भामाशाहों के सहयोग से श्री गांधी बाल निकेतन की पहल
रतनगढ़, [सुभाष प्रजापत ] सेठ सूरजमल जालान राजकीय जिला हॉस्पिटल में शीघ्र ही हड्डियों से जुड़े विभिन्न प्रकार के ऑपरेशन होने शुरू हो जायेंगे। इसके लिए आवश्यक विश्वस्तरीय एलेंजर कम्पनी की सी-आर्म मशीन सहित अन्य एसेसरीज शीघ्र ही हॉस्पिटल को उपलब्ध करवा दी जायेगी। उल्लेखनीय है कि इन संसाधनों के अभाव में लगभग सभी प्रकार की ऑर्थोपेडिक सर्जरी के लिए मरीजों को रेफर किया जाता रहा है जिसके चलते मरीजों को अनावश्यक आर्थिक एवं मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। अब यह मशीनरी लगने से आमजन को बड़ी राहत मिलेगी।हड्डियों से जुड़ी सभी मशीनरी हेतु अरूण अजीतसरिया एवं हर्ष अजीतसरिया द्वारा अपने परिवार के किशनदयाल रामेश्वर चैरिटी ट्रस्ट कोलकाता के माध्यम से 26 लाख 35 हजार की राशि उपलब्ध करवाई है जिससे मशीन खरीदने की प्रकिया प्रारम्भ कर दी गई है।भामाशाह प्रेरक एवं सचिव श्री गांधी बाल निकेतन राजीव उपाध्याय द्वारा अपने पिता शिक्षाविद चम्पालाल उपाध्याय द्वारा शैक्षिक विकास के लिए जीवनभर किये गये कार्यों की परम्परा को आगे बढ़ाने की दृष्टि से भामाशाहों के सहयोग से सरकारी विद्यालयों में इन्टरेक्टिव बोर्ड लगवाये जाने की परियोजना चलाई जा रही है। जिसके अन्तर्गत अब तक रतनगढ़, सुजानगढ़ एवं चूरू की सभी चयनित सरकारी स्कूलों में राशि रूपये 2 करोड़ 85 लाख रूपये के 180 इंटरेक्टिव बोर्ड लगवाये जा चुके हैं।इसी प्रकार सरकारी हॉस्पिटलों में आवश्यक मशीनरी उपलब्ध करवाने का कार्य उक्त मशीनरी उपलब्ध करवाकर रतनगढ़ से प्रारम्भ किया जा रहा है। अगले चरण में यहां जनरल सर्जरी हेतु लगभग 1 करोड रूपये की लेप्रोस्कॉप, एसेसरीज एवं लेजर मशीन के साथ साथ ईएनटी विभाग हेतु अत्याधुनिक मशीनरी उपलब्ध करवाई जायेगी।
जन्मभूमि की सेवा में भागीदार बनकर अतुलनीय संतुष्टि मिलती है। पूर्वजों द्वारा उत्तर भारत के सबसे बड़े अजीतसरिया आई हॉस्पिटल का संचालन दशकों तक किया गया। इसी के अनुसरण में अजीतसरिया परिवार द्वारा शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र में नियमितरूप से सहयोग दिया जा रहा है। अजीतसरिया अरूणआवश्यक मशीनरी के अभाव में मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा था। जनसहयोग से सरकारी हॉस्पिटल में सर्वश्रेष्ठ मशीनरी स्थापित करना निश्चित ही अनुकरणीय पहल है। मशीन लगने के बाद मेरा प्रयास रहेगा कि हड्डियों के ऑपरेशन हेतु मरीजों को रेफर ना होना पड़े। डॉ. सुखवीर खीचड़ लम्बे समय से जिला चिकित्सालय में विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध होने के बावजूद मशीनरी के अभाव में रेफर किया जाता देखना बहुत ही कष्टप्रद अनुभव रहा। उदार भामाशाहों के सहयोग से सरकारी संस्थाओं को तकनीकीरूप से सुदृढ़ करने के प्रयासों के तहत ही यह कार्य करवाया जा रहा है। आशा है हॉस्पिटल प्रशासन जरूरतमंद मरीजों का समुचित इलाज स्थानिय स्तर पर कर परियोजना एवं भामाशाहों की भावना का सम्मान करेगा।