स्वतंत्रता सेनानी हनुमान सिंह बुडानिया स्मृति दिवस पर हुआ आयोजन
चूरू, देश की आजादी के लिए हमारे वीर योद्धा साहस पूर्वक, स्वाभिमान से लड़े, यातनाएं सही और देश को दोहरी गुलामी से मुक्त कराया। वे न डिगे, न झुके। आज उनके इतिहास को हम याद करते हैं, सुनते हैं, समझते हैं तब लगता है कि इतनी यातनाओं के बाद भी वे देश के लिए जीए और देश के लिए लड़े। हमें उनके इतिहास से सीख लेते हुए आगे बढ़ना है और अपना स्वयं का इतिहास दर्ज कराना है। भारत की आजादी के पचहतर साल आयोजन शृंखला में जिला प्रशासन एवं महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति की ओर से स्वतंत्रता सेनानी हनुमान सिंह बुडानिया के स्मृति दिवस पर शनिवार को स्थानीय राजकीय कन्या महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए राजस्थान राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज ने यह विचार व्यक्त किए।
आयोग अध्यक्ष रियाज ने कहा कि हनुमान सिंह बुडानिया जेल की यातनाओं से गुजर रहे थे, तब न केवल पूरा गांव अपितु बुडानिया परिवार की स्ति्रयां भी नेतृत्व के लिए आगे आ खड़ी हुईं। आज हमें इस सामूहिकता को समझना है और देश की सामूहिकता को बचाए और बनाए रखना है। कार्यक्रम के अध्यक्ष आईएएस डॉ. धीरज सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास में प्रांतीय आंदोलनों की बहुत बड़ी भूमिका है। हमारे क्षेत्रीय नायक किसी भी मायने में राष्ट्रीय नायकों से कम न थे और ऎसा कहें कि इन्हीं नायकों के बूते पर राष्ट्रीय आंदोलन पूरे देश में गतिशील था।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राजस्थान विश्वविद्यालय सिंडिकेट के पूर्व सदस्य प्रोफेसर हनुमानाराम ईसराण ने कहा कि जोर-जुल्म के रियासत युगीन संघर्ष में हनुमान सिंह बुडानिया सच्चे योद्धा थे। वे बिना किसी लालच के लड़े। जेलों में सत्याग्रह किया। वे आजादी मिलने तक ही नहीं, बीकानेर रियासत का राजस्थान में विलय होने की प्रक्रिया के बीच तक जेल में रहे। ऎसे योद्धाओं को याद करना स्वतंत्रता के 75वें वर्ष आयोजन का असली काम है। प्रारंभ में अतिथियों ने स्वतंत्रता सेनानी हनुमान सिंह बुडानिया के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। राजकीय कन्या महाविद्यालय के प्रभारी अनिल कुमार ने स्वागत उद्बोधन दिया। महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के जिला संयोजक डॉ. दुलाराम सहारण एवं हनुमान सिंह बुडानिया की पौत्रवधू डॉ. अमिता बुडानिया ने धन्यवाद व्यक्त किया। कार्यक्रम में बुडानिया के पुत्र एडवोकेट यशपाल बुडानिया, अरुण बुडानिया, पुत्री विद्याधरी बुडानिया भी मंचासीन रहे। कार्यक्रम में समाजसेवी महेश कुमार मिश्रा, राजीव बहड़, रामरतन सिहाग, डॉ. सुमेर खीचड़, किशन उपाध्याय, जगवंती बुडानिया, नरेंद्र सैनी, सुनीता बाकोलिया, ज्योति सिंह, विशाल बुडानिया, घनश्याम सिंह राठौड़, मोहित बुडानिया, अनिल खीचड़, विजय बुडानिया, रोहित तेतरवाल, महाविद्यालय के प्राध्यापक अनुज कुमार, सतीश कुमार सेन, नितेश, अंजू, डॉ. सरोज हारित आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में एनएसएस के प्रभारी, छात्राओं की सक्रिय भूमिका रही। स्वयंसेवक निर्मला जांगिड़, उर्मिला पारीक, मधुरिमा प्रजापत, जया शर्मा, रितु गुर्जर ने व्यवस्था-सहयोग किया। कार्यक्रम का संचालन अहिंसा प्रकोष्ठ के प्रभारी उम्मेद सिंह गोठवाल ने किया।
स्वतंत्रता सेनानी बुडानिया के नाम से खुले राजकीय कृषि कॉलेज
राजस्थान सरकार द्वारा नियुक्त आजादी-75 आयोजन समिति के जिला संयोजक डॉ. दुलाराम सहारण ने मंच से मांग करते हुए कहा कि चूरू जिला मुख्यालय पर अंचल के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से स्थाई स्मारक हों। इसी कड़ी में सरकार जिला मुख्यालय पर राजकीय कृषि महाविद्यालय खोलें और खेती-किसानी से जुड़े, स्वतंत्रता सेनानी, किसान आंदोलन के नायक चौधरी हनुमान सिंह बुडानिया के नाम से कृषि कॉलेज का नामकरण हो। सहारण ने कहा स्त्री-शिक्षा की अलख जगाने वाले स्वामी गोपालदास के नाम से राजकीय कन्या महाविद्यालय हो एवं अन्य सेनानियों की स्मृति सहेजने हेतु जिला मुख्यालय पर म्यूजियम का निर्माण हो।