केंद्र में रही जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की बड़ी लापरवाही
झुंझुनू, ज़िंदगी इक हादसा है और कैसा हादसा, मौत से भी ख़त्म जिसका सिलसिला होता नहीं, जिगर मुरादाबादी की इस शायरी की तरह एक विमंदित युवक रोहतास की मौत का सिलसिला भी खत्म हुआ नहीं लगातार यह लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है तो समाचारों की सुर्खियों में भी पूरे प्रदेश में छाया हुआ है। और ऐसा हो भी क्यों न क्योंकि झुंझुनू जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में सबसे बड़ी चिकित्सा जगत की लापरवाही जो निकलकर सामने आई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिंदा युवक को अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया था वह चिता की लड़कियों पर जिंदा हो गया और उसको फिर दोबारा से उसी अस्पताल में लाया गया और जहां से उसको जयपुर एसएमएस अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। सुबह 5:30 बजे उसने आज वहां पर अंतिम सांस ली। इस प्रकार जिंदगी मौत के साथ लापरवाही का तमाशा पूरे साढ़े 15 घंटे चला और इस पूरे तमाशे के केंद्र में झुंझुनू जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल बीडीके रहा। जिन्दा को मृत घोषित करने की लापरवाही फिर पोस्टमार्टम में लापरवाही और उसके भी ऊपर बीड़ीके अस्पताल के पीएमओ ने अपने उच्च अधिकारियों के साथ झुंझुनू जिला कलेक्टर तक को भी इस मामले में अवगत नहीं करवाया। यानी लापरवाही लापरवाही और सिर्फ लापरवाही। हालांकि इस पूरे मामले में झुंझुनू जिला कलेक्टर ने बड़ी मुस्तैदी दिखाई और उनके संज्ञान में आने पर उन्होंने तुरंत ही उच्च प्रशासन को पूरे मामले से अवगत कराया और रिपोर्ट आने के उपरांत जिन तीन डॉक्टर की लापरवाही सामने आई उनको सस्पेंड कर जैसलमेर बाड़मेर और जालौर के लिए टिकट बना दिया गया।
बाड़मेर जैसलमेर किसी कर्मचारी को दिखाने की बात कह देना भी बड़ी बात होती है लेकिन झुंझुनू जिला कलेक्टर की मुस्तैदी ने बड़ी तेजी के साथ पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया। वहीं रात को ही युवक रोहतास को जयपुर के लिए रेफर किया गया। जहा पर उसने दम तोड़ दिया। देर रात को जिला कलक्टर रामावतार मीणा की अनुशंसा पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव निशा मीणा ने बीडीके के पीएमओ डॉ संदीप पचार, डॉ योगेश कुमार जाखड़ व डॉ नवनीत मील को निलम्बित कर दिया। निलम्बन काल के दौरान डॉ पचार का मुख्यालय जैसलमेर, डॉ जाखड़ का बाड़मेर व डॉ नवनीत मील का मुख्यालय सीएमएचओ ऑफिस जालोर किया गया है। बता दे कि झुंझुनूं जिले के बगड़ कस्बे के मां सेवा संस्थान के आश्रय गृह में रहने वाले विमंदित रोहिताश की गुरुवार दोपहर तबीयत बिगड़ गई। जहां बीडीके अस्पताल में उसका इलाज शुरू किया गया। दोपहर करीब दो बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसे अस्पताल की मोर्चरी के डीप फ्रीज में भी रखवा दिया दो घंटे बाद पोस्टमार्टम कर पंचनामा भी बनाया गया। डॉक्टरों ने मृत मानकर व्यक्ति को संस्थान को सौंप दिया। संस्था के लोगों ने श्मशान में जब उसको चिता रखा तो उसकी सांरों चलने लगीं। उसके शरीर में हरकत देखकर वहां मौजूद लोग एक बार तो डर गए। इसके बाद उत्से तुरंत एंबुलेंस से अस्पताल लाया गया। जहा से रात 1 बजे के लगभग उसे जयपुर रैफर किया और सुबह 5 : 30 बजे उसकी मौत हो गई। एक विमंदित जिंदगी के अंत की इस पूरी कहानी ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया वही बीड़ीके अस्पताल के हालातो की उस पोल को भी खोलकर रख दिया जो जिम्मेदारों की नजर से अभी तक छुपी हुई थी। शेखावाटी लाइव ब्यूरो रिपोर्ट झुंझुनू