हल्की एवं गुलाबी सर्दी की धीमी-धीमी ठंड़ में तालियों की गड़गड़ाहट.. हर एक शेर पर मिलती दाद… झूम उठा देने वाले शेर में वाह-वाह के साथ एक साईड़ से वन्स मौर जैसी आती आवाज कभी श्रृंगार पर झूमते तो कभी हास्य कवि के व्यंग्य पर हंसी की ठिठोरे लगाते श्रोता। इस तरह का मौका था संगीत एवं साहित्यक संस्था बज्म-ए-मौसिकी द्वारा शुक्रवार की रात जिला मुख्यालय स्थित थ्री डॉट्स चिल्ड्रेन एकेडमी में आयोजित ऑल इण्डिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का। जिसमें भारत भर के ख्यातनाम एवं मशहूर शायरों और कवियों ने अपनी अलग-अलग प्रकार की रचनाओ से जोरदार जादू बिखेरा तो उपस्थित हजारों श्रोताओं ने आधी रात तक हंसी के ठहाके लगाए। तालिब साहब की कर्मस्थली एकेडमी धरा पर शायरों एवं कवियों ने शेर कहकर एवं कविता की पंक्तियां पढ़कर अपनी जानदार रचनाओं से गर्मजोशी का माहौल बना दिया। ईमरान प्रतापगढ़ी ने डाईस पर अपनी उपस्थिति देते हुए चार मिसरे पढ़कर कहा कि ‘इस शहर से था एकदम अन्जान चला आया‘ बनने के लिए दिल का मेहमान चला आया‘ कुछ तो कशिश थी तुम सब की मुहब्बत में यारों‘ मजबूर होकर ये ईमरान चला आया। उन्होंने झुंझुनू के वीर सपूतों में कैप्टन अयूब खान, शमसाद खान, अजय चौधरी का नाम लेते हुए देश की रक्षा करते शहीद हुए जिले के सभी शहीदों की शहादतों को सलाम का नजराना पेश कर उन्हें नमन किया। उन्होंने नज्म के चार मिसरे पढ़ते हुए कहा कि ‘ इस सियासत के लिए ईमान को मत मारिये‘ राम को मत मारिये रहमान को मत मारिये‘ कहीं कल मुझे एक गाय यह कहकर रोती मिली‘ कि नाम पर मेरे किसी ईन्सांन को मत मारिये‘। ‘मेरे मसकन मेरी जन्नत को सलामत‘ ऐ मेरे मोला मेरे भारत को सलामत रखना‘ प्रतापगढ़ी ने जब अपनी रचनाएं सुनानी शुरू की तो उपस्थित श्रोता भी अपने हाथ तालियां बजाने से रोक नहीं पाए। हर शेर पर वाह-वाह नजर आई तो उन्होंने सभी को घन्यवाद ज्ञापित किया। प्रतापगढ़ी ने कार्यक्रम प्रायोजक राजस्थान कांग्रेस सेवादल प्रदेश सचिव एम.डी. चोपदार के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि कौम के खिदमगार, प्रत्येक समाज के प्रति सहानुभूति रखने वाले, हर क्षेत्र के लोगों के हर समय तत्पर रहने वाले इस कौम के रहनुमा को विधानसभा में ले जाकर आपकी सेवा करने का मौका दें। इस दौरान उपस्थित श्रोताओं ने अपने दोनों हाथ उठाकर चोपदार का समर्थन किया। भारत के लोकप्रिय हास्य व्यंग्य कवि ‘‘संपत सरल‘‘ ने अपनी लुभावनी आवाज में रचनाओं की पंक्तियां पढ़कर सुनाई कि ‘वे भी क्या दिन थे जब घड़ी एक के पास होती थी समय सब के पास होता था‘ मगर आज की तरह ना था कि फेसबुक पर 5 हजार दोस्त हो और घर मे परिवार वालों से बोलने पर ताला बंद था। उन्होंने जैसे ही सैनिकों की चर्चा पर कहा कि ‘सीमा पर भूना कोई और जाता हैं‘ और राजनीति में इसे भुनाता कोई और हैं‘ ये कहा तो वीर धरा के लोगों ने करतल ध्वनि से संपत का स्वागत किया।jjn उन्होंने मुशायरें में उमड़े जन सैलाब का चोपदार के प्रति लोगों का प्यार देखकर उनकी प्रशंन्सा करते हुए कहा कि ऐसा बहुत कम देखने को मिलता हैं कि कोई आदमी अपने क्षेत्र के लोगों का मनोरंजन करवाने के लिए अपनी गाढ़ी कमाई में से इतनी बढ़ी राशि देकर ऐसे आयोजन करवाता हैं, उन्होंने कहा कि ऐसे सेवाभाव रखने वाले व्यक्ति को हमें आगे लाना चाहिए। वहीं नवलगढ़ के लाड़ले कवि हरिश हिन्दुस्तानी ने श्रोताओं को हास्य की गंगा में डूबकी लगवाते हुए धारा 477 हटाने पर व्यंग्य करते हुए सुनाया कि ‘यूं तो शादीशुदा आदमी का जीवन पावन बहती सरिता हैं‘ पर ध्यान रहे हर जेठालाल के मन में बबीता हैं।‘ जैसी कविता सुनाकर खूब तालिया बटोरी। उन्होंने मारवाड़ी भाषा में व्यंग्य कहकर लोगों का दिल जित लिया। हरिश ने गांव-गांव ढ़ाणी ढ़ाणी से पधारे हुए लोगों का घन्यवाद ज्ञापित करकर चोपदार की प्रशंन्सा करते हुए मारवाड़ी भाषा में कहा कि ‘‘ इता सारा आदमीयां और लुगायां को जी आदमी नह प्यार मिल जावह तो भाईजी बिको तो बड़ो पार हो जावह हैं‘ तो उपस्थित श्रोताओं ने उनकी बात का समर्थन किया। इसी प्रकार मुशायरें में भारत के प्रमुख शायर एवं कवियों में सागर करौलवी ने शेर के चार मतले अर्ज किए कि ‘ ऐ खुदा मुझपर तू इतनी इनायत कर दे‘ सारी दुनियां में मुहब्बत ही मुहब्त कर दें‘ मेंने ख्वाब इन आंखों में सजा रखा हैं‘ तू अगर चाहे तो ये हकीकत कर दे‘ वहीं रितिका तरन्नुम ने ममता के महत्व को बताते हुए अपना शेर कहा कि ‘ जब तक मां थी, तब तक सब कुछ था, मां की आंखों में एक रब था, सारी दुनिया देखी हमने, मां के जैसा कोई कब था‘ शेर पेश किया तो उपस्थित श्रोताओं की आंख नम हो आई, इस शेर पर चोपदार ने रितिका को माला पहनाकर स्वागत किया। इसी प्रकार मुशायरें में भारत के प्रमुख शायर जीया टोंकी ने अदबी जबान मे ब्यां किया कि ‘ कहीं दौलत कहीं शौहरत, कहीं दुकान रख देना‘ मेरे हिस्से को एक मजबूर की मुस्कान रख देना‘ बहुत शीतल, बहुत पावन रख देना, मेरी हर आस्था का नाम हिन्दुस्तान रख देना, पढ़कर तालिया बटोरी। कार्यक्रम प्रायोजक राजस्थान कांग्रेस प्रदेश सेवादल सचिव तथा बज्म-ए-मौसिकी के एम डी चोपदार ने मुशायरा एवं कवि सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए भारत के विख्यात शायरों एवं कवियो को वीरों की धरा झुंझुनू पधारने पर घन्यवाद ज्ञापित किया। चोपदार परिवार एवं बज्म-ए-मौसिकी के सदस्यों द्वारा प्रतापगढ़ी को 11 किलों की माला पहनाकर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन करने से युवा, बुजुर्गो, महिलाओं एवं बच्चों की मानसिक थकान दूर हो जाती हैं। एक समय ऐसा था कि युवा अलग-अलग खेल खेलते थे, परन्तु वर्तमान दौर में युवाओं को मोबाईल फोन एवं टीवी के कारण खेलों एवं मनोरंजन करने से दूरिया बढ़ गई हैं। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में पूरे राजस्थान भर से डीडवाना, मकराना, लोसल, सीकर, चूरू, जयपुर, बीकानेर, नवलगढ़, जोधपुर सहित भरतपुर से लोगों ने शिरकत की हैं। उन्होंने सम्मेलन में आए दूर-दराज के सामाजिक कार्यक्रता, निजी संस्थाओं का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बज्म-ए-मौसिकी की पूरी टीम को इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपने अहम योगदान की भी प्रशंन्सा कर बधाई भी दी। समारोह का शुभारंभ पीठाधीश्वर चंचलनाथ टीला महन्त श्री ओमनाथ जी महाराज, हजरत कमरूद्दीन शाह दरगाह के सज्जादानशीन जनाब एजाज नबी, गणितज्ञ डॉ. घासीराम वर्मा, एम डी चोपदार, डॉ. सलाऊदीन चोपदार, इब्राहित खान आदि ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम का संचालन एडवोकेट मों. जहीर फारूकी एवं रफीक खान ने किया।ये रहे उपस्थित……..
इस दौरान कांग्रेस महिला प्रदेशाध्यक्ष रेहाना रियाज, सूरजगढ़ विधायक श्रवण कुमार, पूर्व चूरू विधायक मकबूल मंड्रेलिया, पूर्व मंड़ावा विधायक रीटा चौधरी, सरपंच तारा देवी, सीओ सीटी ममता सारस्वत, एसडीएम अल्का विश्नोई, सीआई गोपाल सिंह ढ़ाका, समाज सेवी एवं भामाशाह डॉ. सलाऊदीन चोपदार, झुंझुनू के लाड़ले अभिनेता सलीम दिवान चोपदार, उधौगपति सत्तार दिवान चोपदार, बज्म-ए-मौसिकी के फाउण्डर्स एवं मेम्बर्स जाकिर अब्बासी,गायकार सनवर कुरेशी, मनवर दिवान चोपदार, जहांगीर परवेज, ईस्माइल खान, गायिका लक्ष्मी अग्रवाल, आरिफ खान, जाहिद सिदीकी, ईमरान राईन मंण्ड्रेलिया, एडवोकेट जहीर मांे. फारूकी, डीईओ सम्पत राम बारूपाल, डॉ. रजनेश माथुर, राजेन्द्र कुमार दडि़या, मनोहर धूपिया, दिलावर बाबू, मतलूब चायल, अली हसन, युवा नेता साजिद भाटी, रब्बानी सैयद, वाहिद सैयद बरकत गहलोत, प्रोफेसर पूनम शर्मा, जाकिर सिदीकी, डॉ. जगदेव चौधरी, बी.एल. सावन व्याख्याता एम. रफीक खानम, ए. रहमान सैयद, उस्मान खान, अकराज कुरैशी, शाहिद खान, जाहिरा खान, सुलेमान खान, राजेश थाकन, हबीर्बरहमान, सिकन्दर भाटी, प्रशांत जागिढ़, एडवोकेट धर्मपाल बंशीवाल, सरफराज खान, हारून अब्बासी, ईमरान राईन, ईमरान कुरैशी, एडवोकट ईरशाद फारूकी, एडवोक दिलशाद फारूकी, सदाम भाटी सहित जिले के वरिष्ठ नागरिक, युवा, बुजुर्ग, महिला सहित पूरे राजस्थान भर के अनेक लोग उपस्थित थे।