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पुरुष-महिला मतदाता लिंगानुपात में अभूतपूर्व वृद्धि

राजस्थान की मतदाता सूचियों में महिला सशक्तिकरण

विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसएसआर) कार्यक्रम-2025 के दौरान उपलब्धि हासिल

सीकर, राजस्थान ने लोकतंत्र की मजबूती में महिलाओं की भागीदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. यह उपलब्धि है प्रदेश की मतदाता सूचियों में पुरुष-महिला अनुपात में कुछ ही माह में 7 अंकों की अभूतपूर्व वृद्धि. राज्य में पुरुष-महिला मतदाताओं का लिंगानुपात फरवरी 2024 के 923 के मुकाबले दिसम्बर 2024 में 930 हो गया है. निर्वाचन विभाग द्वारा लिंगानुपात में अंतर के कारणों का अध्ययन कर उनके निवारण के अनुकूल कार्ययोजना को लागू करने से यह संभव हो पाया है.
राजस्थान में विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसएसआर) कार्यक्रम-2025 के दौरान मतदाता सूचियों में नाम जोड़ने एवं संशोधन का कार्य चल रहा है. इस क्रम में 12 दिसम्बर तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 1000 पुरुष मतदाताओं के मुकाबले 930 महिला मतदाता हैं. उल्लेखनीय है कि यह आंकड़ा राज्य में एसएसआर-2025 के लिए लक्षित मतदाता लिंगानुपात 926 से 4 अंक अधिक है. इस प्रकार राजस्थान में मतदाता सूची के लिंगानुपात के लक्ष्य को पार कर लिया गया है. एसएसआर कार्यक्रम-2021 से 2024 के बीच के 4 वर्षों के दौरान मतदाता लिंगानुपात में 918 से बढ़कर 923 तक 5 अंक का सुधार हुआ. इस वर्ष कुछ ही महीनों में इस आंकड़े में 7 अंक की बढ़ोतरी हुई है.

करौली में मतदाता लिंगानुपात 20 अंक बढ़ा
करौली जिले में मतदाता लिंगानुपात में अब तक 20 अंकों की उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज हुई है. यहां पुरुष और महिला मतदाताओं का अनुपात 20.08.2024 को प्रारूप सूचियों के प्रकाशन के समय के मुकाबले 12.12.2024 तक 20 अंक बढ़ गया है. इसी प्रकार, बाड़मेर जिले में मतदाता लिंगानुपात में 18 अंक और बीकानेर में 14 अंक का सुधार हुआ है.

26 जिलों में लिंगानुपात 900 के पार
एसएसआर-2025 की अवधि में चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिलों में मतदाता लिंगानुपात 4-4 अंक बढ़कर क्रमश: 994 और 993 हो गया है, जो राज्य में सबसे अधिक है. प्रदेश के कुल 33 जिलों में से 26 में पुरुष-महिला मतदाता लिंगानुपात 900 से अधिक है, इनमें से 9 जिलों में यह आंकड़ा 950 से भी अधिक है.

महिला मतदाताओं की कुल वृद्धि पुरुषों से अधिक
मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण के क्रम में 20.08.2024 को प्रारूप सूचियों के प्रकाशन के बाद से अब तक मतदाताओं की कुल संख्या में 7,65,624 की वृद्धि हुई है. इसमें महिला मतदाताओं की संख्या 4,52,230 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 3,13,378 है, जबकि इस अवधि में 16 थर्ड जेंडर मतदाताओं के नाम भी सूचियों में जोड़े गए हैं.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्री नवीन महाजन ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में मतदाता सूचियों में नाम जोड़ने और संशोधन का काम जारी है. उन्होंने आशा व्यक्त की है कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार एसएसआर कार्यक्रम के परिणामस्वरूप 6 जनवरी, 2025 को अंतिम मतदाता सूचियों के प्रकाशित होने तक पुरुष-महिला मतदाता लिंगानुपात के अंतर में और अधिक कमी होने की सम्भावना है.

लिंगानुपात में सुधार के लिए रणनीति:
निर्वाचन विभाग, राजस्थान ने इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए विशेष रणनीति के तहत कार्य किया. सर्वप्रथम 5 वर्ष के मतदाता नामांकन के आंकड़ों तथा रुझानों और मौजूद मतदाता सूचियों का विश्लेषण किया. इस दौरान यह रेखांकित किया गया कि बीते चार वर्षों में महिला-पुरुष मतदाता लिंगानुपात में केवल 5 अंक (918 से 923) का ही सुधार हुआ है. एसएसआर-2021 में लिंगानुपात 918 था, जो एसएसआर-2022 और 2023 में 920 ही रहा तथा एसएसआर-2024 में बढ़कर 923 तक पहुंच गया. मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण के दौरान लिंगानुपात की इस स्थिति का जिला निर्वाचन अधिकारियों ने गहराई से अध्ययन कर सभी निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों के साथ मिलकर सूचियों का अध्ययन कर इसके कारणों की पहचान की.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी की पहल पर राजस्थान को महिला मतदाता नामांकन में अग्रणी राज्य बनाने के क्रम में विभाग ने स्थानीय स्तर पर पंजीकरण कार्य में शामिल अधिकारियों की महिलाओं के मतदाता के रूप में नामांकन में आ रही बाधाओं को दूर करने पर ध्यान केन्द्रित किया. सूचियों के पुनरीक्षण के दौरान महिला मतदाताओं के नामांकन को एक अभियान का रूप देने की योजना बनाई और नामांकन प्रक्रिया में निचले स्तर तक अधिकारियों को इस योजना के अनुरूप कार्य करने के लिए प्रेरित किया. इस मुहिम को शुरू करने के बाद भी प्रचलित सामाजिक परिवेश में महिलाओं का नामांकन बढ़ाने की राह आसान नहीं थी.

पुरुष-महिला मतदाताओं के अनुपात में अंतर के कारण:

  • साधारणतया परिवार की विवाह-योग्य पुत्रियों का नाम मतदाता सूची में नहीं जुड़वाया जाता है.
  • नव-विवाहिताओं के नाम जुड़वाने के लिए उनके स्थायी पते से सम्बंधित दस्तावेज आसानी से उपलब्ध नहीं रहते हैं.

समाधान के लिए अभियान:
मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया कि इन समस्याओं के समाधान के लिए घर-घर सम्पर्क कर महिलाओं के नाम जोड़ने के लिए प्रेरित किया जाए. साथ ही, पते संबंधी दस्तावेज के लिए फील्ड मशीनरी द्वारा सत्यापन की उचित प्रक्रिया अपनाकर शपथ-पत्र प्राप्त किए जा सकते हैं. इसके अतिरिक्त 9, 10, 23 और 24 नवम्बर को मतदान केन्द्र स्तर पर विशेष मतदाता पंजीकरण शिविर आयोजित किए गए, जिनमें विभाग मुख्यालय से वरिष्ठ अधिकारियों को मतदान दौरा कर वहां स्थानीय मशीनरी को प्रेरित करने के लिए भेजा गया. इस क्रम में मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने स्वयं भी मतदान केन्द्रों का दौरा किया.
उल्लेखनीय है कि राजस्थान के 7 जिलों में महिला जिला कलक्टर पदस्थापित हैं. मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इन जिला निर्वाचन अधिकारियों को भी अपने जिलों में लिंगानुपात में सुधार के लिए विशेष प्रयास करने का सुझाव दिया. सभी जिला कलक्टर और उनकी टीमों को साथ लेकर किए गए प्रयासों के प्रतिफल में ही लिंगानुपात में 7 अंकों की वृद्धि की सफलता हासिल हुई है, जिसके आगे भी जारी रहने की संभावना है.
निर्वाचन विभाग ने लिंगानुपात में अधिक अंतर वाले करौली, बाड़मेर, बीकानेर, बारां आदि जिलों के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की. इसी के परिणामस्वरूप चार जिलों में इस लिंगानुपात में रिकॉर्ड सुधार हुआ. करौली जिले में लिंगानुपात में 20 अंक, बाड़मेर में 18, बीकानेर में 14 और बारां जिले में लिंगानुपात में 11 अंकों का सुधार हुआ. इससे राज्य की आधी आबादी निर्वाचन प्रक्रिया में अपनी भागीदारी देने के लिए तैयार हो पाई है. यह भी उल्लेखनीय है कि दो जिलों, प्रतापगढ़ और चितौड़गढ़ में पुरुष-महिला मतदाता लिंगानुपात क्रमश: 993 और 994 हो गया है.

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