अटल भूजल योजना के तहत जिला स्तरीय कार्यशाला
नीमाकाथाना, कलक्टर शरद मेहरा ने पाटन, अजीतगढ़ और श्रीमाधोपुर में संचालित भारत सरकार की अटल भू जल योजना की स्थानीय स्तर पर आमजन से चर्चा के आधार पर तैयार करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने भू जल स्तर में सुधार और जल संरक्षण के उपायों के लक्ष्य तय करने और उनके क्रियान्वयन में विभागों के आपसी समन्वय के साथ-साथ कृषि विज्ञान केन्द्रों के विशेषज्ञों की भी मदद लेने का सुझाव दिया। मेहरा गुरुवार को अटल भू जल योजना के तहत जिला स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भूमिगत जल का स्तर सुधारने के उद्देश्य से शुरू हुई इस योजना की प्राथमिकता पीने के लिए साफ़ पानी है. पहाड़ों से घिरे इस क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से मिलने वाले पानी को सहेजने में यह योजना बेहद कारगर हो सकती है. पानी के प्राकृतिक स्रोतों का जो नुकसान मानवीय गतिविधियों से हुआ है, उसकी भरपाई कैसे हो, इस पर भी हमें सामूहिक रूप से विचार करने की जरूरत है।
कलक्टर ने कार्यशाला में कहा कि पंचायत समिति पर विभिन्न विभागों के अधिकारी और जनप्रतिनिधि अंपने-अपने क्षेत्र की कार्ययोजनाएं बनाएं कि भूजल का गिरता स्तर बड़े रिजर्वायर बनाकर बेहतर किया जा सकता है या छोटे-छोटे एनीकट का निर्माण कर जल संरक्षण का उपाय करने से. उन्होंने कृषि के लिए शुरुआत में छोटे स्तर पर क्षेत्र विशेष में उग सकने वाली कम पानी वाली फसलें उगाने के सफल प्रयोग करने पर जोर दिया. मेहरा ने कहा कि बाद में कृषि विज्ञान केन्द्रों के सहयोग से ऐसी फसलों की जानकारी अन्य किसानों को दी जा सकती है।
जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी (एसीईओ) मुरारी लाल शर्मा ने कहा कि अटल भू जल योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए निचले स्तर पर भागीदारी बढ़ाना जरूरी है. उन्होंने कलक्टर मेहरा के निर्देशों के क्रम में कहा कि स्थानीय स्तर पर भागीदारी बढ़ने से ही आम लोग अधिक प्रोत्साहित होकर कार्य करेंगे. उन्होंने कहा कि जल सुरक्षा योजना, जन सहभागिता और जल प्रबंधन इस योजना की महत्वपूर्ण आयाम हैं. भागीदारी बढ़ाने और योजना के प्रचार-प्रसार के लिए ब्लॉक और पंचायत समिति स्तर भी कार्यशालाओं सहित अन्य आयोजन जल्द ही किए जाएंगे।
अटल भू जल योजना के नोडल अधिकारी एवं वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक दिनेश कुमार ने योजना के उद्देश्यों, अब तक की प्रगति के सम्बन्ध में जानकारी दी. सहभागी विशेषज्ञों ने बताया कि क्षेत्र में मानसून के दौरान बरसात की अवधि 4 माह से घटकर मात्र 21-26 दिन रह गई है. इससे भूजल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है. गंभीर जल संकट की स्थिति से निपटने में इस योजना के तहत किए जाने वाले जल संरक्षण के कार्य मददगार हो सकते हैं. कार्यशाला में भूजल विभाग के साथ-साथ योजना से सम्बद्ध जल संसाधन, जलदाय, पंचायती राज, वन, कृषि एवं उद्यानिकी विभागों के जिला तथा ब्लॉक स्तर के अधिकारी-कार्मिक मौजूद थे।