सीकर जिले में स्थित है 400 साल प्राचीन मनसा देवी माता का मंदिर
मनसा देवी माता की दिन में तीन बार होती है आरती
महिषासुर मर्दिनी, अष्टभुजा, सिंघ सवार, ब्रह्माणी रूप में विराजमान मनसा देवी माता
सीकर, (विजेंद्र सिंह दायमा) सीकर जिले के दातारामगढ़ तहसील के बाय कस्बे में स्थित प्राचीन मनसा देवी माता महिषासुर मर्दिनी, अष्टभुजा,सिंघश्वार, ब्रह्माणी रूप में विराजमान है। मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश व पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि पुराने समय में नवलगढ़ के पास चैनपुरा गांव में पहले इनका मंदिर था लेकिन विपत्ति के समय श्री लक्ष्मीनाथ भगवान की मूर्ति व मनसा देवी माता की मूर्तियां दो बैलगाड़ीयो में रातों-रात प्रस्थान किया। बेल गाड़ी चलाने वालों को निर्देश थे कि जिधर भी बैलगाड़ी जाए उधर जाने देना और जहां भी सूर्य उदय हो और बेल गाड़ी चलना रुक जाए वहीं पर स्थापना कर देना। इसी तरह बाय कस्बा पहले बाईजी गांव के नाम से जाना जाता था और बैलगाड़ी सूर्य उदय होते होते इसी कस्बे में आकर रुक गई। और मनसा माता मूर्ति की स्थापना बाय में ही हो गई। जबसे मंदिर की स्थापना हुई है तब से लेकर अब तक मंदिर पुजारी ओम प्रकाश, भगवान सहाय, पुरुषोत्तम शर्मा के पूर्वज व स्वयं लगभग चौदह पीढ़ियों से पूजा करते आ रहे हैं।मनसा माता की सुबह को मंगल आरती, दोपहर सवा बारह बजे भोग आरती, साईं कालीन को संध्या आरती की जाती है। मनसा देवी माता की भगत संतोष देवी टेलर ने बताया कि चालीस साल से माता के यहां आ रही है और माताजी ने हमारी संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण की है और मेरी बड़ी आस्था है। मनोकामनाएं पूर्ण होने पर जात झडूले भी यही लेकर आते हैं।