बुहाना क्षेत्र के गांव मोई भारू के शहीद राजेश कुमार की मां गिन्नी देवी अपने बड़े बेटे के साथ जिला कलेक्ट्रेट के बाहर अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठी
मांग – जो अविवाहित शहीद हुए हैं उनके परिवारों के साथ सरकार के द्वारा जो सुविधाओं को देने में भेदभाव किया जा रहा है उस पर रोक लगाई जाए
झुंझुनू, शहीदों और सैनिकों की धरा झुंझुनू रणबांकुरे के शौर्य के लिए पूरे देश में जाना जाता है लेकिन इन दिनों झुंझुनू के फौजी और शहीद परिवार ही झुंझुनू जिला कलेक्ट्रेट के बाहर अपनी समस्याओं को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। जी हां, कल से बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स का जवान पट्टे को लेकर सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार पर सवाल उठाते हुए धरने पर बैठा हुआ है। उनके बगल में ही आज झुंझुनू जिले के बुहाना क्षेत्र के गांव मोई भारू के शहीद राजेश कुमार की मां गिन्नी देवी अपने बड़े बेटे के साथ जिला कलेक्ट्रेट के बाहर अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठ चुकी है। इस शहीद परिवार की प्रमुख मांग है कि जो अविवाहित शहीद हुए हैं उनके परिवारों के साथ सरकार के द्वारा जो सुविधाओं को देने में भेदभाव किया जा रहा है उस पर रोक लगाई जाए। शहीद राजेश कुमार के भाई धर्मेंद्र ने जानकारी देते हुए बताया कि शादीशुदा शहीदों के लिए सरकारी नौकरी का प्रावधान है। इसके साथ ही अन्य नो प्रकार की सुविधाएं भी इन परिवारों को दी जा रही हैं लेकिन अविवाहित शहीद परिवार को सिर्फ जमीन देने की सुविधा भी दी जा रही है। हमारी मांग है कि अविवाहित शहीद परिवारों के साथ होने वाले इस भेदभाव को समाप्त किया जाना चाहिए। वही धर्मेंद्र ने जानकारी देते हुए बताया कि उनका भाई 6 जून 2000 को कश्मीर में शहीद हुआ था और हमें जानकारी दी गई थी की अंतिम संस्कार के लिए उनका शव भी भेजा नहीं जा सकता उनके शरीर के कई टुकड़े हो गए थे। इसलिए अस्थि कलश में ही हमारे भाई वापस लौट कर आया था। शहीद के भाई ने कहा कि पिछले 22 साल से हम लगातार यहां वहां चक्कर काट रहे हैं। वहीं उन्होंने बताया कि शहीद का जहां स्मारक बनाया गया था उसका आज तक हमें खर्चा नहीं मिला है और प्रशासन द्वारा उसका पट्टा भी हमें नहीं दिया गया है हमें कहा जा रहा है कि यह जोहड़ की जमीन में है तो शहीद के भाई धर्मेंद्र कुमार ने सवाल उठाया कि जब नेता स्मारक का उद्घाटन करने के लिए आए थे जहां पर प्रशासन भी उपस्थित था तब उनको यह बात दिखाई नहीं दी क्या।