डीएफओ सविता दहिया, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी पदम भूषण देवेन्द्र झाझड़िया सहित अधिकारियों ने 13 वीं राज्य स्तरीय सीनियर पैरा एथलेटिक्स प्रतियोगिता के समापन समारोह में विजेताओं का किया सम्मान
चूरू, डीएफओ सविता दहिया ने कहा है कि पैरा खिलाड़ियों के संघर्ष को देखने के बाद युवा दुनिया को नई नजर से देखेंगे। पैरा खिलाड़ियों का साहस प्रेरणा देता है। पैरा खिलाड़ियों की मेहनत, लगन और संघर्ष से प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का उत्साह दुगुना हो जाता है। मैदान पर खिलाड़ियों का प्रदर्शन साबित कर रहा है कि खेलों के क्षेत्र में भारत का भविष्य उज्ज्वल है। डीएफओ सविता दहिया, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी पदम भूषण देवेन्द्र झाझड़िया, सहायक निदेशक जनसम्पर्क कुमार अजय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक अरविंद ओला, पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक डॉ निरंजन चिरानियां, डीओआईटी उपनिदेशक नरेश टुहानिया, जिला युवा अधिकारी डॉ मंगल जाखड़ सहित अधिकारियों ने शुक्रवार को जिला खेल स्टेडियम में 13 वीं राज्य स्तरीय सीनियर पैरा एथलेटिक्स प्रतियोगिता के समापन समारोह में शिरकत कर विजेता खिलाड़ियों को मेडल पहनाकर सम्मानित किया।
डीफओ दहिया ने कहा कि खिलाड़ियों के बीच पहुंचकर मैदान में उनका संघर्ष जीवन को नई ऊर्जा देता है। साथ ही इस उत्साह से समाज की भावी पीढ़ी के लिए एक संदेश प्रसारित होता है। जीवन संघर्षों से जूझते हुए पैरा खिलाड़ियों ने खेलों की आत्मा को जीवित रखा है। इससे निश्चित तौर पर आउटडोर गेम्स को बढ़ावा मिलेगा। पदमभूषण देवेन्द्र झाझड़िया ने कहा कि खिलाड़ियों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि मैदान पर डटे रहना ही असली जीत है। खिलाड़ी की प्रतिस्पर्धा स्वयं से ही होती है। खिलाड़ी रोज स्वयं का परीक्षण कर रिजल्ट में सुधार करता रहे तो निस्संदेह वह सोने के पदकों से अलंकृत होगा। खिलाड़ी को स्वयं की ग्राउंड क्लीयरेंस की ही आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हैल्दी डाइट खेल में बहुत ही आवश्यक है। खिलाड़ियों को जंक फूड व फास्ट फूड से बचना ही होगा ताकि एनर्जी का स्तर बना रहे। एक खिलाड़ी फास्ट फूड से शरीर ही नहीं अपने भविष्य पर भी प्रश्नचिन्ह लगा लेता है। इसलिए खिलाड़ियों को अपनी डाइट का विशेष ख्याल रखना चाहिए।
सहायक निदेशक जनसम्पर्क कुमार अजय ने कहा कि सीमित संसाधनों के चलते सम्पूर्ण विश्व में देश का गौरव बढ़ाने वाले पदमभूषण देवेन्द्र झाझड़िया के नेतृत्व में जिले में इस प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन अपने आप में एक ऎतिहासिक कदम है। इससे क्षेत्र के लोगों में जागरूकता आएगी तथा खेल क्षेत्र के विकास की अपार संभावनाएं उत्पन्न होंगी।
डीओआईटी उपनिदेशक नरेश टुहानिया ने कहा कि मैदान में शारीरिक दिव्यांगता के बाद भी खिलाड़ियों का मैदान पर बेहतरीन प्रदर्शन जीवन को रोमांचित करने वाला है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक अरविंद ओला ने कहा कि खेल प्रतिभाओं नेे देश को गौरवान्वित किया है। इस मैदान से निकलकर प्रतिभाएं निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने के साथ देश का मान बढ़ाएंगी। इन खिलाड़ियों को मेडल पहनाते हुए महसूस कर रहा हूं कि प्रतिभाएं सीमित संसाधनों व अभावग्रस्त होने के बावजूद भी अपनी काबिलियत से खुद की पहचान बना लेती है। जिला युवा अधिकारी डॉ मंगल जाखड़ ने कहा कि आज के डिजिटल जमाने में युवाओं को सोशल मीडिया से परे होकर इन पैरा खिलाड़ियों का संघर्ष देखना चाहिए। इस दौरान एपीआरओ मनीष कुमार भी मंचस्थ रहे।
इस अवसर पर पदमभूषण देवेन्द्र झाझड़िया ने द्रोणाचार्य अवार्डी कोच महावीर सैनी तथा शताब्दी अवस्थी, पैरा एसोसिएशन के सचिव हिम्मत गुर्जर, कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल, मंचस्थ अतिथियों, रतनलाल भैड़ा, राकेश भैड़ा, रामवीर नेहरा, दयानंद पूनियां, सुनील सहित अन्य ने मंचस्थ अतिथियों का माल्यार्पण कर व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया एवं मंचस्थ अतिथियों ने प्रतियोगिता के समापन दिवस को आयोजित विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में विजेता रहे खिलाड़ियों का गोल्ड, सिल्वर व ब्रोंज मेडल पहनाकर सम्मान किया। इस दौरान रोहित गुर्जर, रामावतार मील, अंकित गुर्जर, कौशल, दीपेन्द्र सहित प्रतिभागी खिलाड़ी उपस्थित रहे। संचालन शताब्दी अवस्थी व जयराम मीणा ने किया।