आदर्श समाज समिति इंडिया द्वारा गरीब मजदूरों को सुरक्षित घर पहुंचाने की उठाई गई मांग
सूरजगढ़, आज सोमवार 13 अप्रैल को आदर्श समाज समिति इंडिया द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जलियांवाला बाग हत्याकांड में शहीद हुए देशभक्त वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजा गया। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने बताया कि आज के दिन 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं द्वारा एक सभा का आयोजन किया गया था। सभा पर जलियांवाला बाग में निहत्थे लोगों पर अंग्रेजी हुकूमत द्वारा गोलियां चलाई गई। जिसमें हजारों क्रांतिवीर शहीद हो गये। दो हजार से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गये थे। मानव इतिहास में आज के दिन को काला दिन के रूप में मनाते हैं। देश के वर्तमान परिदृश्य को लेकर आदर्श समाज समिति इंडिया द्वारा लाॅक डाउन की वजह से बीच रास्तों में फंसे लाचार, बेबस, गरीब मजदूर, ट्रक ड्राइवर, दिहाड़ी मजदूर, श्रमिकों व अन्य लोगों को सुरक्षित उनके घर तक पहुँचाये जाने की मांग उठाई गई है। बीच रास्तों में फंसे गरीब मजदूरों की भुखमरी व अन्य परेशानियों की वजह से मौत हो रही है। कहीं ऐसा ना हो जाए कि कोरोनावायरस के संक्रमण से ज्यादा मौत हमारे लोगों की भूख और परेशानियों से हो जायें। सरकार को आभास होना चाहिए कि श्रमिक वर्ग का एक बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है। हमारे देश में आज भी सबसे ज्यादा संख्या श्रमिकों व गरीब दिहाङी मजदूरों की है जो देश के विभिन्न राज्यों में मजदूरी कर अपना पेट पाल रहे हैं और गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलने की वजह से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी द्वारा 24 मार्च को अचानक बिना किसी पूर्व तैयारी के पूरे देश में 21दिन का लॉक डाउन घोषित कर दिया गया। जिसकी वजह से करोड़ों गरीब मजदूर, ट्रक ड्राइवर, दिहाड़ी मजदूर व अन्य लोग बीच रास्तों में फंस गये। जो श्रमिक फैक्ट्रियों में काम करते थे उनको वहां से निकाल दिया गया, जो गरीब मजदूर ठेकेदारों के काम करते थे उन ठेकेदारों ने भी मजदूरी के पैसे दिए बिना मजदूरों को बीच मझधार में छोड़ दिया। अब गरीब मजदूर जायें तो कहाँ जायें। वो मजबूर थे, हजारों किलोमीटर अपने घरों से दूर थे। बस,रेल आवागमन के सभी साधन लॉकडाउन की वजह से बंद हो गये। गरीब मजदूरों के पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी। उन असहाय, बेबस मजलूमों के तो जिंदगी के सारे रास्ते बंद हो गये। यह गरीबों के साथ बहुत बड़ा अत्याचार और त्रासदी थी। सड़कों पर उनको पुलिस मार रही थी। यह गरीब मजदूरों के साथ बहुत बड़ा अन्याय और प्रताड़ना थी। सरकार को गरीब मजदूरों व बाहर काम कर रहे लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए फैसला लेना चाहिए था। गरीब मजदूरों को घर तक पहुंचने का समय दिया जाना चाहिए था। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि सभी को अपने घरों में रहना है लेकिन जिनके घर नहीं हैं या जिनके घर हजारों किलोमीटर दूर वो किन के घर में जाकर रहें। कोई भी महामारी के डर से किसी को घर में किराये का मकान भी नहीं दे रहा है। जो लोग किराये के मकान में रह रहे थे, उनसे भी महामारी के डर से मकान खाली करवा लिए गये। मजबूरी में गरीब मजदूरों को अपने घर की ओर पलायन करना पड़ा। गरीब मजदूरों के महिला व बच्चे भूखे प्यासे नंगे पांव सड़कों पर हजारों किलोमीटर का रास्ता तय कर रहे हैं। रास्ते में उनको पुलिस द्वारा भी जगह-जगह प्रताड़ित किया जा रहा है। बंधक बनाया जा रहा है। कुछ लोगों की बीच रास्ते में भूख से मौत हो गई है। गरीब मजदूर अपने ही देश में बेगाने हो गये हैं। जिस तरह की खौफनाक भयानक तस्वीरें देखने को मिल रही है। उससे साफ जाहिर हो रहा है कि सरकार को अपने नागरिकों की सुरक्षा की तनिक भी परवाह नहीं है। कुछ लोग भयंकर मुसीबत में फंसे हुए हैं, बीच रास्तों में फंसे हुए श्रमिकों की ओर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। देश के नागरिकों की सुरक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी बनती है। सरकार को बीच रास्तों में फंसे गरीब मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था अविलंब करनी चाहिए।