पशुचिकित्सकों ने ऐसोसिएशन से की क्रमिक अनशन को आमरण अनशन में तब्दील करने की मांग
सीकर. 11 सुत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश के पशुचिकित्सक गत 22 दिसंबर से राजस्थान स्टेट वेटरनरी काउंसिल जयपुर के सामने क्रमिक अनशन पर हैं I समान कार्य समान वेतन सिद्धांत के आधार पर राज्य के पशुचिकित्सक मानव चिकित्सकों के समकक्ष ग्रेड–पे, डीएसीपी, नॉन प्रेक्टिस एलाउंस, पीजी इंक्रीमेंट समेत न्यायालय में लंबित 900 पशुचिकित्साधिकारी की लंबित भर्ती को पूर्ण करवाने इत्यादि मांग कर रहे हैं I पशुचिकित्सकों की डिग्री अवधी, उच्च अध्यन व कार्यप्रकार के आधार पर पांचवें, छठवें तथा सांतवें वेतन आयोग ने पशुचिकित्सकों को मानव चिकित्सको को समकक्ष मानते हुए समान वेतन व भत्ते देने की स्पष्ट सिफारिश की है I
दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, गुजरात समेत देश के 16 राज्यों के पशुचिकित्सक मानव चिकित्सकों के समान वेतन प्राप्त कर रहे हैं I राजस्थान के पशुचिकित्सक इस भेदभाव के विरुद्ध 2 दशकों से संघर्षरत हैं I पशुपालन व्यवसाय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है I राज्य की जीडीपी में पशुपालन का योगदान 12.5 प्रतिशत के साथ नगदी फसलों से अधिक है I पशुचिकित्सकों की वर्षों की मेहनत के बदौलत राजस्थान पशुधन संख्या व दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से देश में दूसरे स्थान पर है I राजस्थान चमड़ा निर्यात, ऊन उत्पादन, अंडा उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है I 900 पशुचिकित्सा अधिकारी की भर्ती राजस्थान उच्च न्यायालय में विचाराधीन है जिसकी सुनवाई पूर्ण हुए 3 माह हो चुके है, किंतु न्यायालय द्वारा केस का निर्णय नहीं सुनाया जा रहा है I परिणामस्वरुप पशुपालन विभाग मानव संसाधन की कमी से जूझ रहा है I पशुपालन विभाग में पशुचिकित्सकों के 65 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त हैं I बावजूद इसके पशुचिकित्सकों ने दिन– रात चिकित्सा व उपचार करते हुए लंपी के दौरान लाखों गौ–वंश की जान बचाई I पशुचिकित्सक 22 –दिन से क्रमिक अनशन पर है, सरकार द्वारा सभी मांगों के परीक्षण व निर्णय हेतु 21 दिसंबर को एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था, जिसकी आज दिन तक एक भी बैठक नहीं हुई I पशुचिकित्सकों में इसको लेकर आक्रोश व्याप्त है I सभी पशुचिकित्सक ऐसोसिएशन से क्रमिक अनशन को आमरण अनशन में तब्दील करने की मांग कर रहे हैं I