या फिर…कहीं ना कहीं एक कार्यकर्ता के मन में दबी अंदर की सच्चाई आई बहार
झुंझुनू – स्टूडियो, मरीज ए इश्क पर रहमत खुद की
मर्ज बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की ग़ालिब
देखिए विशेष प्रस्तुति संपादक नीरज सैनी के साथ
या फिर…कहीं ना कहीं एक कार्यकर्ता के मन में दबी अंदर की सच्चाई आई बहार
झुंझुनू – स्टूडियो, मरीज ए इश्क पर रहमत खुद की
मर्ज बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की ग़ालिब
देखिए विशेष प्रस्तुति संपादक नीरज सैनी के साथ