकों और निर्माताओं की आय भी बढ़ेगी। इस नीति में नवीन सूक्ष्म उद्यमों को 25 प्रतिशत या अधिकतम 15 लाख रुपए एवं लघु उद्यमों को 15 प्रतिशत या अधिकतम 20 लाख रुपए तक मार्जिन मनी अनुदान सहायता दी जायेगी। ओडीओपी नीति में सूक्ष्म व लघु उद्यमों को एडवांस्ड टेक्नोलॉजी व सॉफ्टवेयर पर 50 प्रतिशत या 5 लाख रुपए तक अनुदान, क्वालिटी सर्टिफिकेशन व आईपीआर पर 75 प्रतिशत या 3 लाख रुपए तक पुनर्भरण, विपणन आयोजनों में भाग लेने के लिए 2 लाख रुपए तक सहायता, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फीस पर 75 प्रतिशत या 1 लाख रुपए प्रतिवर्ष का 2 साल तक पुनर्भरण और कैटलॉगिंग व ई-कॉमर्स वेबसाइट विकास के लिए 60 प्रतिशत या 75 हजार रुपए तक एकमुश्त सहायता दी जाएगी।
एकीकृत क्लस्टर विकास योजना में हस्तशिल्प, हथकरघा उद्यमों को प्रोत्साहन—
पटेल ने बताया कि राज्य में हस्तशिल्प, हथकरघा तथा एमएसएमई क्षेत्र में कार्यशील उद्यमों की उत्पादकता, गुणवत्ता एवं कार्यक्षमता बढ़ा कर उन्हें वैश्विक बाजार के अनुरूप विकसित करने के लिए एकीकृत क्लस्टर विकास योजना लाई जा रही है। इस योजना में राज्य के हस्तशिल्प, हथकरघा एवं सूक्ष्म और लघु उद्यमों के मौजूदा क्लस्टर्स में कॉमन फेसिलिटी सेंटर्स (सीएफसी) के माध्यम से प्रशिक्षण, कच्चा माल डिपो, सामूहिक उत्पादन/प्रसंस्करण, उत्पाद टेसिं्टग आदि सुविधाओं का विकास किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस योजना में हस्तशिल्प व हथकरघा क्लस्टर्स को ट्रेनिंग, मार्केटिंग, क्वालिटी सर्टिफिकेशन आदि के लिए 50 लाख रुपए तक सहायता, कच्चा माल डिपो संचालन पर 8 प्रतिशत ब्याज अनुदान, ई-कॉमर्स के लिए 50 हजार रुपए तक विक्रय सहायता, क्लस्टर्स द्वारा 10 करोड़ लागत वाले सीएफसी की स्थापना के लिए 90 प्रतिशत (गैर रीको क्षेत्रों में 80 प्रतिशत) अनुदान, और गैर रीको क्षेत्रों में 10 एकड़ भूमि पर औद्योगिक पार्क हेतु 60 प्रतिशत या अधिकतम 5 करोड़ रुपए तक सहायता दी जाएगी।
एनिमेशन, गेमिंग के क्षेत्रों में AVGC-XR नीति से निखरेंगी स्थानीय प्रतिभाएं—
पटेल ने बताया कि राज्य सरकार की बजट घोषणा को पूरा करते हुए एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और एक्स्टेंडेड रिएलिटी के क्षेत्र में स्थानीय प्रतिभाओं, राज्य की संस्कृति एवं स्थानीय संसाधनों को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान AVGC-XR नीति-2024 लाई जा रही है। इस नीति में राज्य में बनने वाली एनिमेशन फिल्मों, गेम्स एवं कॉमिक्स को उत्पादन अनुदान देने का प्रावधान किया गया है। स्थानीय संस्कृति और सामग्री निर्माण पर ध्यान केन्द्रित करने वाले स्टार्ट अप्स व उद्यमों को अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए अटल इनोवेशन स्टूडियो और एक्सेलेरेटर स्थापित किए जाएंगे। ये स्टूडियो कोडिंग, वीएफएक्स लैब एवं एडवांस्ड कम्प्यूटिंग सुविधाओं से लैस होंगे।
पर्यटन में नई संभावनाओं के द्वार खोलेगी राजस्थान पर्यटन इकाई नीति-2024
पटेल ने बताया कि मंत्रिमंडल की बैठक में अनुमोदित राजस्थान पर्यटन इकाई नीति-2024 राज्य में पर्यटन के नए संभावनाशील क्षेत्रों में निवेशकों व उद्यमियों को आकर्षित करेगी। नई नीति में इको टूरिज्म यूनिट, फिल्म सिटी, हेरिटेज रेस्टोरेंट, होटल हाउसिंग, इनडोर/आउटडोर प्ले जोन, एकीकृत पर्यटन विलेज, मोटल/वे-साइड सुविधाएं, रिसोर्ट हाउसिंग, ग्रामीण पर्यटन इकाई और पर्यटन स्टार्ट-अप्स जैसी नई पर्यटन इकाइयों को जोड़ा गया है। इस नीति में न्यूनतम 100 करोड़ रूपये का नया निवेश करने वाली पर्यटन इकाई परियोजनाओं को राजकीय भूमि आंवटित किये जाने का प्रावधान किया गया है। पर्यटन इकाई से जुड़ी या उसके अंदर आने वाली भूमि को उनकी भूमि के 10 प्रतिशत तक राजकीय भूमि कृषि या आवासीय डीएलसी दरों पर एक बार आवंटित की जा सकेगी।
उन्होंने बताया कि नई पर्यटन इकाइयों को रिप्स-2024 के तहत स्टाम्प ड्यूटी, कन्वर्जन चार्ज और डेवलपमेंट चार्ज में छूट मिलेगी। ट्यूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र को औद्योगिक दर्जा मिलने से यूडी टैक्स, बिजली दरें, और भवन प्लान शुल्क औद्योगिक दरों पर लागू होंगे। ट्रेड, होटल व रेस्टोरेंट लाइसेंस 10 वर्ष और फायर एनओसी 3 वर्ष के लिए जारी होगी। हेरिटेज होटल/रेस्टोरेंट को रियायती दर पर बार लाइसेंस और 300 वर्ग मीटर से अधिक की हेरिटेज संपत्तियों को फ्री होल्ड पट्टे मिलेंगे। वॉल्ड सिटी में आने वाले होटलों को सड़क चौड़ाई की अनिवार्यता से छूट, दुगुना बिल्टअप एरिया रेश्यो (बीएआर), और संकरी सड़कों पर स्थित हेरिटेज होटल या हेरिटेज रेस्टोरेंट को डेडिकेटेड पार्किंग की व्यवस्था होने पर संचालन की अनुमति मिलेगी। 22 सीट वाले वातानुकूलित लक्जरी कोच पर मोटर वाहन कर में पूर्ण छूट दी जाएगी।
अक्षय ऊर्जा क्षमता को 125 गीगावाट तक बढ़ाने के लिए राजस्थान एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति-2024
पटेल ने बताया कि अक्षय ऊर्जा के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप वर्तमान अक्षय ऊर्जा नीति, बायोमास एवं वेस्ट टू एनर्जी नीति, ग्रीन हाइड्रोजन नीति के प्रावधानों तथा ऊर्जा भण्डारण के नवीन प्रावधानों को सम्मिलित करते हुए राजस्थान एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति-2024 का अनुमोदन किया गया है। नई नीति में 2030 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता को 125 गीगावाट तक बढ़ाने, फ्लोटिंग, रिजर्वायर टॉप और कैनाल टॉप सौर ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने, पम्प स्टोरेज प्रोजेक्ट सहित बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं और 8 मार्च 2019 के बाद शुरू हुई छोटी जल विद्युत परियोजनाओं को शामिल करने, और नेट मीटरिंग व्यवस्था में 80 प्रतिशत ट्रांसफार्मर क्षमता तक सोलर रूफटॉप लगाने की अनुमति दी गई है। सभी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं और पार्कों को राजकीय भूमि आवंटन, वर्चुअल पीपीए आधारित सौर ऊर्जा परियोजनाओं, कार्बन ट्रेडिंग, ऊर्जा दक्षता तथा नेट जीरो बिलिं्डग को बढ़ावा देने के प्रावधान भी नई नीति में हैं।
उन्होंने बताया कि इस नीति में 10 मेगावाट तक की परियोजनाओं का पंजीकरण शुल्क घटाकर 5 हजार रुपए कर दिया गया है। नई नीति में 2029-30 तक 10 हजार मेगावाट क्षमता के पम्प स्टोरेज प्रोजेक्ट, बैट्री ऊर्जा भंडारण परियोजनाएं (बीईएसएस), हाइड्रो सहित ऊर्जा भंडारण परियोजनाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। बीईएसएस को बढ़ावा देने के लिए 5 मेगावाट से अधिक की परियोजना की स्थापना पर न्यूनतम 5 प्रतिशत क्षमता का ऊर्जा भंडारण संयंत्र अनिवार्य किया गया है। नीति में बायोगैस, बायो सीएनजी को प्रोत्साहन और वर्ष 2030 तक 2000 केटीपीए ग्रीन हाईड्रोजन उत्पादन हेतु ग्रीन हाइड्रोजन वेली की स्थापना, और न्यूनतम 1 गीगावाट के इलेक्ट्रोलाइजर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। बीईएसएस और ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं को रिप्स-2024 सहित विभिन्न प्रकार के लाभ एवं छूट देय होंगे।
रोजगार सृजन और राजस्व में बढ़ोतरी के लिए राजस्थान खनिज नीति-2024
पटेल ने बताया कि बजट घोषणा को पूरा करते हुए कैबिनेट द्वारा स्वीकृत राजस्थान खनिज नीति-2024 प्रदेश में खनन आधारित उद्योगों, औद्योगिक निवेश, युवाओं व स्थानीय लोगों को रोजगार व राजस्व में बढ़ोतरी के साथ ही अवैध खनन गतिविधियों पर रोक लगाने में कारगर साबित होगी।
उन्होंने बताया कि नई खनिज नीति में राजस्व में बढ़ोतरी और रोजगार के नए अवसर पैदा करने के उद्देश्य से निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने, खनिज ब्लॉक्स की प्री-एम्बेडेड अनुमतियों के साथ नीलामी, जनजातीय क्षेत्रों में बिड सिक्योरिटी आधी करने, और पोस्ट-ऑक्शन सेल को मजबूत बनाने के प्रावधान किए गए हैं। इस नीति में मिनरल डायरेक्ट्री और सेण्ड पोर्टल विकसित कर बजरी खनन में पारदर्शिता लाने और अप्रधान खनिजों के रियायत नियम सरल बनाने पर जोर दिया है। आधुनिक तकनीक से जीरो वेस्ट माइनिंग, ऑनलाइन रॉयल्टी वसूली, परमिट सरलीकरण, और अवैध खनन पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत जियो-फेंसिंग, जीपीएस ट्रैकिंग और आरएफआईडी चेकपोस्ट लागू किए जाएंगे। खनन आधारित उद्योगों को थर्स्ट सेक्टपर में शामिल किया गया है और इन्हें रिप्स 2024 के लाभ भी दिए जा रहे हैं।
बजरी के सस्ते विकल्प को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान एम-सेण्ड नीति-2024—
पटेल ने बताया कि केबिनेट द्वारा स्वीकृत नई एम-सेण्ड नीति में प्रदेश में एम-सेण्ड इकाइयों की स्थापना और बजरी के सस्ते विकल्प के रुप में एम-सेण्ड के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। एम-सेण्ड इकाई की स्थापना के लिए 3 साल के अनुभव, 3 करोड़ रुपए की नेटवर्थ व 3 करोड़ रुपए के टर्नओवर की बाध्यता समाप्त की गई है। ओवरबर्डन पर देय रॉयल्टी को कम कर आधा किया गया है, वहीं नीलामी के समय एम-सेण्ड यूनिट के लिए दो प्लाट रखने के स्थान पर 5 प्लाट आरक्षित कर आवंटित किया जाएगा। इसी तरह से कीननेस मनी को भी दो लाख से कम कर एक लाख किया गया है।
उन्होंने बताया कि ओवरबर्डन पर देय डीएमएफटी की राशि में छूट, सरकारी और सरकार से वित्त पोषित निर्माण कार्यों में बजरी की मांग की आपूर्ति में 25 प्रतिशत एम-सेण्ड के उपयोग की अनिवार्यता तय की गई है। एम-सेण्ड को बढ़ावा देने के लिए इन इकाइयों को राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2024 के परिलाभ भी दिए जाएंगे।
7वें राज्य वित्त आयोग का गठन—
उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने बताया कि पंचायती राज संस्थाओं एवं नगरपालिकाओं के लिये 7वें राज्य वित्त आयोग के गठन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। इस आयोग की अवार्ड अवधि 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2030 तक होगी।
पीएचईडी में वरिष्ठ प्रयोगशाला सहायक के पद पर अनुभव का प्रावधान हटाया—
डॉ. बैरवा ने बताया कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में वरिष्ठ प्रयोगशाला सहायक के पद पर सीधी भर्ती हेतु वांछित अनुभव सम्बन्धी योग्यता के प्रावधान को विलोपित करने की मंजूरी दी गई है। अब तक वरिष्ठ प्रयोगशाला सहायक पद पर भर्ती में प्रयोगशाला कार्य मंे अथवा वाटर एवं सीवरेज एनालिसिस कार्य में अनुभव रखने वालों को वरीयता दिए जाने का प्रावधान था। इस प्रावधान को हटाने के निर्णय से वरिष्ठ प्रयोगशाला सहायक पद पर भर्ती शीघ प्रारम्भ हो सकेगी। इसके साथ ही, अब वरिष्ठ प्रयोगशाला सहायक के 25 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से एवं 75 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाएंगे। अब तक सीधी भर्ती और पदोन्नति के पदों का अनुपात 50-50 प्रतिशत था।
आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी भर्ती अब आरपीएससी से
डॉ. बैरवा ने बताया कि नियमों में समरूपता लाने के उद्देश्य से आयुष विभाग में आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी के पदों पर अब आरपीएससी के माध्यम से भर्ती परीक्षा आयोजित कर चयन किया जाएगा। इस सम्बन्ध में सेवा नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है। अब तक आयुष विभाग में इन पदों पर भर्ती शैक्षणिक योग्यता के प्राप्तांकों व बोनस के आधार पर होती रही है।
आरएसी और एमबीसी कांस्टेबल के पदों पर शैक्षणिक योग्यता सीनियर सैकेण्डरी—
डॉ. बैरवा ने बताया कि आरएसी और एमबीसी कांस्टेबल पद पर भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता में बदलाव करते हुए इसे सीनियर सैकेण्डरी किया जाएगा। इसे देखते हुए राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम, 1989 के संगत नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है। इससे समान पात्रता परीक्षा के अंतर्गत राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा के कांस्टेबल पद के साथ ही आरएसी और एमबीसी कांस्टेबल भर्ती भी की जा सकेगी।
भूजल विभाग की पदोन्नति समिति में बदलाव—
डॉ. बैरवा ने बताया कि राजस्थान भू-जल सेवा नियम, 1969 एवं राजस्थान भू-जल अधीनस्थभ सेवा नियम, 1973 में विभागीय पदोन्नति समिति के सदस्यों में उप सचिव कृषि विभाग के स्थानन पर उप सचिव, भूजल विभाग को सम्मिलित करने के संशोधन को मंजूरी दी गई है। पूर्व में भूजल विभाग का प्रशासनिक विभाग, कृषि विभाग था लेकिन वर्तमान में यह एक अलग विभाग है। इसे देखते हुए यह संशोधन आवश्यक था।
संविदा सेवा नियमों में संशोधन—
डॉ. बैरवा ने बताया कि राजस्थान कॉन्ट्रेक्चुअल अपॉइन्टमेंट टू सिविल पोस्ट्स रूल्स-2022 के अंतर्गत नियुक्त कार्मिकों को भी अब राज्य कर्मचारियों की भांति ही दो तारीखों 1 जुलाई अथवा 1 जनवरी को वार्षिक पारिश्रमिक वृद्धि का लाभ मिल सकेगा। इस सम्बन्ध में की गई बजट घोषणा को पूरा करते हुए राजस्थान कॉन्ट्रेक्चुअल अपॉइन्टमेंट टू सिविल पोस्ट्स रूल्स-2022 में संशोधन का अनुमोदन किया गया है। इस संशोधन से इन नियमों के अन्तर्गत नियुक्त कार्मिकों को प्रथम वार्षिक पारिश्रमिक वृद्धि एक वर्ष से पहले ही प्राप्त हो सकेगी तथा सभी संविदा कार्मिकों की आगामी वार्षिक पारिश्रमिक वृद्धि की दिनांक नियुक्त अवधि के अनुसार एक समान हो जायेगी।
एनटीटी अध्यापकों का कैडर राजस्थान शिक्षा सेवा नियम-2021 में शामिल—
डॉ. बैरवा ने बताया कि राजस्थान शिक्षा (राज्य एवं अधीनस्थ) सेवा नियम-2021 के प्रावधानों में संशोधन कर पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापक (एनटीटी) के पदों का इसमें ग्रुप ईः प्री प्राइमरी विंग जोड़कर संवर्गीकरण किया जाएगा। इस कैडर का प्रारम्भिक पद पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापक रखा गया है। ये सभी पद 100 प्रतिशत सीधी भर्ती से भरे जाने का प्रावधान किया गया है। पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापकों की पदोन्नति 5 वर्ष के अनुभव के बाद पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापक ग्रेड-2 पर, पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापक ग्रेड-2 की पदोन्नति 5 वर्ष के अनुभव के बाद पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापक ग्रेड-1 एवं पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापक ग्रेड-1 की पदोन्नति 5 वर्ष के अनुभव के बाद पूर्व प्राथमिक वरिष्ठ अध्यापक के पद पर हो सकेगी।
लैंड कन्वर्जन रूल्स-2007 में संशोधन—
जोगाराम पटेल ने बताया कि वर्तमान में एससी-एसटी वर्ग के व्यक्तियों को राजस्थान भू-राजस्व (ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि का अकृषि प्रयोजनार्थ संपरिवर्तन) नियम-2007 के नियम 6 (बी) का लाभ नहीं मिल पाता है। काश्तकारी अधिनियम 1955 की धारा 42 बी के प्रावधानों के कारण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसान अपनी कृषि भूमि को अक्षय ऊर्जा परियोजना विकासकर्ता को लीज पर नहीं दे सकते हैं। इसे देखते हुए मंत्रिमंडल ने राजस्थान भू-राजस्व (ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि का अकृषि प्रयोजनार्थ संपरिवर्तन) नियम, 2007 में संशोधन को मंजूरी दी है।
उन्होंने बताया कि इस संशोधन के बाद एससी-एसटी वर्ग के काश्तकारों की कृषि भूमि का सोलर फार्म, सोलर प्लान्ट, सोलर पावर प्लान्ट, विंड फार्म, विंड पावर प्लान्ट के लिए कन्वर्जन करवाये जाने पर जोत तक रिकॉर्डेड पहुंच मार्ग होने की अनिवार्यता की बजाय ऐसे काश्तकार की पहुंच मार्ग होने बाबत स्वघोषणा ही पर्याप्त होगी। इसी तरह, देय कन्वर्जन शुल्क में छूट का प्रावधान भी किया जाएगा।
जैसलमेर जिले में सीमा पर सड़क के लिए भूमि आवंटन—
पटेल ने बताया कि जैसलमेर जिले में भारत-पाक सीमा पर लेटरल सड़क के निर्माण के लिए केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग को 282.15 हैक्टेयर राजकीय भूमि आवंटन करने के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी प्रदान की गई। यह भूमि सम तहसील में स्थित 23 सीमावर्ती राजस्व ग्रामों में आवंटित की जाएगी। इस लेटरल सड़क का निर्माण भारत-पाक बॉर्डर की निगरानी में विशेष सामरिक महत्व को देखते हुए किया जाएगा।
किशनगढ़ (अजमेर) में ईएसआईसी अस्पताल के लिए भूमि आवंटन
श्री पटेल ने बताया कि किशनगढ़ (अजमेर) में कर्मचारी राज्य बीमा निगम का सौ बेड वाला अस्पताल खोलने हेतु निशुल्क भूमि आवंटन की स्वीकृति भी कैबिनेट बैठक में दी गई। ईएसआईसी अस्पताल के लिए राजस्व ग्राम किशनगढ़ बी में 20 हजार 3 सौ वर्गमीटर भूमि आवंटित की जाएगी।
मेट्रो परियोजनाओं के लिए जेवी अब केन्द्र और राज्य सरकार के बीच
पटेल ने बताया कि मेट्रो रेल के विकास में तेजी लाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार के साथ 50-50 संयुक्त उद्यम कम्पनी अब केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सुझाव पर राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के मध्य स्थापित की जाएगी। राज्य मंत्रिमंडल द्वारा पूर्व में केन्द्र सरकार और वर्तमान जेएमआरसी के बीच संयुक्त उद्यम कम्पनी बनाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया था। कैबिनेट के अनुमोदन के पश्चात अब केन्द्र सरकार को पुनः विस्तृत प्रस्ताव भिजवाया जाएगा और जेवी कम्पनी को मूर्त रूप दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि प्रदेश की निर्माणाधीन एवं भविष्य की सभी मेट्रो रेल परियोजनाओं को इस जेवी के माध्यम से लागू किया जाएगा। राज्य की वर्तमान और भविष्य की सभी मेट्रो रेल परियोजनाओं का निर्माण, संचालन और रखरखाव का अधिकार नई जेवी कंपनी के पास होगा।