विश्व के अनोखे मंदिर की Video Report – गाथा करणी माता री.. मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
करणी माता से जुड़ा आज बन रहा है विशेष संयोग
नवरात्रि एवं रामनवमी पर विशेष प्रस्तुति
करणी माता से जुड़ा आज बन रहा है विशेष संयोग
झुंझुनू, मेरी मां के बराबर कोई नहीं….. यही कालरात्रि यही करणी और कल्याणी है। आज रामनवमी का त्यौहार है इसके साथ ही मां दुर्गा के नवरात्रि भी संपन्न हो रहे हैं। इसके साथ ही आज एक विशेष संयोग भी है जिससे हम आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं, उससे पहले हम आपको बता दे कि हम बात कर रहे हैं बीकानेर के देशनोक में स्थित करणी माता की। जी हां, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चैत्र शुक्ल नवमी गुरुवार के दिन ही करणी माता ज्योतिर्लिंन हुई थी और आज चैत्र शुक्ल नवमी गुरुवार का ही दिन है। आज हम आपको मां करणी की कथा और महिमा के बारे में संक्षिप्त में अवगत करवाएंगे। बीकानेर के देशनोक में करणी माता का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर की खास बात यह है इसमें हजारों की संख्या में चूहे विचरण करते हैं इन चूहों को काबा कहा जाता है और इसी के चलते इसे चूहों का मंदिर भी कहा जाता है। सफ़ेद चूहे के दर्शन मंदिर में होना बहुत ही शुभ माना जाता है। हजारों की संख्या में चूहे होने के बावजूद भी यहां पर आज तक किसी भी प्रकार की ना तो कोई बीमारी फैली है। यहां तक कि जब दुनिया भर में प्लेग का प्रकोप था तब भी माता के दरबार में आने वाले हजारों की संख्या में चूहों के बीच भी मां के भक्त सुरक्षित रहे। इसी बात को लेकर सात समंदर पार के वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित रहे। मंदिर की महिमा ऐसी है हर जगह आपको चूहे विचरण करते हुए नजर आते हैं जिसके चलते आने वाले श्रद्धालु यहां पर अपने पैरों को जमीन पर घसीटते हुए चलते हैं। ताकि काबा यानी चूहों को किसी भी प्रकार की हानि नहीं हो और वह दोष के भागीदार नहीं हो। माना जाता है कि करणी माता साक्षात हिंगलाज माता का ही अवतार थी। करणी माता का जन्म चारण कुल में विक्रम संवत 1444 अश्विनी शुक्ल पक्ष की सप्तमी शुक्रवार को हुआ था। करणी माता के आशीर्वाद से ही राव बिका ने जंगल प्रदेश में राज्य स्थापित किया था। करणी माता ने मानव मात्र व पशु पक्षियों के संवर्धन के लिए देशनोक में 10000 बीघा औरण की स्थापना की थी। करणी माता ने पुंगल के राव शेखा को मुल्तान जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है के कारागृह से मुक्त करवाकर उसकी पुत्री का विवाह राव बिका से संपन्न करवाया था। करणी माता ने गायों की रक्षार्थ बहुत से कार्य किए थे और करणी माता की गायों का चरवाहा दशरथ मेघवाल था।
डाकू पैथड़ और पूजा महला से गायों की रक्षार्थ दशरथ मेघवाल ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। करणी माता ने डाकू पैथड़ और पूजा महला का अंत कर दशरथ मेघवाल को पूज्य बना बनाया जो सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है। देशनोक में स्थित करणी माता के मंदिर में आपको संगमरमर और दरवाजों पर चांदी के अंदर सुंदर नक्काशी देखने को मिलेगी। वही इसके साथ ही बताया जाता है कि करणी माता के मंदिर में अखंड दीपक है जो चांदी का बना हुआ दुनिया का सबसे बड़ा दीपक है। जिसमें करीब 450 से 500 किलो तक भी डाला जाता है। जो करीब डेढ़ साल तक चलता रहता है। जिसे करणी माता के भक्तों मोनी बाबा द्वारा मंदिर को भेंट किया गया। वही दीपक के लिए बत्ती भी एक विशेष प्रकार से बनाई गई है इसके लिए कच्चे सूत की उपयोग किया गया है। इस दीपक को 14 महीने तथा नियमित रूप से 15 कारीगरों द्वारा काम करके तैयार किया गया। करणी माता एक गुफा में रहकर अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थी यह गुफा आज भी मंदिर में स्थित है। मां के इच्छा अनुसार ही उनकी मूर्ति को इस गुफा में स्थापित किया गया है। वही जो मूर्ति वर्तमान में लगी हुई है वह माता के अंधे भक्त खाती द्वारा बनाई गई थी। माता के चमत्कार और पर्चो की इतनी बड़ी फेहरिस्त है जिसको शब्दों के अंदर व्यक्त कर पाना मुश्किल है। माता की गौरव गाथा को सुनकर मन से बरबस निकल पड़ता है कि मेरी मां के बराबर कोई नहीं। जय मां करणी। यह है शेखावाटी लाइव परिवार के द्वारा मां श्री करणी के चरणों में भक्ति की एक भेट।