लोकसभा में नियम-377 के तहत्त उठाया मुद्दा।
दिल्ली/ चूरू, सांसद राहुल कस्वां ने लोकसभा में नियम-377 के अंतर्गत राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल कर राज्य में राजभाषा का दर्जा दिए जाने की मांग की।उन्होंने सदन में कहा कि राजस्थानी भाषा को संवैधानिक सम्मान नहीं दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। आजादी के पहले से ही राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिए जाने की मांग शांतिपूर्ण तरीके से की जाती रही है, लेकिन देश प्रदेश की सरकार द्वारा राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिए जाने की मांग को लगातार अनदेखा किया जा रहा है।
2003 में तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करते हुए संवैधानिक दर्जा दिए जाने हेतु सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करके केन्द्र सरकार को भेजा गया था। भाषाविद् एमएस महापात्रा के प्रतिनिधित्व में एक कमेटी भी बनाई गई थी, जिसने राजस्थानी भाषा को समृध्द बताया था। सभी मापदण्डों को पूरा करने के बावजूद आज तक राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है, जबकि अन्य भाषाओं को लगातार राजभाषा का दर्जा दिया जा रहा है। 2003 में संविधान की 8वीं अनुसूची में बोडो, डोगरी, मैथिली, संथाली आदि को जोड़ा गया तथा हाल ही में असमिया, बांग्ला व मराठी आदि को जोड़ा गया है, लेकिन राजस्थानी भाषा को यह दर्जा अब तक नहीं मिल पाया। आखिर ऐसे कौनसे मानक हैं जो राजस्थानी भाषा पूरा नहीं कर रही।
सांसद कस्वां ने कहा कि सरकार राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करे और राज्य सरकार अनुच्छेद-345 के तहत्त राजस्थानी भाषा को राज्य की राजभाषा का दर्जा प्रदान करे।