क्या झुंझुनू में कल की लूट के मायने दूर तक जायेगे
शेखावाटी का क्षेत्र कानून व्यवस्था की दृष्टि से हमेशा से शांत रहा है। यहां के युवाओं के शौर्य की चर्चा देश की सेनाओं में देखने को मिलती थी और मिलती भी है लेकिन यह फिर ऐसा क्या हो गया कि क्षेत्र के युवा अपराध जगत की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे हैं। इसका कारण है पुलिस की नाकामी। पड़ोसी राज्य हरियाणा में ऐसी गतिविधियां संचालित होती थी जिनका असर झुंझुनू जिले के पिलानी क्षेत्र तक ही सीमित था उससे आगे कभी भी फायरिंग की घटनाएं सुनने को नहीं मिली। लेकिन अब तो सीकर, चूरू, झुंझुनू शेखावाटी के तीनों जिलों में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं बचा है जहां से रोज रेप, मर्डर, चोरियां, बैंक लूट, फिरौती मांगने की घटनाएं सुनने को नहीं मिलती है। कल झुंझुनू में घटित ज्वेलरी की दुकान में लूट और ज्वेलर को गोली मारने की घटना का विश्लेषण करें तो यह सिर्फ लूट तक ही सीमित मामला नहीं है। यह झुंझुनू पुलिस को मुख्य आरोपी योगेश चारणवासी की खुली चुनौती है। उसका अपनी आईडी देकर जाना और पुलिस को चेंज करना। साथ ही लूट की वारदातों में आरोपी अपना चेहरा ढक कर रहते हैं लेकिन इसमें योगेश चारणवासी ने अपना चेहरा नहीं ढका। यह भी अपने आप में एक संकेत था कि पुलिस को ओपन चैलेंज है। साथ ही मुख्य आरोपी का चेहरा न छुपाना अपने आप में सोची समझी साजिश है। जिसका उदेश्य अपने को अपराध की दुनिया में इस तरह स्थापित करना कि लोगो में उसके नाम की दहशत पैदा हो जाये ताकि शेखावाटी के व्यापारियों में उसके नाम का खौफ ही इतना हो जाये कि भविष्य में आसनी से वह किसी भी व्यापारी को डराकर फिरौती की रकम वसूल कर सके। यदि ऐसा होता है तो जनता का चालान काटने वाली पुलिस का भी क्यों न जनता कानून व्यवस्था फैल होने पर चालान काटे ? स्थानीय लोगों ने बताया कि वारदात के 1 घंटे के बाद भी बार-बार फोन करने के बाद भी झुंझुनू पुलिस मौका स्थल पर नहीं पहुंची। जब झुंझुनू जिला मुख्यालय इतनी बड़ी तादाद में पुलिस की संख्या बल रहता है उसके बावजूद भी उसको इतनी बड़ी घटना होने के बाद पहुंचने में 1 घंटे से अधिक वक्त पुलिस को पहुंचने में लग जाता है तो हमारे जिले के दूरदराज के क्षेत्र हैं जहां पर ना तो कोई पुलिस चौकी है ना कोई पुलिस थाना है ऐसे स्थानों पर लोग कैसे पुलिस की भरोसे अपने आप को महफूज समझ सकते हैं। शेखावाटी की पुलिस कॉलेज की लड़कियों पर डंडे बरसाकर अपनी मर्दानगी दिखाती है वही अपराधी इनको खुलेआम चुनौती देकर चले जाते हैं। शेखावाटी की इस धारा पर लगातार लगातार रेप, मर्डर, चोरियां, बैंक लूट और फिरौती की घटनाएं दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं यह अपने आप में पुलिस सिस्टम के फैलियर होने को दर्शाता है। पुलिस प्रशासन अपने को सामाजिक सरोकारों से ऊपर उठकर कार्य करने की आवश्यकता है वह अपने को इनमे ही सिमित कर खुद अपनी पीठ न थपथपाए। मैत्री और महिला सशक्तिकरण और यातायात व्यवस्था तक ही सीमित न होकर अपने प्रमुख कार्य कानून व्यवस्था पर अपना ध्यान ज्यादा फोकस करे। हम पुलिस के सामाजिक सरोकारों पर उंगली नहीं उठा रहे है पर वह अपने मूल कर्तव्य से वह न भटके। जिले में समय समय पर पुलिस की गश्त पर भी सवाल खड़े हो रहे है। आधा दर्जन से अधिक दुकानों के ताले एक रात में टूट जाते है और पुलिस गश्त पर है ? पुलिस को आत्म मंथन करने की आवश्यकता है कि जो अपने स्लोगन में आमजन में विश्वास और अपराधियों में डर का दावा करती है। धरातल पर बिलकुल उल्टा हो रहा है आम आदमी पुलिस से खौफ खाता है और अपराधी है कि पुलिस से भरी दोपहरी में आँख मिचौली खेल कर चले जाते है। क्या यह शेखावाटी में समान्तर सिस्टम अंडर वर्ल्ड को स्थापित करने का आगाज तो नहीं है।