नेताजी मिशन पर हैं, जी हां विधानसभा चुनाव का डंका बज चुका है और इसी के साथ चुनावी सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं। विधानसभा उम्मीदवारों की सूची दोनों ही प्रमुख दलों ने अभी तक जारी नहीं की है जिसके कारण से तूफान से पहले छाई शांति की तरह सन्नाटा छाया है। नेताजी मौन है साथ ही कुछ नेता अपने क्षेत्र से भी गौण है। गौण इसलिए है क्योंकि नेताजी टिकट के लिए परेड पर हैं कभी जयपुर तो कभी दिल्ली दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। फिर भी सांस है गले में अटकी हुई है। दोनों ही प्रमुख दलों में संभावित प्रत्याशियों की एक लम्बी कतार है जो अपने अपने प्रयास में लगे हैं। वही सीकर, चूरू, झुंझुनू के संपूर्ण शेखावाटी क्षेत्र में दोनों राजनीतिक दलों भाजपा व कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने की स्थिति में अभी उम्मीदवार अपने मन में बगावत की आग को दबाकर बैठे हैं। वो इस ताक में है कि टिकट मिली तो ठीक नहीं मिली तो बग़ावत का बिगुल हमे फुकना ही है। कोंग्रेस और भाजपा दोनों दलों में उम्मीदवारी निर्धारित करने के लिए मंथन और रायशुमारी जारी है। वही दोनों प्रमुख दलों से टिकट मांग रहे टिकटार्थी अन्य छोटे दलों बसपा, राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी व घनश्याम तिवाड़ी के संपर्क में भी बताये जा रहे है। ताकि प्रमुख दलों से टिकट न मिलने की स्थिति में चुनाव के मैदान में अपनी चुनौती कायम रखी जा सके। भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवारो की सूचि दीपावली के बाद आने की संभावना है। मगर जिन नेताओ के सर पर टिकट कटने की तलवार लटकी हुई है उनका मुँह में न तो दीपावली की मिठाई मिठास ला पायेगी और न ही फुलझड़ी उनका मन बहला पायेगी। लिहाजा नेताजी की दिवाली संकट में है।