भारत रत्न पंडित मदनमोहन मालवीय और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मनाई
स्वतंत्र भारत के प्रथम व अंतिम भारतीय गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी को भी किया नमन
सूरजगढ़, आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में चोटिया कॉम्प्लेक्स सूरजगढ़ में पूर्व प्राचार्य डॉ. एस. आर. प्रेमी की अध्यक्षता में एक सभा का आयोजन किया गया। सभा में भरतपुर के महाराजा वीर शिरोमणि महाराजा सूरजमल के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। स्वतंत्र भारत के प्रथम और अंतिम भारतीय गवर्नर जनरल व देश के दूसरे गृहमंत्री, प्रसिद्ध वकील, लेखक, गांधीवादी राजनेता, क्रांतिकारी पत्रकार, दार्शनिक और महान स्वतंत्रता सेनानी भारत रत्न चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की पुण्यतिथि पर उनको भी नमन किया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक, महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, पत्रकार और प्रसिद्ध वकील भारत रत्न महामना पंडित मदनमोहन मालवीय और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मनाई।
महाराजा सूरजमल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए जाट समाज के अध्यक्ष जगदेव सिंह खरड़िया और डॉ. एस. आर. प्रेमी ने कहा- महाराजा सूरजमल राजस्थान के भरतपुर के हिन्दू जाट शासक थे। उनका शासन जिन क्षेत्रों में था वे वर्तमान समय में भारत की राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश के आगरा, अलीगढ़, बुलन्दशहर, ग़ाज़ियाबाद, फ़िरोज़ाबाद, इटावा, हाथरस, एटा, मैनपुरी, मथुरा, मेरठ जिले; राजस्थान के भरतपुर, धौलपुर, अलवर, जिले; हरियाणा का गुरुग्राम, रोहतक, झज्जर, फरीदाबाद, रेवाड़ी, मेवात जिलों के अन्तर्गत हैं। राजा सूरज मल में वीरता, धीरता, गम्भीरता, उदारता, सतर्कता, दूरदर्शिता, सूझबूझ, चातुर्य और राजमर्मज्ञता का सुखद संगम सुशोभित था। मेल-मिलाप और सह-अस्तित्व तथा समावेशी सोच को आत्मसात करने वाली भारतीयता के वे सच्चे प्रतीक थे।
आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में महामना पंडित मदनमोहन मालवीय के योगदान को याद करते हुए बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने वाले महामना को सिर्फ काशी हिंदू विश्वविद्यालय जैसी विश्व प्रसिद्ध संस्थान की स्थापना के लिए ही नहीं जाना जाता है बल्कि गरीबों और मजलूमों की आवाज बुलंद करने वाले महानायक के रूप में भी याद किया जाता है। देश के किसी भी कोने में अगर किसी पर जुल्म-ज्यादती हो और महामना के कानों तक बात पहुंचे तो वह उनको विचलित कर देती थी। वह हर स्तर पर उनकी लड़ाई लड़ते थे। भारतीय स्वतंत्रता इतिहास के कई पन्ने महामना के इस पुनीत कार्य से भरे पड़े हैं। महामना के बनारस से संबंध को तो हर कोई जानता है लेकिन उनको गोरखपुर से भी एक गहरा रिश्ता जुड़ा हुआ है। यह रिश्ता इतिहास के सुनहरे पन्नों में आज भी दर्ज है।
महामना ने चौरीचौरा कांड को अंजाम देने वाले 156 क्रांतिकारियों को फांसी के फंदे से बचाया था। सेशन कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद हाईकोर्ट में क्रांतिकारियों की ओर से पैरवी पंडित मदन मोहन मालवीय ने ही की थी। ब्रिटिश साम्राज्य के उस दौर में मालवीय जी ने सामाजिक न्याय और समानता पर मजबूती से अपना पक्ष रखा। अस्पृश्यता, अशिक्षा, बाल विवाह, विधवा विवाह पर खुल कर प्रहार किया। समाज की रूढ़िवादी परंपराओं का न सिर्फ विरोध किया अपितु जीवन भर उन्हें दूर करने का प्रयास करते रहे। उनके सरल स्वभाव का प्रभाव ही था कि वे उस दौर के सबसे लोकप्रिय शख्सियत बन गए। सहज ही लोग उनकी बातों को अनसुना कर पाते थे। फिर वो ताकतवर ब्रिटिश हुकूमत हो या भारतीय जनमानस का असाधारण नुमाइंदा। संभवतः इसीलिए उन्हें आज भी उदारवादी और राष्ट्रवादियों के मध्य सेतु के रूप में जाना जाता है। हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान को समर्पित उनके जीवन में समाज के प्रत्येक तबके को जोड़ कर रखने की गजब की शक्ति थी। उन्होंने ‘सत्यमेव जयते’ के नारे को जन जन तक लोकप्रिय बनाया। सभा में भारतीय वायुसेना की प्रथम महिला पायलट हरिता कौर देओल को भी याद किया। संयोगवश हरिता देओल का जन्म और शहादत दिवस 25 दिसंबर के नाम दर्ज है। पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह को भी उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस मौके पर बैंक मैनेजर बाबूलाल बड़गुर्जर, विश्वनाथ पुजारी, करतार सिंह आर्य, मास्टर रोहिताश्व कुमार महला, राजेंद्र फौजी, श्रीराम ठोलिया, डॉ. एस.आर. प्रेमी, जगदेव सिंह खरड़िया, धर्मपाल गाँधी, बनवारी भाम्बू, श्रवण भाम्बू, बलबीर खिचड़, सूबेदार सुबे सिंह खिचड़, बलवीर मास्टर, नरेंद्र लुनायच, राजेंद्र काजला, मास्टर नरेंद्र मान सीताराम जांगिड़ आदि अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।