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सामुहिक बलात्कार के आरोपी को 20 वर्ष का कठोर कारावास एवं पचास हजार रूपये जुर्माना

अपर जिला एवं सेंशन न्यायाधीश संख्या दो प्रमोद बंसल द्वारा दिये गये एक निर्णय में

झुंझुनूं, अपर जिला एवं सेंशन न्यायाधीश संख्या दो प्रमोद बंसल द्वारा दिये गये एक निर्णय में एक पीडि़ता से सामुहिक बलात्कार करने के आरोपी हरी सिंह उर्फ हनुमान पुत्र जुगल उर्फ जुगलाल राजपूत निवासी चारणी की ढ़ाणी तन हेमन्तपुरा थाना गुढ़ागौडज़ी को 20 वर्ष का कठोर कारावास एवं पचास हजार रूपये जुर्माना से दण्डित किया है। मामले का मजेदार तथ्य यह है कि घटना के समय हरी सिंह उर्फ हनुमान बतौर ड्राईवर था और उस वक्त उसने अपना नाम आनंद सिंह होना बताया लेकिन पीडि़ता ने न्यायालय तथा जेल में शिनाख्तगी के समय हरी सिंह उर्फ हनुमान की संदेह से परे पहचान की है तथा इस मामले में दूसरा आरोपी संदीप अभी फरार है जिसके विरूद्ध अनुसंधान अभी लम्बित है। मामले के अनुसार 13 फरवरी 2018 को पीडि़ता ने पुलिस थाना मलसीसर पर एक रिपोर्ट दी कि वह ग्राम मोगा की रहने वाली है, उसका पति विदेश में काम करता है, उसके परिवार में सास-श्वसुर है जो अलग रहते है। परिवार में उसकी जिठानी ने 13 जनवरी 2018 को उसे अपने घर बुलाया और कहा कि उसके ननिहाल का संदीप आया हुआ है जिसके बहिन नही है, तू इसकी बहिन बन जा। इस पर पीडि़ता उसको अपना भाई मानने लगी। 25 जनवरी 2018 को संदीप ने उसे फोन किया कि वह बच्चो को दिखाने जा रही है तो वह भी उसके साथ चलेगा। उसी दिन पीडि़ता बच्चो को सीकर चिकित्सक को दिखाते हुये अपनी रिश्तेदारी में भाई के घर जयपुर चले गये। 27 जनवरी 2018 को संदीप ने उसे जीणमाता जाने के लिये कहा तो वह जीणमाता चले गये व रात को रूक गये। 30 जनवरी को संदीप ने उसे उसके ससुराल मोगा छोडऩे के लिये फोन किया तथा बोलेरो गाड़ी आरजे 18 यूए 5686 व एक व्यक्ति आनंद सिंह को साथ लेकर आया तथा वे सभी उसमें बैठकर आ रहे थे कि सायं को अंधेरे में मुकन्दगढ़ से निकलने के बाद गाड़ी रोकी व उसके बच्चो को चाकलेट देकर बाहर आनंद सिंह के साथ बैठाकर संदीप ने उसके साथ बुरा काम किया। उसके बाद आनंद सिंह ने उसके साथ बुरा काम किया आदि। इस रिपोर्ट पर पुलिस ने मामला दर्ज कर बाद जांच हरीसिंह उर्फ हनुमान के विरूद्ध सम्बन्धित न्यायालय में चालान पेश कर दिया तथा संदीप फरार होने के कारण उसके विरूद्ध अनुसंधान लम्बित रखा गया। इस्तगासा पक्ष द्वारा कुल 22 गवाहान के बयान करवाये गये तथा 44 दस्तावेज प्रदर्शित किये गये। न्यायाधीश ने अपने निर्णय में लिखा कि पीडि़ता द्वारा जो नाम मुल्जिमान द्वारा बताये गये थे उन्ही पर विश्वास कर उसने रिपोर्ट में नाम बता दिये किन्तु पीडि़ता ने न्यायालय में आरोपी हरीसिंह उर्फ हनुमान की पहचान की तथा ड्राईवर बना आनंद सिंह उसकी शिनाख्त जब जेल में की तो हरीसिंह की और ईशारा किया। इस प्रकार आरोपी हरी सिंह उर्फ हनुमान ही ड्राईवर के रूप में आरोपी संदीप के साथ गया था तथा अपराध के दिन भी यही ड्राईवर संदीप के साथ था। न्यायाधीश ने सामुहिक बलात्संग के साथ-साथ आरोपी हरीसिंह उर्फ हनुमान को पीडि़ता को अयुक्त संभोग के लिये विवश कर उनके साथ चलने के लिये उत्प्रेरित करने के आरोप में भी 10 वर्ष का और कठोर कारावास तथा 50 हजार रूपये जुर्माना से दण्डित करते हुये दोनो सजाएं साथ-साथ भुगतने का आदेश दिया गया तथा निर्णय की एक प्रति सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को पीडि़ता को उचित प्रतिकर दिलाये जाने हेतु भी भेजी गयी।

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