कौन सुनेगा मुफलिसी के मारे परिवार की दास्तान
नवलगढ़, कस्बे के वार्ड नंबर 34 के नदी पुरा मोहल्ले के सांवरमल गर्वा के दो हाथ थे वह भी ऊपर वाले ‘सांवरे’ ने बेवक्त ही छीन लिए अब बचे हैं उसके दो पैर यह दो पैर भी अब सहायता के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाते लगाते थक चुके हैं। सांवरमल गर्वा की पत्नी अनीता देवी ने बताया कि मेरे पति मजदूरी का काम करते थे और चेजे पर काम करते वक्त बिजली की लाइन से इनको करंट लग गया जिसके चलते इनके दोनों हाथ कट गए। परिवार में सांवरमल अकेले ही कमाने वाले थे जिसके चलते उसके दो छोटे बच्चे और पत्नी को खाने के लाले पड़ चुके है। इनके बड़े बेटा जो दसवीं क्लास में था उसकी इस हादसे के चलते पढ़ाई भी बीच में छूट चुकी है। बीपीएल श्रेणी में शामिल एक कमरे में निवास करने वाला यह गरीब परिवार अब सरकारी सहायता और सुनवाई के लिए दर-दर सरकारी कार्यालयों में ठोकरें खाता घूम रहा है। सांवरमल गर्वा का पिता लगभग 100 वर्ष का बूढ़ा हो चुका है उसकी आंखों की रोशनी भी अब जवाब दे रही है ऐसी स्थिति में सांवरमल गर्वा का परिवार मुफलिसी में अपना जीवन गुजार रहा है। सांवरमल गर्वा की पत्नी अनीता देवी ने बताया कि नवलगढ़ थाने में हादसे की सुनवाई को लेकर बार बार चक्कर काट चुकी है लेकिन उसे वहां से उन्हे टरका कर भगा दिया जाता है। उसने बताया कि वह सप्ताह भर पूर्व जिला कलेक्टर के यहां भी गुहार लगा चुकी है और कल बुधवार को जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में अपनी सुनवाई के लिए पहुंची वहां से भी उसे कोई संतुष्टि पूर्वक जवाब नहीं मिला। जिसे देख कर लगता है कि अब सांवरमल गर्वा के यह दो पैर भी दफ्तरों के चक्कर लगाते लगाते थक चुके हैं। यह मामला किस कारण से हुआ किसकी गलती थी यह एक अलग विषय है। बात मानवीय संवेदनाओं की करें तो एक व्यक्ति अपने परिवार का पालन पोषण करता था आज अपने दोनों हाथ गंवाने के बाद वह इतना मजबूर हो चुका है कि वह अपना पेट नहीं भर सकता ऐसे में उसके परिवार के सामने भी खाने के लाले पड़े हुए हैं। वहीं करोड़ों रुपए की सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं कागजों में धूल फांकती रहती है लेकिन धरातल पर ऐसे लोगों को सहायता नहीं मिल पाती है यह भी चिंता और पीड़ा का विषय है।